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लोकसभा में तीन तलाक बिल पारित हो गया. ट्रिपल तलाक को गैर जमानती अपराध बनाने के लिए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण’ विधेयक पेश किया था, जिसमें संशोधन के लिए ऑल इंडिया मज्लिस ए इतेहादुल मुसलिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने संशोधन पेश किया था लेकिन इसके समर्थन में सिर्फ दो वोट पड़े. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने इस पर सख्त कानून बनाने का फैसला किया था.
कांग्रेस ने लोकसभा में इस बिल का समर्थन किया. पार्टी इस बिल पर कोई संशोधन नहीं लाएगी सिर्फ अपना सुझाव देगी.
लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा-
हम सभी इस विधेयक का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन कुछ बिंदु हैं जिसे स्टैंडिग कमिटी में सुधारा जा सकता है. हम एक साथ बैठ सकते हैं और उसे सुलझा सकते हैं.
विपक्ष की आपत्तियों पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘आज हम इतिहास बना रहे हैं, ये कानून नारी-न्याय, नारी गरिमा और नारी सम्मान का है.’ उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी ट्रिपल तलाक के 100 मामले सामने आए.
उन्होंने मल्लिकार्जुन खड़गे को समर्थन के लिए शुक्रिया कहा और कहा कि सरकार उनके सुझावों को कानून में शामिल करने पर विचार करेगी.
कानून मंत्री ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि इस्लामी मुल्कों में भी तीन तलाक नहीं है. वहां भी तलाक से पहले नोटिस देते हैं.
3 तलाक कानून पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से विरोध किया जा रहा है. विदेश मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री एम जे अकबर ने इस मामले पर कहा कि-
आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की विश्वसनीयता क्या है? किसने उन्हें समुदाय के प्रतिनिधियों के रूप में चुना?
हैदराबाद से एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ये बिल मूलभूत अधिकारों का हनन करता है. इसके अलावा आरजेडी और बीजेडी ने भी इस बिल का विरोध किया है. आरजेडी ने तीन तलाक बिल में सजा के प्रावधान का विरोध किया.
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उत्तर प्रदेश सरकार में वक्फ और हज मंत्री मोहसिन रजा ने बिल के पक्ष में कहा-
लोकसभा में कांग्रेस नेता सुष्मिता देव ने ट्रिपल तलाक बिल पर सवाल उठाया.
संसद में तीन तलाक बिल पेश होने से पहले बीजेपी संसदीय दल की बैठक शुरू हुई. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह के साथ बीजेपी के कई बड़े मंत्री और नेता मौजूद रहें.
बिल में तत्काल तीन तलाक को सजा की श्रेणी में रखा गया है और उसे संवैधानिक, नैतिकता और लैंगिक समानता के खिलाफ बताया गया है. विधेयक में ऐसा करने वालो के लिए सजा और जुर्माने का प्रावधान है. सजा को बढ़ाकर तीन साल तक किया जा सकता है.
बिल का कई मुस्लिम संगठनों ने विरोध किया है, इससे पहले, केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने सभी विपक्षी पार्टियों को बिल पारित करवाने में मदद करने का आग्रह किया था. वहीं संसद में तीन तलाक विरोधी बिल पेश होने से रोकने की ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की अपील के बीच मुस्लिम महिला संगठनों ने कहा है कि अगर यह विधेयक कुरान की रोशनी और संविधान के दस्तूर पर आधारित नहीं होगा तो इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा.
बोर्ड ने केंद्र सरकार से गुजारिश की है कि वो अभी इस विधेयक को संसद में पेश न करे. अगर सरकार को यह बहुत जरुरी लगता है तो वह उससे पहले मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मुस्लिम महिला संगठनों से बात कर ले.
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सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को ट्रिपल तलाक को पर रोक लगाई थी. कोर्ट के आदेश के बाद सरकार का मानना था कि यह परंपरा बंद हो जाएगी. लेकिन ये अब तक जारी रही. इस साल फैसले से पहले इस तरह के तलाक के 177 मामले, जबकि इस फैसले के बाद 66 मामले दर्ज हुए. उत्तर प्रदेश इस सूची में टॉप पर है. इसलिए सरकार ने कानून बनाने की योजना बनाई.
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