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दिल्ली की तिहाड़ जेल में 2012 दिल्ली गैंग रेप कांड के दोषियों को 22 जनवरी को फांसी दी जानी है. इसके पहले 12 जनवरी को जेल में दोषियों के पुतलों को लटकाकर देखा गया और डमी फांसी दी गई, जिससे की असल फांसी के वक्त कुछ कोई चूक न हो.
अधिकारियों ने बताया कि बोरों से शरीर का पुतला बनाया गया और इसमें दोषियों के वजन के मुताबिक मिट्टी और पत्थर भरे गए थे.
हांलाकि जल्लाद पवन को डमी फांसी के लिए नहीं बुलाया गया था. जेल प्रशासन ने खुद इस प्रक्रिया को पूरा किया. निर्भया केस के सभी चार दोषियों को 22 जनवरी को फांसी दी जानी है. तिहाड़ जेल महानिदेशालय ने यूपी सरकार से बात कर यह सुनिश्चित करने को कहा है कि जल्लाद कम से कम दो दिन पहले यानी 20 जनवरी तक जेल में अनिवार्य रूप से पहुंच जाए.
ये तमाम खुलासे तिहाड़ जेल महानिदेशालय के एक आला अफसर ने शनिवार को IANS से खास बातचीत में किए. उनके मुताबिक, जेल प्रशासन को डेथ वारंट पर अमल के वास्ते जो कुछ तैयारियां करनी थीं, वे सब पूरी हो चुकी हैं. चारों मुजरिमों को एक साथ फंदे पर लटकाने के लिए एक कुआं (तहखाना) और एक तख्ता, पुराने फांसीघर में ही नया तैयार करा लिया गया है. तिहाड़ जेल में अब तक एक साथ सिर्फ दो लोगों को ही फांसी पर लटकाए जाने का इंतजाम था. जेल के अधिकारियों के मुताबिक,
उन्होंने कहा कि फांसी के बाद चारों मुजरिमों के शव पोस्टमॉर्टम के लिए दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल के फॉंरेसिक साइंस विभाग से भी जल्दी ही संपर्क कर तमाम औपचारिकताएं पूरी कर ली जाएंगी, ताकि फांसीघर से पोस्टमॉर्टम हाउस में पहुंचे शवों का पोस्टमॉर्टम पैनल द्वारा कम से कम समय में कराके शवों को वारिसान के हवाले किया जा सके.
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