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यूएस ने भारत से छीना GSP दर्जा, जानिए क्या है GSP और क्या होगा असर

जानिए- GSP दर्जा वापस लेने के पीछे अमेरिका ने क्या दलील दी है

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ पीएम नरेंद्र मोदी
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ पीएम नरेंद्र मोदी
(फाइल फोटोः Reuters)

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्यापार के मसलों पर अपना कड़ा रुख अख्तियार करते हुए जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज (जीएसपी) के तहत भारत के लिए 5.6 अरब डॉलर की व्यापार रियायत पांच जून से खत्म करने का फैसला किया है.

ट्रंप ने कहा, "मैंने पाया है भारत ने अमेरिका को आश्वस्त नहीं किया है कि वह उसे बाजार में बराबरी की हिस्सेदारी देगा." उन्होंने कहा, "5 जून, 2019 से विकासशील देश के लाभार्थी के तौर पर भारत के ओहदे को खत्म करना उचित है."

क्या है GSP दर्जा?

GSP यानी जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज. ये अमेरिका द्वारा अन्य देशों को व्यापार में दी जाने वाली तरजीह की सबसे पुरानी और बड़ी प्रणाली है. इसके तहत अमेरिका विकासशील देशों में आर्थिक तरक्की के लिए अपने यहां बिना टैक्स सामानों का आयात करता है. अमेरिका ने दुनिया के 129 देशों को यह सुविधा दी है जहां से 4800 प्रोडक्ट का आयात होता है.

इसकी शुरुआत 1976 में विकासशील देशों में आर्थिक तरक्की के लिए की गई थी. दर्जा प्राप्त देशों को हजारों सामान बिना किसी शुल्क के अमेरिका को निर्यात करने की छूट मिलती है. जीएसपी कार्यक्रम के दायरे में 1975 में आया भारत इस कार्यक्रम के तहत अमेरिका में सबसे बड़ा लाभार्थी है.

GSP दर्जा छिन जाने का असर क्या होगा?

अमेरिका के GSP कार्यक्रम के तहत लाभार्थी विकासशील देशों के उत्पादों पर अमेरिका में कोई आयात शुल्क नहीं लगता है. भारत को GSP के तहत 5.6 अरब डॉलर यानी करीब 40,000 करोड़ रुपये के एक्सपोर्ट पर छूट मिलती है. GSP से बाहर होने पर भारत को यह फायदा नहीं मिलेगा.

भारतीय निर्यातकों के मुताबिक, अमेरिका के इस फैसले से कुल निर्यात पर खास असर नहीं होगा, लेकिन पांच क्षेत्रों के निर्यात पर विपरीत असर पड़ेगा. इनमें चमड़ा उत्पाद, नकली आभूषण, फार्मा, रसायन, प्लास्टिक और कृषि शामिल हैं.

भारत और अमेरिका के बीच 2017 में 126.2 अरब डॉलर का व्यापार हुआ, जिसमें अमेरिका का व्यापार घाटा 27.3 अरब डॉलर था.

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GSP दर्जा वापस लेने के पीछे अमेरिका की दलील

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि उन्होंने ये फैसला इसलिए लिया है क्योंकि उन्हें भारत से ये आश्वासन नहीं मिल पाया है कि वह अपने बाजार में अमेरिकी उत्पादों को बराबर की छूट देगा. ट्रंप का कहना है कि भारत में पाबंदियों की वजह से उसे व्यापारिक नुकसान हो रहा है.

ट्रंप ने कहा है कि भारत जीएसपी के मापदंड पूरे करने में नाकाम रहा है.

अमेरिका के फैसले पर भारत की प्रतिक्रिया

वाणिज्य मंत्रालय ने अमेरिका द्वारा भारत को जेनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज (जीएसपी) के तहत मिलने वाला लाभ पांच जून से खत्म करने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कहा है-

यह दुर्भाग्यूपूर्ण है कि अमेरिका ने इसे स्वीकार नहीं किया. अमेरिका और अन्य देशों की तरह भारत हमेशा इन मामलों में अपने राष्ट्रीय हित को बनाए रखेगा.

चीन को हो सकता है फायदा

अमेरिका के इस फैसले से चीन को फायदा पहुंच सकता है. अमेरिकन एपेरल एंड फुटवियर एसोसिएशन ने यूएसटीआर को लिखा है कि अगर इंडोनेशिया और थाईलैंड के साथ-साथ भारत से जीएसपी फायदा वापस लिया जाता है तो उनके पास चीन की तरफ लौटने के सिवा कोई उपाय नहीं होगा.

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस के प्रमुख का मानना है कि इसका अप्रत्यक्ष रूप से चीन को भी फायदा होगा. 2019 के पहले दो महीनों में, भारत से जीएसपी आयात धारा 301 सूचियों में शामिल प्रोडक्ट्स के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन उन प्रोडक्ट्स के निर्यात में गिरावट आई है जिनमें चीन के लिए नया शुल्क लागू नहीं किया गया है.

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