Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019राजकोट: 10 साल से एक कमरे में बंद थे 3 भाई-बहन, अब बाहर निकाला गया

राजकोट: 10 साल से एक कमरे में बंद थे 3 भाई-बहन, अब बाहर निकाला गया

इनका घर राजकोट की पॉश लोकैलिटी किसनपारा चौक में स्थित है

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
इनका घर राजकोट की पॉश लोकैलिटी किसनपारा चौक में स्थित है
i
इनका घर राजकोट की पॉश लोकैलिटी किसनपारा चौक में स्थित है
(प्रतीकात्मक फोटो) 

advertisement

गुजरात के राजकोट में तीन भाई-बहनों को एक कमरे से करीब 10 साल बाद निकाला गया है. इन तीनों ने अपनी मां की मौत के बाद खुद को इस कमरे में बंद कर लिया था. तीनों की उम्र 34 से 42 साल के बीच है. इनका घर राजकोट की पॉश लोकैलिटी किसनपारा चौक में स्थित है.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, साथी सेवा ग्रुप की जलपा पटेल के नेतृत्व में वॉलंटियर्स की एक टीम ने 27 दिसंबर को दो भाई और एक बहन को कमरे से बाहर निकाला. इन तीनों ने अपने पिता नवीन मेहता का फोन उठाना बंद कर दिया था, जिसके बाद पटेल और वॉलंटियर्स ने कमरे का दरवाजा तोड़ दिया.

वॉलंटियर्स का कहना है कि एक भाई जमीन पर कागजों और बोरों के ढेर में पड़ा था और दूसरा कमरे में ही कूड़े के ढेर के बीच खड़ा था. वॉलंटियर्स के मुताबिक, सिर्फ बहन के शरीर पर कपड़े थे. पिता नवीन मेहता इस ‘रेस्क्यू ड्राइव’ के दौरान मौजूद रहे और उन्होंने अपने बेटे अंबरीश और भावेश, और बेटी मेघना को पहचाना.  

सरकारी नौकरी से रिटायर्ड नवीन मेहता ने कहा, "आठ या नौ साल पहले मां की मौत के बाद तीनों बच्चों ने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया. लगातार उनसे बाहर आने को कहा गया, लेकिन वो कमरे में ही रहे." 80 वर्षीय मेहता ने बताया कि उनकी पत्नी 1986 से बीमार थीं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

तीनों भाई-बहनों की हालत कैसी थी?

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, साथी सेवा ग्रुप के वॉलंटियर्स ने बताया कि 42 साल के अंबरीश और 39 साल की मेघना काफी कमजोर दिख रहे थे, जबकि भावेश की शारीरिक स्थिति बेहतर थी.

जलपा पटेल ने कहा, "मेघना ने दावा किया कि वो ठीक है, लेकिन वो कभी भी खाना मांगने लगती थी. जब हम कमरे में घुसे तो भावेश बात नहीं कर रहा था. हालांकि, 28 दिसंबर को वो थोड़ी बात कर रहा था."

नवीन मेहता ने बताया कि कुछ समय पहले गिरने की वजह से अंबरीश चल-फिर नहीं पा रहा है. मेहता ने कहा कि अंबरीश ने BA और LLB किया है, जबकि भावेश एक इकनॉमिक्स ग्रेजुएट और मेघना साइकोलॉजी में पोस्टग्रेजुएट है.  

मेहता ने दावा किया कि शहर के दूसरी लोकैलिटी में रहने वाली उनकी बहन परिवार के लिए खाना बनाती थी और वो खाने का डिब्बा अपने बच्चों को डिलीवर करते थे. जलपा पटेल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "मेहता ने बताया कि वो खाना बच्चों के कमरे के दरवाजे पर रखकर चले जाते थे. मेहता ने ये भी दावा किया कि वो पांच कमरों वाले उसी घर में रहते थे. हालांकि, पूरे घर में से कही भी मेहता का कोई सामान नहीं मिला. हमें सभी कमरों से सिर्फ कागज, बोरे और धूल मिली."

पटेल ने बताया कि 28 दिसंबर को तीनों भाई-बहनों को मेहता की बहन के घर शिफ्ट किया गया और डॉक्टर से कंसल्ट किया जा रहा है. पटेल बोलीं, “सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट की एक टीम ने 27 दिसंबर की शाम को इनसे मुलाकात की थी.” 

राजकोट जिले के सोशल डिफेंस ऑफिसर मेहुल गोस्वामी ने पुष्टि की है कि 27 दिसंबर की रात करीब 9.30 पर एक टीम मेहता के घर गई थी. गोस्वामी ने बताया कि 28 दिसंबर को अंबरीश को अस्पताल ले जाया गया.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT