Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 EXCLUSIVE: उरी में माल ढोने वालों ने की थी आतंकियों की मदद

EXCLUSIVE: उरी में माल ढोने वालों ने की थी आतंकियों की मदद

माल ढोने वाले दोनों लोगों को उरी कैंप की पूरी जानकारी थी.

चंदन नंदी
भारत
Published:
उरी में हमले के बाद उठता धुंआ. (फोटो: IANS)
i
उरी में हमले के बाद उठता धुंआ. (फोटो: IANS)
null

advertisement

उरी हमले में क्विंट की पड़ताल में कुछ चौंकाने वाली बातें निकलकर सामने आ रही हैं. क्विंट की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि आतंकवादियों को उरी कैंप के अंदर दाखिल होने में माल ढोने वालों दो लोगों ने मदद की थी. इन्हें कैंप में आने-जाने की पूरी छूट थी.

उरी अटैक में हो रही अॉफिशियल जांच की जानकारी रखने वाले विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, बोझ ढोने का काम करने वाले जैश-ए-मोहम्मद के प्रति सहानुभूति रखने वाले हो सकते हैं. सूत्रों का मानना है कि उरी अटैक में आर्मी की ओर से अॉपरेशनल और कमांड लेवल पर गलती हुई थी.

लेकिन सूत्रों ने आतंकवादियों द्वारा ब्रिगेड हेडक्वार्टर में दाखिल होने के लिए इस्‍तेमाल किए गए रास्ते के बारे में बताने से इनकार कर दिया.

उरी में स्थित ब्रिगेड हेडक्वार्टर नेशलन हाइवे नंबर एक पर चाकोती से 20 किमी और पीओके के मुजफ्फराबाद से 37 किमी दूर है. उरी लंबे समय से आतंकवादियों के निशाने पर नहीं रहा, इसलिए उरी को आतंकवादियों का मेन टारगेट नहीं माना जाता है. इसके चलते उरी में सुरक्षा-व्यवस्था उतनी चाक-चौबंद नहीं थी.

6वीं बिहार रेजीमेंट को 10वीं डोगरा रेजीमेंट की जगह पर उरी कैंप में तैनात किया गया था. डोगरा रेजीमेंट को किसी दूसरे कैंप भेज दिया गया था. वहीं सिख लाइट इनफेंट्री पहले की तरह ही कैंप में मौजूद थी.

हमले में शहीद होने वाले ज्यादातर सैनिक बिहार रेजीमेंट के थे. बिहार रेजीमेंट के सैनिकों को बैरक में भेजे जाने से पहले तंबुओं में ठहराया गया था. आतंकवादियों द्वारा तंबुओं पर ज्वलनशील पदार्थों का उपयोग करने से गहरी नींद में सो रहे सैनिक फंस गए. इसी आग के चलते बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ.

आतंकवादियों की एके-47 और अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर्स का पहला निशाना टेंट ही थे. इस बात से पुष्ट होती है कि उन्हें अपने घुसने की जगह के अलावा हेडक्वार्टर के ले आउट के बारे में भी पूरी जानकारी थी. ऐसी खास जानकारी केवल माल ढोने वाले ही बता सकते हैं, जिन्हें कहीं भी आने-जाने की इजाजत होती है.
सूत्र

हमले के बाद ज्यादातर माल ढोने वालों को नौकरी से हटा दिया गया है, लेकिन कुछ विश्वस्त लोगों को अभी भी काम की इजाजत दी गई है.

अपुष्ट जानकारी के मुताबिक, उरी हमले के वक्त कमांडिंग ब्रिगेडियर कैंप से बाहर दौरे पर थे. वहीं कैंप मेस में हुई एक पार्टी के चलते सुरक्षाबलों की सतर्कता में भी कमी थी.

उरी के कुछ लोग कैंप की चेकपोस्ट से केवल 150 मीटर दूर अपनी दुकान लगाते हैं. उन्हीं में से एक हाजी असादुल्लाह लोन के मुताबिक,

आर्मी कैंप में अकसर होने वाली चांदमारी (गोलीबारी की प्रैक्टिस) से हम परिचित थे, जो समय-समय पर होती रहती थी. लेकिन वह दिन बहुत अलग था. उस दिन जागने के बाद हमने देखा कि आर्मी हेडक्वार्टर से धुंआ निकल रहा है और गोलि‍यों की आवाज आ रही है.
हाजी असादुल्लाह लोन

आर्मी ने हमले के बाद उरी में गाड़ियों की आवाजाही पर लगाम लगाई है. लोगों की शिकायत है कि हमले के बाद टूरिज्म, ट्रैवल और व्यापार पर बुरा असर पड़ा है. हालांकि वो मानते हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा सबसे ऊपर है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT