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ट्रिपल तलाक पर SC का फैसला, 5 पाॅइंट्स में समझिए पूरा मामला

मुस्लिम समुदाय में तलाक देने के तीन तरीके- तलाक-ए-बिद्दत, तलाक हसन और तलाक अहसन हैं

कौशिकी कश्यप
भारत
Published:


सुप्रीम कोर्ट ने तलाक-ए-बिद्दत को असंवैधानिक करार दिया है.
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सुप्रीम कोर्ट ने तलाक-ए-बिद्दत को असंवैधानिक करार दिया है.
(फोटो: Rahul Gupta/The Quint)

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मुस्लिम समुदाय में तलाक देने के तीन तरीके हैं- तलाक-ए-बिद्दत, तलाक हसन और तलाक अहसन. सुप्रीम कोर्ट ने (इंस्टैंट तलाक) एक बार में ट्रिपल तलाक या तलाक-ए-बिद्दत को असंवैधानिक करार दिया है.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से जुड़ी कुछ अहम बातों को हम कुछ पॉइंट में समझा रहे हैं.

1.क्या ट्रिपल तलाक खत्म हो गया?

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में ट्रिपल तलाक या तलाक-ए-बिद्दत को असंवैधानिक, गैरकानूनी करार दिया है. लेकिन दो तलाक और हैं, जिनके बारे में अब तक कोई बात नहीं हुई है.

2.क्या है कोर्ट का फैसला?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रिपल तलाक की प्रथा कुरान के मूल सिद्धांत के खिलाफ है. चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बेंच ने अपने 395 पेज के फैसले में कहा, ‘3:2 के बहुमत से दर्ज की गई अलग-अलग राय के मद्देनजर तलाक-ए-बिद्दत (तीन तलाक) को निरस्त किया जाता है.’

3.क्या बनेगा इसके खिलाफ कानून?

असंवैधानिक करार देने के बावजूद सरकार को इस पर कानून बनाने का निर्देश दिया गया है. चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर और जस्टिस एस अब्दुल नजीर ने तीन तलाक की इस प्रथा पर छह महीने की रोक लगाने की हिमायत करते हुए सरकार से कहा कि वह इस बारे में कानून बनाए. बाकी तीन जज ने इस पर सीधा कुछ नहीं कहा.

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4.क्यों हो रहा है कोर्ट के फैसले पर कंफ्यूजन?

सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ को फैसला देना था. बारी-बारी से सभी पांचों जज को फैसला सुनाना था. चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर ने सबसे पहले अपना फैसला दिया, जिसमें तीन तलाक को संवैधानिक बताया गया. चार जजों का फैसला आना बाकी था. जब बाकी जजों का फैसला आया, तब जाकर पूरी तस्‍वीर सामने आई.

3:2 के बहुमत से दर्ज की गई अलग-अलग राय के मद्देनजर तीन तलाक को असंवैधानिक बताया गया. जस्टिस कुरियन जोसेफ, आरएफ नरीमन और उदय यू ललित ने इस प्रथा को संविधान का उल्लंघन करने वाला करार दिया.

5.क्या रही सुनवाई करने वाले जजों की राय?

  • जस्टिस जगदीश सिंह खेहर, जस्टिस एस अब्दुल नजीर ने कहा- ट्रिपल तलाक मुस्लिम पर्सनल लाॅ का हिस्सा है. काफी अरसे से प्रैक्टिस होता आ रहा है. ये मुस्लिम समाज के बुनियादी अधिकार का हिस्सा है.
  • 3 जजों जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस उदय यू ललित का मानना था कि ये असंवैधानिक है.
  • जस्टिस कुरियन ने कहा कि इसे इसलिए भी खत्म होना चाहिए, क्योंकि ये कुरान का हिस्सा नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले में कानूनी पेच है, जिसे लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं:

ट्रिपल तलाक कोई कानून नहीं है, एक प्रैक्टिस है. तो क्या किसी प्रैक्टिस को असंवैधानिक करार दिया जा सकता है?
फैसला नया नहीं
शमीम आरा vs स्टेट आॅफ यूपी 2002 के मामले में इंस्टैंट तलाक को निरस्त किया गया था.15 साल पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने इसे अमान्य करार दिया था.

अब आगे क्या?

इस फैसले के बाद मुमकिन है कि सरकार यूनिफाॅर्म सिविल कोड बनाने की पहल करे. शादी, तलाक, विरासत जैसे मुद्दों पर की सभी समुदायों के पर्सनल लाॅ को निरस्त कर एकसमान कानून बनाया जाए.

वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) आगे की रणनीति तय करने में जुटा है. बताया जा रहा है कि बोर्ड की 10 सितंबर को भोपाल में बैठक होने जा रही है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी.

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