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अयोध्या के राम मंदिर मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार बयान दे रहे हैं. बुधवार को पत्रकारों से हुई बातचीत में योगी ने कहा कि राम मंदिर देश के करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ा मामला है. इसलिए वह चाहते हैं कि सर्वसम्मति से इसका हल निकले. साथ ही योगी ने यह भी कहा कि अगर सर्वसम्मति से हल नहीं निकला तो उनके पास और भी विकल्प मौजूद हैं.
योगी ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट देश के 125 करोड़ लोगों के भरोसे का प्रतीक है. लोग हर जगह से थक-हारकर वहां शीघ्र इंसाफ के लिए जाते हैं, इसलिए लोगों की उम्मीद पूरी होनी चाहिए. मंदिर निर्माण में हो रही देरी पर विश्व हिंदू परिषद और संतों की नाराजगी पर योगी ने कहा कि सभी देश हित में काम करने वाली सरकार के साथ हैं. उन्होंने कहा, ‘मैंने उनसे (संतों और वीएचपी) धैर्य की अपील की है. मैं भरोसा दिलाता हूं कि जो भी होगा जन भावनाओं के अनुरूप और अच्छा होगा.’
गुजरात में 'स्टेच्यू आफ यूनिटी' के अनावरण के बाद बीएसपी प्रमुख मायावती ने बुधवार को कहा कि बीएसपी सरकार के समय बने स्मारकों को 'फिजूलखर्ची' बताने के लिए बीजेपी और आरएसएस को बहुजन समाज के लोगों से माफी मांगनी चाहिए.
मायावती ने भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए एक बयान में कहा, ''लगभग तीन हजार करोड़ रुपये की लागत से बनी पटेल की ‘स्टेच्यू आफ यूनिटी' प्रतिमा का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गुजरात में अनावरण के बाद बीजेपी और आरएसएस के उन सभी लोगों को बहुजन समाज के लोगों से माफी मांगनी चाहिये जो बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर सहित दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों में जन्में महान संतो, गुरुओं और महापुरुषों के सम्मान में बीएसपी सरकार द्वारा लखनऊ और नोएडा में निर्मित भव्य स्थलों, स्मारको, पार्कों को फिजूलखर्ची बताकर इसकी जबर्दस्त आलोचना किया करते थे.''
मायावती ने कहा, ''वैसे तो पटेल अपनी बोल-चाल, रहन-सहन और खान-पान में पूर्ण रूप से भारतीयता और भारतीय संस्कृति की एक मिसाल थे. लेकिन उनकी भव्य प्रतिमा का नामकरण हिंदी और भारतीय संस्कृति के नजदीक होने के बजाय स्टेच्यू ऑफ यूनिटी जैसा अंग्रेजी नाम रखना कितनी राजनीति है, यह देश की जनता अच्छी तरह से समझ रही है.''
सीतापुर में कोर्ट परिसर में वकीलों ने एसपी से अभद्रता की. इतना ही नहीं वकीलों ने बीच-बचाव कर रहे एसपी के पीआरओ और हमराह दरोगा को भी नहीं बख्शा. वकीलों ने बीच-बचाव कर रहे दोनों दरोगाओं को पीट दिया. बढ़ते हंगामे के बीच जिला जज की मध्यस्थता के बाद मामला शांत हो सका. एसपी का कहना है कि आरोपी वकीलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
एसपी प्रभाकर चौधरी ने बताया कि सीतापुर क्लब पर अवैध कब्जा हटाने को लेकर जिलाधिकारी ने निर्देश दिए थे. क्लब को कब्जा मुक्त कराने के लिए वह जिलाधिकारी शीतल वर्मा के साथ मौके पर पहुंचे. अतिक्रमण करने वाले अधिवक्ता ओम प्रकाश गुप्ता और रामपाल सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया. मौके से काफी मात्रा में शराब बरामद हुई. इसके बाद वे मॉनीटरिंग सेल की मीटिंग में शामिल होने के लिए जिला जज के पास पहुंचे.
एसपी की मानें तो इसी दौरान कोर्ट परिसर में ही कुछ वकीलों ने उनके साथ अभद्रता की. उनसे मोबाइल छीनने की कोशिश की गई. अभद्रता को लेकर जब पीआरओ विनोद मिश्रा और हमराह दरोगा प्रदीप बीचबचाव करने लगे तो उनके साथ मारपीट की गई.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपीए प्रमुख सोनिया गांधी ने उत्तर प्रदेश में अपने-अपने संसदीय क्षेत्रों की दो दिन की यात्रा को रद्द कर दिया है. दोनों नेताओं के नजदीकी सूत्रों ने यह जानकारी दी है. राहुल गांधी और सोनिया गांधी को क्रमश: अमेठी और राय बरेली के अपने लोकसभा क्षेत्रों में गुरुवार और शुक्रवार को कुछ कार्यक्रमों में शिरकत करनी थी.
सूत्रों ने बताया कि मध्य प्रदेश और राजस्थान के लिए केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक की वजह से उन्हें अपनी यात्रा को रद्द करना पड़ा. सोनिया गांधी को अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली में जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति की बैठक की अध्यक्षता करनी थी और एक सम्मेलन में कार्यकर्ताओं को संबोधित करना था. वहीं राहुल गांधी को भी अमेठी में कुछ बैठकों और कार्यक्रमों में शिरकत करनी थी. सूत्रों ने बताया कि पार्टी उनकी यात्रा को रद्द किए जाने के संबंध में जिला अधिकारियों को पत्र लिखा है.
मेरठ के 1987 के हाशिमपुरा नरसंहार मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को जैसे ही निचली अदालत का फैसला पलटते हुए 16 पूर्व पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई पीड़ित परिजनों की आंखों से आंसू छलक उठे. इन आंसुओं में अपनों को खोने का गम था तो फैसले को लेकर सुकून भी. हालांकि भरी आंखों से कुछ पीड़ितों ने कहा "दोषियों को फांसी की सजा मिलती तो ज्यादा सुकून आता."
हाशिमपुरा कांड में करीब 31 साल बाद आए फैसले पर हाशिमपुरा कांड के पीड़ितों और गवाहों ने बातचीत की. उम्रकैद की सजा के इस फैसले से लोग थोड़ा संतुष्ट तो दिखे,लेकिन उनका कहना था कि दोषियों को फांसी की सजा होनी चाहिये थी. इस मामले में गवाह जुल्फिकार ने आरोप लगाया कि इस नरसंहार के बाद पुलिस के साथ ही प्रदेश सरकार ने भी परेशान किया. कार्रवाई के नाम पर पक्षपात हुआ. उन्होंने कहा कि " पुलिस और सरकार ने हमेशा से इस केस को कमजोर करने की कोशिश की, मगर हमने हिम्मत नहीं हारी और केस लड़ते रहे. देर से सही मगर आज इंसाफ मिला है. लेकिन अगर दोषियों को फांसी की सजा सुनाई जाती तो और सुकून मिलता."
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