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भोपाल एनकाउंटर: स्टार चश्मदीद सरपंच को अवॉर्ड देना तो बनता है

भोपाल एनकाउंटर के स्टार चश्मदीद सरपंच मोहन सिंह मीना Vs भोपाल पुलिस- कौन सही, कौन गलत?

आशुतोष सिंह
भारत
Updated:
(फोटो: द क्विंट/हरदीप सिंह)
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(फोटो: द क्विंट/हरदीप सिंह)
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भोपाल एनकाउंटर के स्टार चश्मदीद को अवॉर्ड देना तो बनता था. मिलिए खेजड़ादेव गांव के सरपंच मोहन सिंह मीना से. इनके पास भोपाल एनकाउंटर की ऐसी आंखों देखी स्टोरी है, जिसे सुन भोपाल पुलिस भी शरमा जाए. तभी तो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सिर्फ 24 घंटे के अंदर सरपंच मोहन सिंह मीना की पीठ थपथपाई है और हजारों की भीड़ में इनका सम्मान भी किया.

सच में सरपंच साहब का सम्मान बनता है, क्योंकि अगर वो नहीं बोलते, तो शायद इस एनकाउंटर पर ये सवाल न उठते.

हमारी पहली रिपोर्ट पढ़िए- क्विंट EXCLUSIVE: क्या भोपाल एनकाउंटर की जांच फिक्स है?

तकरीबन 8 लाख रुपये जल्द ही इनके अकाउंट में आने वाले हैं, क्योंकि भोपाल एनकाउंटर में इनकी आखों देखी ने पूरे प्रशासन की लाज बचा ली है.

भोपाल से एक्सक्लूसिव इनवेस्टिगेशन की दूसरी स्टोरी में हम आपको स्टार चश्मदीद और भोपाल पुलिस के अलग-अलग बयान दिखाने जा रहे हैं- फैसला आपको लेना है.

सरपंच के बयानों पर ध्यान दीजिए:

बयान नंबर-1

भोपाल सेंट्रल जेल में जेल ब्रेक रात के 2 से 3 बजे के बीच हुआ. जांच अधिकारी के मुताबिक, 4 बजे तक तो पूरी फोर्स भोपाल सेंट्रल जेल पहुंची, लेकिन सरपंच के पास एक ऐसा चश्मदीद है, जो सुबह 4 बजकर 20 मिनट पर 8 कैदियों को देख चुका था.

एक मैं हूं और अब्बास नगर से एक चौकीदार है. उसने उन्हें सुबह 4.20 पर आठ लोगों को देखा था. स्कूल के पास से वो आठों लोग निकले थे, फिर पुलिस को फोन किया था.
मोहन सिंह मीना, खेजड़ागांव के सरपंच और मुख्य चश्मदीद

एनकाउंटर के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुलिस ने मीडिया के साथ इस चश्मदीद की कोई जानकारी या खबर शेयर नहीं की. पुलिस ने आनन-फानन में जो प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई, उसमें शुरुआती कुछ मिनट में पूरी घटना का ब्योरा दिया गया. लेकिन सुबह 4 बजकर 20 मिनट पर आए फोन कॉल या उस चौकीदार के बारे में कुछ नहीं कहा गया. पुलिस की कहानी सुबह 9 से 10 बजे के बीच शुरू हुई.

सुबह 10 बजे के करीब हमें जानकारी मिली कि आठों भागे हुए कैदी देखे गए हैं. हमने फोर्स को उस ओर भेजा. 
योगेश चौधरी, आईजी, भोपाल जोन

