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तीन तलाक को आपराधिक और दंडनीय बनाने का प्रावधान करने वाले विधेयक को राज्यसभा में पेश करने के दौरान सरकार और विपक्ष आमने-सामने आ सकते हैं. विपक्ष इस विधेयक की विस्तृत समीक्षा के लिए इसे प्रवर समिति के पास भेजने की मांग कर सकते हैं. लेकिन फिलहाल खबर आ रही है कि मंगलवार को तीन तलाक बिल राज्यसभा में पेश नहीं होगा. विधेयक पर आगे का रुख तय करने के लिए विपक्षी दल मंगलवार सुबह मिलने वाले हैं. इस विधेयक को 28 दिसंबर को लोकसभा पारित कर चुकी है जहां सरकार बहुमत में है.
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा, “हम कांग्रेस पार्टी और बाकी विपक्षी पार्टियों के लोगों के साथ तीन तलाक बिल के लिए बातचीत कर रहे हैं. हमें उम्मीद करते है कि राज्यसभा में आसानी से ये बिल पास हो जाएगा.”
लेकिन, राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है. ऐसे में सरकार विधेयक को सदन में पारित कराने के लिए कुछ विपक्षी दलों के संपर्क में है. मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2017 मंगलवार को राज्यसभा में विचार और पारित कराने के लिए सूची में है.
Q-जानकारी: क्या है प्रवर समिति
संसद में दो तरह की समितियां होती हैं स्थाई और तदर्थ. स्थाई समिति की नियुक्ति हर साल होती रहती हैं और ये लगातार काम करती हैं. वहीं तदर्थ समितियों की नियुक्ति किसी खास जरूरत की वजह से की जाती है और काम पूरा होने के बाद उसे खत्म कर दिया जाता है. प्रवर समिति, तदर्थ समिति का ही हिस्सा हैं, इसका गठन विधेयक पर खास तौर से विचार करने के लिए किया जाता है. बता दें कि इस समिति की सिफारिशें सलाह के लिए होती हैं, उन्हें मानने के लिए संसद विवश नहीं है.
कांग्रेस और कुछ दूसरे दलों ने लोकसभा में मांग की थी कि विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजा जाए लेकिन सरकार ने इस मांग को ठुकरा दिया था. विपक्ष के विधेयक में सुझाए गए संशोधनों को भी खारिज कर दिया गया था.
विपक्षी सूत्रों का कहना है कि कई दल विधेयक को ऊपरी सदन की प्रवर समिति के पास भेजने के पक्ष में हैं.
कांग्रेस में एक विचार ये पाया जा रहा है कि अगर तीन तलाक को दंडनीय बनाने या सजा की अवधि कम किया जाना संभव न हो तो भी पार्टी को इसे जमानती मामला बनाए जाने पर जोर देना चाहिए.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि उनकी पार्टी तीन तलाक का विरोध करती है और इसका खात्मा चाहती है. लेकिन विधेयक में एक आपराधिक पहलू जोड़ दिया गया है. (मुसलमानों में) विवाह एक नागरिक संविदा है और नया कानून इसमें एक आपराधिक पहलू जोड़ रहा है जो कि गलत है. उन्होंने कहा, " बीजेपी राजनैतिक लाभ और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए इस विधेयक को जल्दबाजी में लेकर आई है."
एनसीपी के सीनियर लीडर मजीद मेनन ने कहा कि हमारी पार्टी एनसीपी ने पहले ही साफ कर दिया है कि हम पूरी तरह से अपराधीकरण के खिलाफ हैं.
“इस्लाम में शादी एक सीविल कॉंट्रेक्ट है. आप एक साथ तीन अनुचित तलाक देने वाले पति को 3 साल की सजा नहीं दे सकते हैं. इसे पुनर्विचार के लिए चयन समिति के पास जाने देना चाहिए.”
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