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पूर्व दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रोफेसर जीएन साईबाबा नागपुर सेंट्रल जेल में 21 अक्टूबर से भूख हड़ताल शुरू करेंगे. साईबाबा 'हर कैदी के मौलिक अधिकारों, पढ़ने के सामान तक पहुंच, चिट्ठी और दवाइयों' के लिए ये ये हड़ताल करेंगे. कमेटी फॉर डिफेंस एंड रिलीज ऑफ जीएन साईबाबा ने ये फैसला जेल में उन्हें बुनियादी मेडिकल फैसिलिटी और परिवार की तरफ से आईं चिट्टी और किताबें न दिए जाने के बाद लिया है.
कमेटी का कहना है कि साईबाबा का स्वास्थ्य लगातार खराब हो रहा है. कोरोना वायरस महामारी की वजह से 90 फीसदी से ज्यादा फिजिकली डिसएबल जीएन साईबाबा से उनके परिवार के सदस्य और वकील भी नहीं मिल पा रहे हैं.
कमिटी ने कहा कि साल 2014 से नागपुर सेंट्रल जेल में UAPA के तहत कैद साईबाबा की हालत बिगड़ने के बाद भी उन्हें लगातार पैरोल और मेडिकल बेल नहीं दी गई और महामारी की स्थिति में भीड़-भाड़ वाली जेल में उन्हें रखना उनकी जिंदगी के लिए 'बड़ा खतरा' है.
कमेटी ने बताया कि जीएन साईबाबा कई बीमारियों से पीड़ित हैं और उनकी इन दवाइयों को भी जेल प्रशासन उन तक नहीं पहुंचने दे रहा है. कमेटी ने कहा, "महामारी के नाम पर कानूनी सलाह का अधिकार भी छीन लिया गया है क्योंकि साईबाबा को सिर्फ महीने के दो कॉल करने की इजाजत है और इस वजह से वो अपने वकील से केस के बारे में कुछ बात नहीं कर पाते."
कमेटी ने अपने बयान में बताया कि साईबाबा ने इन बुनियादी अधिकारों के लिए भूख हड़ताल का ऐलान किया है. लेकिन कमेटी को डर है कि उनके स्वास्थ्य की वजह से ये भूख हड़ताल उनके लिए खतरनाक हो सकती है.
जीएन साईबाबा की पत्नी वसंत कुमारी ने महाराष्ट्र के ADG (जेल) को खत लिखकर अपने पति की भूख हड़ताल रोकने का निवेदन किया है. वसंत कुमारी ने खत में लिखा कि 'नागपुर सेंट्रल जेल में अमानवीय व्यवहार और अन्यायपूर्ण प्रतिबंधों' की वजह से साईबाबा ने भूख हड़ताल करने का फैसला किया है.
वसंत कुमारी ने अपने खत में लिखा कि ADG (जेल) इस संबंध में जरूरी कदम उठाएं और साईबाबा को हड़ताल न करने दें.
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