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माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर ने हाल ही में 52 ट्वीट्स को सेंसर कर दिया था. ये ट्वीट्स कोरोना वायरस को लेकर किए गए थे. अब इन ट्वीट्स को लेकर एक रिव्यू में सामने आया है कि इसमें भारत में कोरोना वायरस संकट पर गौर किया गया और इसे संभालने में नाकाम रही मोदी सरकार की आलोचना की गई थी.
ट्वीट्स के रिव्यू में सामने आया है कि इनमें भारत में कोविड संकट को हाईलाइट किया गया था और सरकार के आपदा को सही से हैंडल नहीं करने को लेकर आलोचना की गई थी.
जिन ट्वीट्स को हटाया गया है, उसमें पीएम मोदी के इस्तीफे की मांग सहित कोविड स्थिति, तबलीगी जमात विवाद, हाल ही में हुए कुंभ मेला, जिसके बाद पॉजिटिव केसों की संख्या में काफी उछाल आया, जैसी बातें की गई थीं.
भारत की टेक पॉलिसी पर नजर रखने वाला न्यूज पोर्टल, मीडियानामा के मुताबिक, जिन लोगों के ट्वीट सेंसर किए गए हैं, उसमें पश्चिम बंगाल में मंत्री मलय घटक, एक्टर विनीत कुमार सिंह, फिल्ममेकर विनोद कापड़ी और अविनाश दास और सांसद रेवंत रेड्डी शामिल हैं.
रेड्डी ने भारत में कोविड के रोजाना आते दो लाख केसों और चरमराते हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को हाईलाइट करने के लिए #ModiMadeDisaster हैशटैग का इस्तेमाल किया था. ये सभी ट्वीट भारत में सेंसर कर दिए गए हैं और केवल बाहर के लोग ही इसे देख सकते हैं.
वहीं, पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री मलय घटक ने ट्वीट में लिखा था, “कोरोना को कमतर आंकने और मिसमैनेजमेंट की वजह से इतने लोगों को मरने छोड़ने के लिए भारत कभी पीएम नरेंद्र मोदी को माफ नहीं करेगा.” घटक ने अपने ट्वीट में मोदी को 'नीरो' भी कहा था.
ABP न्यूज एडिटर पंकज झा ने अपने ट्वीट में तबलीगी जमात और कुंभ मेला (जिसे कोविड की दूसरी वेव में भी जारी रखा गया) को लेकर सरकार के डबल स्टैंडर्ड पर सवाल खड़ा किया था.
फ्रीलांस जर्नलिस्ट और एक्टिविस्ट पीटर फ्रेडरिक ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कंफर्म किया कि उन्हें माइक्रो ब्लॉगिंग कंपनी से ट्वीट के लिए नोटिस मिला है.
फ्रेडरिक ने एक दूसरे ट्वीट में लिखा, “ट्विटर से 'नोटिस ऑफ विदहोल्डिंग' मिला, जिसमें लिखा है कि भारतीय मेरे ट्वीट्स को नहीं देख सकते, क्योंकि सच्चाई दिखाना जाहिर तौर पर मोदी की भावनाओं को आहत करता है. क्या आप जानते हैं कि भारतीय कानून, सरकार को उन इंटरनेशनल ट्वीट्स को सेंसर करने की अनुमति देता है जो उसे पसंद नहीं है?”
नोटिस में लिखा है कि ये ट्वीट्स कानूनी मांग के जवाब में भारत में रोक दिए गए हैं.
कांग्रेस के प्रवक्ता, पवन खेड़ा ने अपने एक ट्वीट में कुंभ मेला के विजुअल्स शेयर किए थे और लिखा था, “जब देश में 6000 कोरोना के मामले थे, तब तबलीगी जमात की सामूहिक निंदा सब ने की. आज देश में 1,68,919 मामले हैं, तब कुंभ स्नान एंव चुनावी रैलियों पर हमारी सामूहिक चुप्पी भी सब सुन रहे हैं. क्या हम सब सत्तापक्ष की दो कौड़ी की राजनीतिक विचारधारा के हाथ के खिलौने बन रहे हैं.” खेड़ा के इस ट्वीट को अब हटा लिया गया है.
खेड़ा ने सेंसरशिप को अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन बताते हुए एक लीगल नोटिस भी फाइल किया है.
आईटी मंत्रालय की इस मामले पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. वहीं, ट्विटर के प्रवक्ता ने मीडियानामा से कहा कि वो केवल कोविड से जुड़ी भ्रामक जानकारी हटाते हैं, जिनसे खतरा होता है.
ट्विटर के प्रवक्ता ने कहा, “जब हमें एक वैध लीगल रिक्वेस्ट मिलती है, तो हम उसे ट्विटर के कानून और स्थानीय कानून के तहत रिव्यू करते हैं. अगर कंटेंट ट्विटर के नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसे प्लेटफॉर्म से हटा दिया जाता है, लेकिन अगर स्थानीय उल्लंघन है और वो ट्विटर के नियमों का उल्लंघन नहीं करता, तो हम सीधा अकाउंट होल्डर को नोटिफाई करते हैं, ताकि उन्हें मालूम रहे कि हमें उनके अकाउंट को लेकर लीगल ऑर्डर प्राप्त हुआ है.”
इससे पहले फरवरी में, ट्विटर ने किसान आंदोलन से जुड़े कई ट्वीट्स और अकाउंट्स को हटा दिया था, जिसमें कैरावैन मैगजीन और किसान एकता मोर्चा के अकाउंट शामिल थे. इन्हें कुछ घंटे बाद वापस रिस्टोर कर दिया गया था. इसके कुछ ही दिन बाद, ट्विटर ने सरकार के कहने पर करीब 1200 अकाउंट्स को बैन कर दिया था.
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