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भोपाल एनकाउंटर के स्टार चश्मदीद को अवॉर्ड देना तो बनता था. मिलिए खेजड़ादेव गांव के सरपंच मोहन सिंह मीना से. इनके पास भोपाल एनकाउंटर की ऐसी आंखों देखी स्टोरी है, जिसे सुन भोपाल पुलिस भी शरमा जाए. तभी तो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सिर्फ 24 घंटे के अंदर सरपंच मोहन सिंह मीना की पीठ थपथपाई है और हजारों की भीड़ में इनका सम्मान भी किया.
सच में सरपंच साहब का सम्मान बनता है, क्योंकि अगर वो नहीं बोलते, तो शायद इस एनकाउंटर पर ये सवाल न उठते.
हमारी पहली रिपोर्ट पढ़िए- क्विंट EXCLUSIVE: क्या भोपाल एनकाउंटर की जांच फिक्स है?
भोपाल से एक्सक्लूसिव इनवेस्टिगेशन की दूसरी स्टोरी में हम आपको स्टार चश्मदीद और भोपाल पुलिस के अलग-अलग बयान दिखाने जा रहे हैं- फैसला आपको लेना है.
बयान नंबर-1
भोपाल सेंट्रल जेल में जेल ब्रेक रात के 2 से 3 बजे के बीच हुआ. जांच अधिकारी के मुताबिक, 4 बजे तक तो पूरी फोर्स भोपाल सेंट्रल जेल पहुंची, लेकिन सरपंच के पास एक ऐसा चश्मदीद है, जो सुबह 4 बजकर 20 मिनट पर 8 कैदियों को देख चुका था.
एनकाउंटर के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुलिस ने मीडिया के साथ इस चश्मदीद की कोई जानकारी या खबर शेयर नहीं की. पुलिस ने आनन-फानन में जो प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई, उसमें शुरुआती कुछ मिनट में पूरी घटना का ब्योरा दिया गया. लेकिन सुबह 4 बजकर 20 मिनट पर आए फोन कॉल या उस चौकीदार के बारे में कुछ नहीं कहा गया. पुलिस की कहानी सुबह 9 से 10 बजे के बीच शुरू हुई.
लेकिन ऐसे में ये सवाल उठता है कि
द क्विंट के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में सरपंच का एक और बयान है, जिसे सुनकर फिर एक नया सवाल खड़ा हो जाता है.
लेकिन भोपाल आईजी बार-बार यही कहते रहे कि पीछा तो उनके सिपाहियों ने किया था. और पीछा करने के दौरान धारदार हथियार से 3 पुलिसवाले घायल भी हो गए, जिनका इलाज चल रहा है.
लेकिन स्टार चश्मदीद मोहन सिंह मीना जो खेजड़ादेव गांव के सरपंच भी हैं, उनके मुताबिक पुलिस तो आठों कैदियों के पहाड़ी तक पहुंचने से पहले पहुंची ही नहीं थी, पहाड़ी तक तो गांववालों ने कैदियों का पीछा किया था. हाइवे पर गांधी नगर थाने से टीआई पटेल अपनी गाड़ी में 4 पुलिसवाले लेकर तब पहुंचे थे, जब गांववाले कैदियों का पीछा करते हुए एनकाउंटर वाली पहाड़ी के नीचे तक पहुंच गए थे.
एनकाउंटर की टाइमिंग के बारे में...पहली बार भागे हुए 8 कैदियों का दीदार सरपंच के मित्र जीतमल को सुबह 9 बजे हुआ, फिर सरपंच ने 31 अक्टूबर की सुबह 9.20 पर पुलिस को फोन भी कर दिया. और लीजिए एक बार फिर भोपाल पुलिस की कहानी पर उन्होंने पानी डाल दिया.
अब सम्मान के हकदार तो हमारे सरपंच साहब बिल्कुल हैं. भोपाल एनकाउंटर की आंखों देखी उन्होंने कुछ इस तरह बयां कि खुद- ब- खुद सरकारी वर्जन की पोल खुल गई.
पढ़ें- EXCLUSIVE:भोपाल एनकाउंटर की क्विंट रिपोर्ट पर दिग्विजय की मुहर
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