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जान-बूझकर अपना लोन नहीं चुकाने और बैंकों के साथ फ्रॉड करने वालों की अब खैर नहीं है. केंद्र सरकार ने भगोड़ों पर लगाम कसने के लिए एक नया फैसला किया है. फ्रॉड करने वाले लोगों को देश से बाहर जाने से रोकने के लिए सरकार ने पब्लिक सेक्टर के बैंकों को नया 'ब्रह्मास्त्र' दे दिया है.
अब पब्लिक सेक्टर के बैंक जान-बूझकर लोन न चुकाने वालों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी करने का अनुरोध कर सकते हैं. इससे फ्रॉड पकड़े जाने के तुरंत बाद उस व्यक्ति को विदेश भागने से रोका जा सकेगा.
बता दें कि इससे पहले विजय माल्या, मेहुल चोकसी और नीरव मोदी जैसे लोग बैंकों को करोड़ों रुपये का चूना लगाकर रफू-चक्कर हो चुके हैं. इसी को देखते हुए सरकार ने यह फैसला किया है.
गृह मंत्रालय ने हाल ही में सर्कुलर में बदलाव करते हुए सरकारी बैंकों के CEOs को उन अधिकारियों की लिस्ट में शामिल कर दिया है, जो मंत्रालय से किसी भी फ्रॉड करने वाले के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी करने का अनुरोध कर सकते हैं.
बता दें कि इससे पहले वित्तीय सेवा सचिव की अगुवाई वाली समिति ने बैंकिंग सेक्टर को साफ-सुथरा करने के लिए बैंकों को यह अधिकार देने की सिफारिश की थी.
वित्तीय सचिव राजीव कुमार के मुताबिक, यह फैसला बैंकिंग सेक्टर की व्यवस्था को साफ-सुथरा रखने के अभियान का एक हिस्सा है. इससे पहले भी सरकार ने 50 करोड़ रुपये से अधिक का लोन लेने वाले लोगों के पासपोर्ट का ब्योरा लेने को कहा था, लेकिन सिर्फ पासपोर्ट का ब्योरा लेना ही काफी नहीं है.
इस नए सर्कुलर के जरिए डिफॉल्टर और फ्रॉड करने वाले लोगों के खिलाफ बैंक कड़ी कार्रवाई की मांग कर सकते हैं. सरकार के इस फैसले से कर्ज न चुकाने वाले लोगों में भी एक डर बना रहेगा, क्योंकि उनका आसानी से विदेश भागने का रास्ता लगभग बंद हो जाएगा.
(इनपुट: भाषा)
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