Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 वाजपेयी जैसा दूसरा व्यक्तित्व शायद कभी न दिखे: मृणाल पांडे

वाजपेयी जैसा दूसरा व्यक्तित्व शायद कभी न दिखे: मृणाल पांडे

पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के साथ हुई बातचीत के अनुभव को साझा कर रहीं हैं मृणाल पांडे.

मृणाल पांडे
भारत
Updated:
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मृणाल पांडे के लिए लिखे गए पत्र. (फोटोः द क्विंट)
i
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मृणाल पांडे के लिए लिखे गए पत्र. (फोटोः द क्विंट)
null

advertisement

अटल जी और धर्मवीर भारती, मेरे गुरु और हिंदी साप्ताहिक धर्मयुग के साथी संपादक का जन्मदिन एक साथ आता है, 25 दिसंबर को.

भारती जी ने द टाइम्स ऑफ इंडिया में काम करते वक्त न सिर्फ मुझे संपादन के गुर सिखाए बल्कि उन्होंने ही मुझे कैदी कविराय की कविताओं से भी परिचित कराया. इमरजेंसी के दिनों में जेल में बंद अटल इसी उपनाम से कविताएं लिखा करते थे.

बाद में मैंने उनकी कविताओं को साप्ताहिक पत्र, ‘साप्ताहिक हिंदुस्तान’ में छापा भी, पर यह तब की बात है जब में उनसे मिली नहीं थी. कविताओं के साथ मिले उनके पत्रों में वे खुद अपना मजाक बना रहे होते थे या फिर संपादन की गलतियों पर मुझे मीठा ताना दे रहे होते थे, जो कि हिंदी लेखकों के लिए एक आम बात नहीं थी, राजनेताओं के लिए तो बिलकुल भी नहीं.

एक पत्रकार के दिल की बात

एक संपादक और पाठक के तौर पर आप चाहते हो कि आपके राजनेताओं से प्रेरणा मिले. एक पत्रकार के तौर पर एक प्रसिद्ध व्याक्ति के लेखन को छापते वक्त आपके मन में होता है कि इसके जरिए पाठकों को राजनीति के अंधेरे कोनों के बारे में कुछ जानने को मिलेगा.

आज अपने कम्प्यूटर पर उस व्यक्ति के बारे में ये पंक्तियां लिखते हुए, जिसकी मैं बेहद प्रशंसा करती हूं, मैं स्वीकार करना चाहती हूं कि मैं शर्मिंदा हूं. अपनी कविता ‘क्षमा-याचना’ में उन्होंने गांधी और जेपी से माफी मांगते हुए लिखा था कि वे उनके विचारों का मान नहीं रख पाए. मैं शर्मिंदा हूं कि उस दिन मैंने उनके दर्द से ज्यादा कविता के राजनीतिक मूल्य को तवज्जो दी.

मैं ये भी स्वीकार करती हूं कि एक संपादक के रूप में मैंने उनकी कविता ‘ऊंचाई’ में छिपे उनके व्यक्तिगत नुकसान को नकार दिया. उस कविता में वे कहते हैं कि हमें ऊचे कद के नेताओं की जरूरत है पर कविता के अंत में वे कहते हैं कि ईश्वर किसी को इतनी ऊंचाई न दे कि वह अकेला पड़ जाए.

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी. (फोटो: रॉयटर्स)
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

एक मजबूत व्यक्तित्व

अटल जी अपनी कविताओं को लेकर मॉर्डनिस्ट थे पर पोस्ट मॉर्डनिस्ट नहीं. उनकी कविताओं में साफगोई भी है और शर्मीलापन भी. एक बार जब उनके अपने ही उन पर दोष लगा रहे थे तब मैंने उनकी एक प्रसिद्ध कविता को गलत पढ़ लिया, “हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा”.

मैंने उन्हें चिट्ठी लिख कर पूछा कि उनके जैसा नेता हथियार कैसे डाल सकता है, कैसे कह सकता है कि वह कोई लड़ाई नहीं करेगा.

अचानक एक रविवार की दोपहर मुझे एक फोन आया,

मृणाल जी? मैं अटल बिहारी बोल रहा हूं. मैं लगभग अपनी कुर्सी से गिर पड़ी.

उन्होंने मुझे बताया कि मैंने उनकी कविता को गलत पढ़ा है. कविता में लिखा है, “हार नहीं मानूंगा, रार नई ठानूंगा”. उन्होंने कहा कि मैं हथियार डालने वालों में से नहीं हूं.

जब वे “न तो टायर्ड, न रिटायर्ड, बस आडवाणी जी के नेतृत्व में विजय की ओर प्रस्थान” के नारे के साथ वापस मैदान में आए तो मुझे समझ आया कि यह व्यक्ति हर बार नई लड़ाई छेड़ना जानता है.

पूर्व प्रधानमंत्री को जन्मदिन की अशेष शुभकामनाएं. उनके जैसे व्यक्तित्व विरले ही नजर आते हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 25 Dec 2015,08:20 AM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT