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त्रिपुरा हिंसा:फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट को लेकर वकीलों को UAPA के तहत नोटिस

त्रिपुरा पुलिस ने सोशल मीडिया पर कथित रूप से भड़काऊ और फर्जी पोस्ट को लेकर 71 लोगों के खिलाफ 5 मामले दर्ज किए हैं.

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<div class="paragraphs"><p>त्रिपुरा के दो वकीलों पर UAPA के तहत नोटिस</p></div>
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त्रिपुरा के दो वकीलों पर UAPA के तहत नोटिस

(फोटो: Altered by Quint)

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त्रिपुरा (Tripura) में मुस्लिमों के खिलाफ हुई हिंसा पर जारी की गई फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट को लेकर त्रिपुरा पुलिस ने दो वकीलों पर ही UAPA के तहत नोटिस बेजा है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम अगरतला पुलिस स्टेशन द्वारा सीआरपीसी की धारा 41 के तहत भेजे गए एक नोटिस में पीयूसीएल के वकील मुकेश (जो दिल्ली में स्थित एक वकील हैं) के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत नोटिस भेजा है.

ये दोनों वकील उसी फैक्ट फाइंडिंग टीम का हिस्सा थे जिसमें सुप्रीम कोर्ट के वकील एहतेशाम हाशमी, लॉयर्स फॉर डेमोक्रेसी के एडवोकेट अमित श्रीवास्तव भी शामिल थे.

इस टीम ने मंगलवार को रिपोर्ट जारी की थी जिसमें बताया गया था कि अगर त्रिपुरा की बीजेपी सरकार चाहती तो वह मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ पूर्व नियोजित हिंसा को विफल कर सकती थी, लेकिन उसने कथित तौर पर हिंदुओं की भीड़ को खुली छूट दे दी.

नोटिस के मुताबिक, पश्चिम अगरतला पुलिस स्टेशन में आईपीसी और यूएपीए की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है, सोशल मीडिया पोस्ट को प्रसारित करना / धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के साथ-साथ विभिन्न धार्मिक समुदायों के लोगों के बीच शांति भंग करने के लिए बयान देने के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.
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नोटिस में लिखा है कि, "जांच के दौरान, मामले के संबंध में आपकी संलिप्तता पाई गई है, इसलिए आपसे सवाल किए जा सकते हैं ताकि मामले से संबंधित तथ्यों और परिस्थितियों का पता लगाया जा सकें".

यूएपीए नोटिस में दोनों वकीलों से अनुरोध किया गया है कि वे "सोशल मीडिया में आपके द्वारा किए गए / प्रसारित किए गए इन मनगढ़ंत और झूठे बयानों / टिप्पणियों को तुरंत हटा दें".

आगे दोनों वकीलों को 10 नवंबर तक पश्चिम अगरतला पुलिस स्टेशन के सामने पेश होने का निर्देश दिया गया है. त्रिपुरा पुलिस ने बुधवार को कहा कि सोशल मीडिया पर कथित रूप से भड़काऊ और फर्जी पोस्ट को लेकर 71 लोगों के खिलाफ पांच आपराधिक मामले दर्ज किए हैं.

त्रिपुरा पुलिस ने कहा कि "बाहर के समूहों ने सोशल मीडिया पर जलती हुई मस्जिद की फर्जी तस्वीरें अपलोड करके त्रिपुरा में अशांति पैदा करने और राज्य की छवि खराब करने के लिए प्रशासन के खिलाफ साजिश रची थी."

हिंसा पर जारी फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में क्या है

त्रिपुरा हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट के वकीलों और मानवाधिकार संगठनों की एक जांच टीम द्वारा तैयार रिपोर्ट में यह पाया गया है कि त्रिपुरा के 51 जगहों पर मुसलमानों पर हमला किया गया और 12 मस्जिदों में तोड़फोड़ की गई और क्षतिग्रस्त किया गया.

त्रिपुरा में कैसे शुरू हुई हिंसा

दरअसल, बांग्लादेश की राजधानी ढाका में दुर्गा पूजा पंडाल में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप को लेकर हिंसा हुई थी. इस हिंसा में कई लोग मारे गए थे और सैकड़ों घायल हो गए थे. बांग्लादेश में हुई हिंसा के विरोध में राइट विंग के कई संगठनों ने त्रिपुरा में रैलियां निकालीं. लेकिन ये रैलियों ने हिंसक रूप ले लिया. त्रिपुरा के आठ में से करीब पांच जिले हिंसा की चपेट में आ गए. सिपाहीजाला, गोमती, उनाकोटी, वेस्ट त्रिपुरा, नॉथ त्रिपुरा. जिन इलाकों से रैली गुजरी वहां तोड़फोड़ और आगजनी हुई. दर्जनों दुकान, घर और मस्जिद को निशाना बनाया गया.

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