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गुजरात के राजकोट में तीन भाई-बहनों को एक कमरे से करीब 10 साल बाद निकाला गया है. इन तीनों ने अपनी मां की मौत के बाद खुद को इस कमरे में बंद कर लिया था. तीनों की उम्र 34 से 42 साल के बीच है. इनका घर राजकोट की पॉश लोकैलिटी किसनपारा चौक में स्थित है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, साथी सेवा ग्रुप की जलपा पटेल के नेतृत्व में वॉलंटियर्स की एक टीम ने 27 दिसंबर को दो भाई और एक बहन को कमरे से बाहर निकाला. इन तीनों ने अपने पिता नवीन मेहता का फोन उठाना बंद कर दिया था, जिसके बाद पटेल और वॉलंटियर्स ने कमरे का दरवाजा तोड़ दिया.
सरकारी नौकरी से रिटायर्ड नवीन मेहता ने कहा, "आठ या नौ साल पहले मां की मौत के बाद तीनों बच्चों ने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया. लगातार उनसे बाहर आने को कहा गया, लेकिन वो कमरे में ही रहे." 80 वर्षीय मेहता ने बताया कि उनकी पत्नी 1986 से बीमार थीं.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, साथी सेवा ग्रुप के वॉलंटियर्स ने बताया कि 42 साल के अंबरीश और 39 साल की मेघना काफी कमजोर दिख रहे थे, जबकि भावेश की शारीरिक स्थिति बेहतर थी.
जलपा पटेल ने कहा, "मेघना ने दावा किया कि वो ठीक है, लेकिन वो कभी भी खाना मांगने लगती थी. जब हम कमरे में घुसे तो भावेश बात नहीं कर रहा था. हालांकि, 28 दिसंबर को वो थोड़ी बात कर रहा था."
मेहता ने दावा किया कि शहर के दूसरी लोकैलिटी में रहने वाली उनकी बहन परिवार के लिए खाना बनाती थी और वो खाने का डिब्बा अपने बच्चों को डिलीवर करते थे. जलपा पटेल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "मेहता ने बताया कि वो खाना बच्चों के कमरे के दरवाजे पर रखकर चले जाते थे. मेहता ने ये भी दावा किया कि वो पांच कमरों वाले उसी घर में रहते थे. हालांकि, पूरे घर में से कही भी मेहता का कोई सामान नहीं मिला. हमें सभी कमरों से सिर्फ कागज, बोरे और धूल मिली."
राजकोट जिले के सोशल डिफेंस ऑफिसर मेहुल गोस्वामी ने पुष्टि की है कि 27 दिसंबर की रात करीब 9.30 पर एक टीम मेहता के घर गई थी. गोस्वामी ने बताया कि 28 दिसंबर को अंबरीश को अस्पताल ले जाया गया.
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