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7 साल का हुआ द क्विंट! सच्चाई ही हमारी पत्रकारिता का आधार

इस शानदार सफर में अब तक हमारा साथ देने के लिए हम आपका शुक्रिया अदा करते हैं

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भारत
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7 साल का हुआ द क्विंट! सच्चाई ही हमारी पत्रकारिता का आधार है

(फोटो- क्विंट)

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स्क्रिप्ट एंड प्रोड्यूसर: त्रिदीप के मंडल

एनिमेशन और वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया

जब चुनावी बॉन्ड की सच्चाई हमने बताई 

भारत में चुनावी बॉन्ड एनोनिमस यानी पहचान को गुप्त रखने के लिए लाए गए थे, ताकि आम नागरिक अपनी पसंद के राजनीतिक दलों को डोनेट कर सकें. केंद्र सरकार ने कहा था कि राजनीतिक डोनर के नामों का पता नहीं चलेगा, ताकि उनका पहचान सामने न लाया जा सकें.

लेकिन, द क्विंट आपके लिए सच्चाई लेकर आया और आपको हमने बताया कि चुनावी बॉन्ड में अल्फान्यूमेरिक नंबर छपे होते हैं, जो केवल अल्ट्रावॉयलेट लाइट में दिखाई देते हैं. इससे सरकार को डोनर्स के बारे में पता लग सकता है, जो स्पष्ट रूप से अलोकतांत्रिक है.

NRC से पहले ही 'डिटेंशन कैंप' की तस्वीरें आप तक पहुंचाई

2020 में जब एनआरसी जो सिर्फ एक सरकारी प्रस्ताव था, उसका और सीएए का लाखों भारतीय विरोध कर रहे थे. डर यह था कि भारतीय नागरिकों की पहचान 'विदेशी' के रूप में की जाएगी और उन्हें उनके धर्म के आधार पर हिरासत में लिया जाएगा या यहां तक ​​कि निर्वासित भी कर दिया जाएगा. इस डर का जल्द ही एहसास हो गया, क्योंकि द क्विंट आपके लिए सच्चाई लेकर आया - जमीन से तस्वीरें और वीडियो जो यह साबित करते थे कि 2020 में ही, एनआरसी से बहुत पहले असम में 'विदेशी डिटेंशन कैंप' बनाए जा रहे थे. जो स्पष्ट रूप से अलोकतांत्रिक है.

अपने ही नागरिकों की जासूसी- क्विंट ने किया था खुलासा

अक्टूबर 2021 में कर्नाटक सरकार ने अपने 11.5 लाख ईसाई नागरिकों की जासूसी करनी शुरू की थी. स्टेट इंटेलिजेंस विंग ने सभी जिलों में पुलिस को राज्य में चल रहे कानूनी और 'अवैध' चर्चों, उनके स्थानों, उनके पादरियों और पैरिश सदस्यों की डिटेल इकट्ठा करने के निर्देश जारी किए. द क्विंट इसे भी उजागर किया था.

पिछले सात सालों से द क्विंट में हम सभी, हमारे पाठक सच्चाई से प्रेरित हुए हैं. हमने सैकड़ों खबरों पर रिपोर्ट की है - राजनीति से लेकर जेंडर तक, जलवायु परिवर्तन से लेकर जातिवाद तक, सांप्रदायिक हिंसा से लेकर मानवाधिकार तक और वो भी भारत के हर हिस्से से.

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लेकिन यह आसान नहीं रहा. पत्रकारों ने कई बार अपनी जान जोखिम में डाली है. अक्सर इन खबरों को करने में समय और खर्च लगता है. हमें कानूनी बाधाओं से भी जूझना पड़ा है, जो उन लोगों द्वारा अड़ाई गई है जो सत्य को दबाने के लिए खड़े हैं. लेकिन सच्चाई ही सब कुछ है और आपके साथ हमारा रिश्ता सच्चाई की इस नींव पर बना है.

द क्विंट को आज सात साल हो गए हैं, हमें आपके लिए महत्वपूर्ण खबरों को लाने के लिए जरूरत है आपके निरंतर समर्थन की. आप एक क्यू-इनसाइडर बन सकते हैं - और हमारे प्रयास में हमारी मदद कर सकते हैं.

इस यात्रा में अब तक हमारा साथ देने के लिए हम आपको धन्यवाद देते हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 16 Mar 2022,05:18 PM IST

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