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तीन तलाक बिल राज्यसभा में अटका, कांग्रेस समेत अड़ गया विपक्ष

गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि ये बिल मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है

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भारत
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28 दिसंबर को सरकार ने ये बिल लोकसभा में पास करा लिया था.
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28 दिसंबर को सरकार ने ये बिल लोकसभा में पास करा लिया था.
(फोटो: द क्विंट)

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  • तीन तलाक बिल को बर्बाद करना चाहती  है कांग्रेस: जेटली
  • मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है ये बिल: गुलाम नबी आजाद
  • कांग्रेस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजना चाहती है
  • बिल को बर्बाद करने वाले सेलेक्ट कमेटी में न हो: बीजेपी
  • शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए राज्यसभा स्थगित

तीन तलाक बिल पर राज्यसभा में दूसरे दिन भी गतिरोध जारी रहा. कांग्रेस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने पर अड़ी हुई है, वहीं बीजेपी इसे जल्द से जल्द पास कराना चाहती है. कार्यवाही के दौरान अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि कांग्रेस इस बिल को बर्बाद करना चाहती है. वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद का कहना है ये बिल मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ साबित होगा.

राज्यसभा की कार्यवाही को शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है.

बता दें कि सरकार के पास इस बिल को पास कराने के लिए गुरुवार का समय है. क्योंकि शुक्रवार को संसद की शीतकालीन सत्र खत्म हो जाएगा.

राज्यसभा में पेश तीन तलाक  विधेयक(फोटो: Reuters)

विपक्ष बिल को क्यों भेजना चाहती है स्टैंडिंग कमिटी के पास?

दरअसल लोकसभा में जो बिल पास हुआ है उसमें एक बार में तीन बार तलाक कहने वाले पति को 3 साल की जेल का प्रावधान है. ऐसे में विपक्षी पार्टियों को इस पर ऐतराज है. साथ ही कुछ विपक्षी पार्टियों को इस बात पर भी ऐतराज है कि जब एक बार में तीन तलाक मतलब तलाक-ए-बिद्दत इस्लाम में वैध नहीं है तो इस पर इस तरह के कानून बनाने का क्या मतलब.

वहीं एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी की तरफ से लोकसभा में यह सवाल उठाया जा चुका है कि जब शौहर जेल चला जाएगा, तो तलाकशुदा औरत को गुजारा भत्ता कौन देगा.

क्या-क्या हुआ बुधवार को राज्यसभा में?

विपक्ष के जोरदार हंगामे के बीच बुधवार को सरकार की ओर से रवि शंकर प्रसाद ने 'मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण बिल-2017' राज्यसभा में पेश किया. साथ ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष पर तीन तलाक बिल को सदन के पटल पर रखने से बचने के लिए हंगामा करने का आरोप लगाया, जिसे विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने खारिज कर दिया.

जैसे ही विधेयक को पेश किया गया, तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदू शेखर रॉय ने आसन का ध्यान नियम 125 पर केंद्रित किया, जिसके तहत सांसद विधेयक को प्रवर समिति को संदर्भित करने की सिफारिश कर सकते हैं.

कांग्रेस का बदला अंदाज

दरअसल, लोकसभा में आसानी से बिल पास हो जाने के बाद सरकार को उम्मीद थी कि राज्यसभा में उसे कांग्रेस का सहयोग मिलेगा. लेकिन अबतक इस मामले में खामोश कांग्रेस ने राज्यसभा में इस बिल में मोजूद कुछ प्रावधानों को बदलने की मांग रखी. साथ ही कांग्रेस ने इस बिल को विचार विमर्श करने के लिए राज्यसभा की सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने पर अड़ गई.

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने बिल में संशोधन पेश किया जिसमें कहा गया है,

यह सदन महिलाओं के सशक्तिकरण और महिलाओं के अधिकारों के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है, मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017, जिसे लोकसभा में पारित किया गया है, को राज्यसभा की प्रवर समिति के पास संसदीय जांच के लिए संदर्भित करता है, ताकि महिलाओं को पूर्ण न्याय और उनके हितों व कल्याण की रक्षा को सुनिश्चित किया जा सके.
आनंद शर्मा, कांग्रेस नेता

फिलहाल राज्यसभा में गुरुवार को शाम इस बिल पर चर्चा होने की उम्मीद है.

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Published: 04 Jan 2018,02:45 PM IST

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