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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य का नाम फिर से बंगाल रखने का प्रस्ताव दिया है. अभी बांग्ला में राज्य को ‘पश्चिम बंग’ या ‘पश्चिम बांग्ला’ कहा जाता है. नाम बदलने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा.
यह सत्र 26 अगस्त से शुरू होगा. इसमें नाम बदलने को लेकर रेजोल्यूशन पास किया जाएगा. आगे की प्रक्रिया के लिए फिर इसे संसद भेजा जाएगा. संसदीय कार्यमंत्री पार्थ चटर्जी के मुताबिक,
पहली बार 1905 में अंग्रेजों के अधीन भारत में लार्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन किया था. तब हिंदू बहुल क्षेत्र को पश्चिम बंगाल और मुस्लिम बहुल को पूर्वी बंगाल कहा गया. पूर्वी बंगाल आजादी के बाद 1947 से पूर्वी पाकिस्तान कहलाया. 1971 में पाकिस्तान से अलग होने के बाद ये बांग्लादेश बन गया. लेकिन पश्चिम बंगाल आज भी पुराने नाम से जाना जाता है. 2011 में भी सरकार ने राज्य का नाम बदलने की कोशिश की थी.
राज्य सरकार बिल का मसौदा तैयार कर केंद्र सरकार के पास भेजती है. नाम बदलने के चलते संविधान की पहली अनुसूची में भी बदलाव करना होता है. पहली अनुसूची में सारे राज्यों के नाम दर्ज होते हैं. इस तरह राज्य के नाम बदलने में संविधान संशोधन जरूरी होता है.
एक निश्चित प्रक्रिया के बाद संसद राज्य के नाम को बदलती है. 113 वें संविधान संशोधन द्वारा इसी तरह उड़ीसा का नाम बदलकर ओडिसा किया गया था.
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