advertisement
सुशांत सिंह राजपूत को लेकर न्यूज चैनलों की कवरेज पर उठते सवालों के बीच मुंबई पुलिस ने एक बड़ा खुलासा किया. पुलिस कमिश्नर ने सामने आकर दावा किया कि उन्होंने न्यूज चैनलों के टीआरपी रैकेट का फंडाभोड़ किया है, साथ ही बताया गया कि कैसे ये चैनल टीआरपी चुराने का काम कर रहे थे. इसके बाद मामला हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गया. वहीं अब सीबीआई भी इस मामले में शामिल हो चुकी है. हम आपको बता रहे हैं कि टीआरपी घोटाले को लेकर शुरू से लेकर अब तक क्या-क्या हुआ है और किसने क्या कहा है.
8 अक्टूबर 2020 की शाम को अचानक मुंबई पुलिस कमिश्नर की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई. जिसमें उन्होंने बताया कि कुछ चैनल टीआरपी के हेरफेर मामले में जांच के दायरे में आए हैं. साथ ही कमिश्नर ने ये भी दावा किया कि ये लोग पैसे देकर टीआरपी खरीदने का काम कर रहे थे. लेकिन जो सबसे अहम था वो था तीन चैनलों का नाम.
अब मुंबई पुलिस कमिश्नर ने जब इस पूरे मामले का खुलासा किया था तो उसमें क्या बड़ी बातें कहीं थीं, ये यहां कुछ प्वाइंटर्स में जान लीजिए.
इसके तुरंत बाद रिपब्लिक टीवी की तरफ से सफाई भी आ गई. चैनल ने एक बयान जारी कर कहा कि, "हमने एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले को लेकर मुंबई पुलिस कमिश्नर से सवाल पूछे थे, इसीलिए हमारा नाम इसमें घसीटा गया है. इसके लिए चैनल पुलिस कमिश्नर के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस करेगा. बार्क की किसी भी रिपोर्ट में रिपब्लिक टीवी का जिक्र नहीं है. भारत की जनता सच जानती है."
अब इसके बाद 10 अक्टूबर को रिपब्लिक टीवी की तरफ से बताया गया कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले के खिलाफ याचिका दायर की है. दरअसल रिपब्लिक टीवी के चीफ फायनेंशियल ऑफिसर (CFO) को मुंबई पुलिस ने पूछताछ के लिए समन किया था. जिसके बाद इससे राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई.
15 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने रिपब्लिक टीवी की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि रिपब्लिक टीवी को भी किसी आम नागरिक की ही तरह पहले हाईकोर्ट में अपील करनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट पर भरोसा रखना चाहिए. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस कमिश्नरों के न्यूज चैनलों को इंटरव्यू दिए जाने को लेकर भी चिंता जताई. बता दें कि मुंबई पुलिस कमिश्नर ने इस खुलासे के बाद कुछ टीवी चैनल्स के साथ बाचतीत की थी.
दरअसल रिपब्लिक टीवी ने अपनी याचिका में सीबीआई जांच की भी मांग की थी, जिस पर मुंबई पुलिस की तरफ से पेश हुए वकील ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी पर आरोप लगाया था कि वो गवाहों को धमकाने का काम कर रहे हैं. साथ ही वकील ने ये भी कहा कि आरोपी चैनल ये तय नहीं कर सकता है कि कौन उसकी जांच करेगा.
19 अक्टूबर को बॉम्बे हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई. इस सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस से कहा कि वो रिपब्लिक टीवी के मालिक और एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी को समन कर सकती है. कोर्ट ने कहा कि अगर अर्णब इस केस में आरोपी हैं या फिर बनाए जाते हैं तो मुंबई पुलिस उन्हें पूछताछ के लिए बुला सकती है.
20 अक्टूबर को बताया गया कि टीआरपी मामले में सीबीआई ने एक केस दर्ज किया है. लेकिन ये केस मुंबई में चल रही जांच को लेकर नहीं, बल्कि यूपी में दर्ज एक शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया है. लखनऊ में गोल्डन रैबिट कम्युनिकेशंस ने टीआरपी घोटाले को लेकर एक शिकायत दर्ज करवाई थी, जिसे यूपी सरकार ने सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया.
अब इस पूरी कहानी और सीबीआई की एंट्री के बाद एक बार फिर ये बहस शुरू हो चुकी है कि सुशांत सिंह केस की तरह ये केस भी मुंबई पुलिस से लिया जा सकता है. इसे देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने तुरंत एक फैसला लिया, ठाकरे सरकार ने कहा कि वो राज्य में CBI जांच के लिए दिए गए जनरल कंसेंट को वापस ले रहे हैं. यानी सीबीआई को महाराष्ट्र में किसी केस की जांच के लिए पहले सरकार की इजाजत लेनी होगी.
फिलहाल इस मामले में मुंबई पुलिस की एक टीम लगातार जांच कर रही है और बताया गया है कि 2 और लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है. इससे पहले 4 गिरफ्तारियां हुई थीं. ये भी बताया जा रहा है कि जरूरत पड़ने पर अर्णब गोस्वामी को भी पूछताछ के लिए समन किया जा सकता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)