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दिल्ली हिंसा: जब TMC MP ने संसद के गलियारे से दी 10 मिनट की स्पीच

डेरेक ने कहा, ‘’गृह मंत्री ने प्रभावित इलाकों का दौरा तक नहीं किया.

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टीएमसी सांसद ने दिल्ली हिंसा पर चर्चा कराने की मांग की
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टीएमसी सांसद ने दिल्ली हिंसा पर चर्चा कराने की मांग की
(फाइल फोटोः PTI) 

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टीएमसी के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने अभूतपूर्व कदम उठाते हुए संसद भवन के गलियारे से 10 मिनट का भाषण दिया और दिल्ली हिंसा पर चर्चा कराने की मांग की. उनका कहना है कि सरकार दिल्ली हिंसा पर चर्चा कराने की इच्छुक नहीं है. उन्होंने दिल्ली हिंसा को लेकर पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर कई आरोप भी लगाए.

राज्यसभा में टीएमसी के नेता डेरेक ने अपना भाषण शुरू करने से पहले कहा कि विपक्षी दल पिछले पांच दिन से लगातार इस मुद्दे पर चर्चा कराने के लिये नोटिस दे रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार दोनों सदनों में काम रोक रही है. डेरेक ने आगे कहा,

‘मैं टीएमसी की ओर से भाषण देने के लिये तैयार था. सभापति महोदय मैं क्या कर सकता हूं, सरकार संसद चलने नहीं दे रही. आज यानि शुक्रवार को मुझे अपना भाषण देना था और मैं इसे सदन में न देकर प्रथम तल पर दे रहा हूं. हमें आवाज सुनाने के लिये अलग-अलग तरीके अपनाने पड़ रहे हैं. इसलिये मैं यहां आया हूं.’

डेरेक ने अपने भाषण का वीडियो सोशल मीडिया पर भी डाला है.

'भड़काऊ नारेबाजी की हिम्मत कहां से मिली?'

डेरेक ने कहा, ''गृह मंत्री ने प्रभावित इलाकों का दौरा तक नहीं किया. हिंसा भड़काऊ नारेबाजी से शुरू हुई. हम सभी जानते हैं कि किन लोगों ने ये सब किया. उन्हें ऐसे नारे लगाने की हिम्मत कहां से मिली? ऐसा लगा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने ही इन नारों को मान्यता दी है. ये नारे कट्टरता और नफरत फैला रहे हैं.'' सांसद ने आरोप लगाया

‘पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह सिर्फ चुनावी कार्यक्रम तय करते हैं. सार्वजनिक मंचों पर पर्याप्त साक्ष्य हैं जो संकेत करते हैं कि इस तरह के दंगों और नरसंहार से सिर्फ एक राजनीतिक दल को लाभ होता है. उन्होंने संसद की कार्यवाही ठप कर रखी क्योंकि वे मुश्किल सवालों का जवाब नहीं देना चाहते.’

दिल्ली हिंसा की तुलना नाजी जर्मनी से करते हुए डेरेक ने कहा, ‘‘नरसंहार एक प्रक्रिया है, नाजियों के वक्त भी यह गैस चेंबरों से शुरू नहीं हुआ था. यह घृणा फैलाने वाले नारों से शुरू हुआ था.’’

उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि चर्चा के लिए विपक्षी दलों को दिए गए नोटिसों में से आखिरी नोटिस नवंबर 2016 में स्वीकार किया गया था.

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Published: 06 Mar 2020,09:26 PM IST

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