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तेलुगू देश पार्टी (TDP) के जो 4 राज्यसभा सांसद 20 जून को BJP में शामिल हुए हैं, उनमें से 2 (सीएम रमेश और वाईएस चौधरी) आयकर विभाग, CBI और ED के रडार पर रहे हैं. बीजेपी ने पिछले साल ही इन दोनों को राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किए जाने की मांग के साथ एथिक्स कमेटी को लेटर लिखा था.
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक पिछले साल नवंबर में BJP सांसद और प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने रमेश और चौधरी की शिकायत एथिक्स कमेटी से की थी. राव ने इस बारे में ट्वीट कर बताया था, ''मैंने TDP के 2 सांसदों को अयोग्य घोषित करने की मांग के साथ एथिक्स कमेटी से शिकायत की है. ये सांसद वाईएस चौधरी और सीएम रमेश हैं, जिन्होंने बड़े वित्तीय स्कैंडल के साथ 'आंध्र के माल्या' का संदिग्ध टाइटल हासिल किया है.''
12 अक्टूबर को आयकर विभाग ने कडपा स्थित रमेश के घर और हैदराबाद स्थित कंपनी पर छापेमारी की थी. TDP ने इस छापेमारी को राजनीतिक बदला बताते हुए इसके खिलाफ प्रदर्शन किया था.
बात चौधरी की करें तो वह पहली मोदी सरकार में TDP के समर्थन वापस लिए जाने तक राज्य मंत्री रहे थे. चौधरी के खिलाफ CBI 3 FIR की जांच कर रही है. इन FIR में आरोप लगे हैं कि इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट बनाने वाली कंपनी बेस्ट एंड क्रोम्प्टन इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स लिमिटेड (BCEPL), जो CBI के मुताबिक चौधरी से जुड़ी है, उसने बैंकों के कंसोर्टियम से 360 करोड़ रुपये की लोन के मामले में धोखाधड़ी की है.
बता दें कि 20 जून को रमेश और चौधरी के अलावा टीजी वेंटकेश और जी मोहन राव भी TDP छोड़कर BJP में शामिल हुए हैं. राज्यसभा में बहुमत से दूर BJP की अगुवाई वाले NDA को इन 4 सांसदों के आने से थोड़ी राहत मिलेगी.
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