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जम्मू-कश्मीर सरकार ने कश्मीरी पंडितों के लिए अलग से कॉलोनी बनाने से इनकार कर दिया है. हालांकि सरकार ने कहा कि वह किसी भी वैकल्पिक योजना पर विचार करने को तैयार है.
सरकार घाटी में अल्पसंख्यक समुदाय के पुनर्वास के लिए अलगाववादी समूहों की राय पर भी विचार कर सकती है. सरकार के प्रवक्ता और शिक्षा मंत्री नईम अख्तर ने कहा,
1990 के दशक में आतंकवादियों की तरफ से चलाई गई मुहिम के कारण कश्मीरी पंडितों ने जम्मू -कश्मीर छोड़ भारत के दूसरे हिस्सों में शरण ली थी. कश्मीरी पंडित दो दशकों से भी ज्यादा समय से निर्वासित जीवन जी रहे हैं.
पंडितों की वापसी के मुद्दे पर नईम अख्तर ने कहा,
गौरतलब है कश्मीरी पंडितों की वापसी बीजेपी के लिए हमेशा से बड़ा मुद्दा रहा है. पीडीपी-बीजेपी गठबंधन के सत्ता में आने के बाद कश्मीरी पंडितों की वापसी की उम्मीद बढ़ गई थी.
इसी दिशा में उनके लिए विशेष सुरक्षित कॉलोनियों का प्रस्ताव सामने आ रहा था, जिसे अब नकार दिया गया है.
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