लेकिन ऐसे में ये सवाल उठता है कि

  • क्यों आईजी ने नहीं बताया कि चौकीदार ने पुलिस को सुबह 4 बजकर 20 मिनट पर ही कॉल कर दिया था?
  • एनकाउंटर के 24 घंटे बाद मध्य प्रदेश के सीएम ने इस चौकीदार का सम्मान किया, लेकिन लोकल मीडिया को 5 नवंबर को इस चौकीदार के बारे में क्यों बताया गया?
  • क्या इतने दिन इस चश्मदीद को कोचिंग दी जा रही थी?
  • और अगर इस सम्मानित चौकीदार ने 8 कैदियों को देखा और पुलिस को फोन कर बताया, तो फिर पुलिस ने क्या किया?
  • 5 घंटे तक सिर्फ इंतजार?
  • क्या सरपंच के फोन का इंतजार हो रहा था कि 9.30 बजे कॉल आएगा...तभी हम ढूंढने निकलेंगे?
अब अब्बास नगर के इस सम्मानित चौकीदार पर कितना भरोसा किया जाए, आप ही बताइए.

सरपंच का बयान नंबर-2

द क्विंट के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में सरपंच का एक और बयान है, जिसे सुनकर फिर एक नया सवाल खड़ा हो जाता है.

<b>हमें पीछा करते देख वो भागे नहीं, वो आराम से चलते रहे. वो लाठी और बैग लिए थे.</b>
मोहन सिंह मीना, खेजड़ागांव के सरपंच और मुख्य चश्मदीद

लेकिन भोपाल आईजी बार-बार यही कहते रहे कि पीछा तो उनके सिपाहियों ने किया था. और पीछा करने के दौरान धारदार हथियार से 3 पुलिसवाले घायल भी हो गए, जिनका इलाज चल रहा है.

उन्होंने हमारे तीन लोगों पर पीछा करने के दौरान अटैक किया. उन्हें धारदार हथियार से चोटें आई हैं. उनका इलाज चल रहा है.
योगेश चौधरी, आईजी , भोपाल जोन

लेकिन स्टार चश्मदीद मोहन सिंह मीना जो खेजड़ादेव गांव के सरपंच भी हैं, उनके मुताबिक पुलिस तो आठों कैदियों के पहाड़ी तक पहुंचने से पहले पहुंची ही नहीं थी, पहाड़ी तक तो गांववालों ने कैदियों का पीछा किया था. हाइवे पर गांधी नगर थाने से टीआई पटेल अपनी गाड़ी में 4 पुलिसवाले लेकर तब पहुंचे थे, जब गांववाले कैदियों का पीछा करते हुए एनकाउंटर वाली पहाड़ी के नीचे तक पहुंच गए थे.

एक और बात, जब हिंदुस्तान टाइम्स का रिपोर्टर उन तीन घायल पुलिसवालों के घर गया, जिन्हें पुलिस वर्जन के मुताबिक कैदियों ने घायल कर दिया था, तो उनके परिवारवालों ने कहा- यहां घायल कौन हुआ है? थोड़ा अजीब है, लेकिन सच है कि अभी तक किसी भी मीडिया वाले से ये 3 पुलिसवाले मिले ही नहीं हैं

अब सरपंच का एक और बयान

एनकाउंटर की टाइमिंग के बारे में...पहली बार भागे हुए 8 कैदियों का दीदार सरपंच के मित्र जीतमल को सुबह 9 बजे हुआ, फिर सरपंच ने 31 अक्टूबर की सुबह 9.20 पर पुलिस को फोन भी कर दिया. और लीजिए एक बार फिर भोपाल पुलिस की कहानी पर उन्होंने पानी डाल दिया.

सरपंच मोहन सिंह मीना के मुताबिक एनकाउंटर 11.30 बजे हुआ… लेकिन भोपाल पुलिस ने कहा कि एनकाउंटर 10.30 बजे हुआ.

अब सम्मान के हकदार तो हमारे सरपंच साहब बिल्कुल हैं. भोपाल एनकाउंटर की आंखों देखी उन्होंने कुछ इस तरह बयां कि खुद- ब- खुद सरकारी वर्जन की पोल खुल गई.

पढ़ें- EXCLUSIVE:भोपाल एनकाउंटर की क्‍व‍िंट रिपोर्ट पर दिग्‍व‍िजय की मुहर

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Published: 18 Nov 2016,07:29 PM IST

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