UGC NET Scam: पेपर लीक ही नहीं बहुत कुछ गड़बड़ है?

UGC NET Exam Row: पेपर लीक जब आए दिन हो रहा है तो सिस्टम में मौजूद लिकेज क्यों नहीं रोका गया?

शादाब मोइज़ी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>UGC NET Scam: पेपर लीक ही नहीं बहुत कुछ गड़बड़ है?</p></div>
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UGC NET Scam: पेपर लीक ही नहीं बहुत कुछ गड़बड़ है?

(Photo- Quint Hindi)

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A. देख रहा है बिनोद..

B. आएं भैया..

A. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी बार-बार छात्रों को कैसे घुमा रहा है..

B. पेपर लीक त बड़का बात है भैया हमरे यहां त नीट एग्जाम में अलग-अलग तरह का गड़बड़ हुआ है.. और तो और ई सब मनवे नहीं किए कि कोई गड़बड़ हुआ है..

A. अरे यूजीसी नेट वाले के यहां एकदम उलटा किए.. एग्जाम के अगले दिने कह दिए कि कुछ गड़बड़ी का शक है और 9 लाख बच्चों का एग्जाम कैंसिल.

जी हां, मेडिकल में पढाई वाली नीट के बाद अब पीएचडी करने के लिए जरूरी यूजीसी नेट परीक्षा रद्द (UGC NET Exam Row) कर दी गई है. मतलब 9 लाख बच्चों के साथ खिलवाड़. यहां हम आपको आगे यूजीसी और एनटीए के कामकाज की वो कहानी बताएंगे जिससे आप भी पूछेंगे जनाब ऐसे कैसे?

आपको पहले ही बताया जा रहा था लेकिन...

देश भर की यूनिवर्सिटीज में जूनियर रिसर्च फेलोशिप (JRF), और असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए लाखों बच्चे यूजीसी नेट की परीक्षा देते हैं. ये सभी परीक्षा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी कराती है. इस साल यूजीसी नेट के लिए कुल 9 लाख 8 हजार 580 बच्चों ने पेपर दिया था. लेकिन 18 जून को परीक्षा हुई और 19 जून को सरकारी आदेश आता है कि परीक्षा रद्द. मंत्रालय के मुताबिक परीक्षा प्रक्रिया की पारदर्शिता और पवित्रता को सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया गया है. मंत्रालय ने आगे कहा कि ये मामला अब CBI को सौंपा जा रहा है.

चलिए ये तो हुई सरकारी बातें.. लेकिन जिन लोगों को सरकार भूल गई है आप उनकी भी सुनिए..

कोई अपनी पढ़ाई के लिए अपने बच्चे से दूर है. प्रेगनेंट महिलाएं एग्जाम देने आ रही हैं.. शहरों में मेट्रो है, कैब है. लेकिन टीयर 2, टीयर 3 शहरों का क्या, गांव में रहने वाले कैंडिडेट का क्या? कोई हजारों रुपए खर्च करके एग्जाम देने दूर कहीं सेंटर पर पहुंचता है.. किसी की मां, पिता 43-44 डिग्री गर्मी में एग्जाम दिलाने आए थे.. और सेंटर के बाहर बिना किसी इंतजाम के धूप में गर्म हवा के थपेड़ों का सामना कर रहे थे. उनका क्या..
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अब आते हैं अहम सवाल पर..

यूजीसी नेट पेपर लीक की बातें एग्जाम से 6 दिन पहले उठी थी. एक टेलीग्राम ग्रुप पर पैसे देकर पेपर वन के सवाल लीक की बात कही जा रही थी.. कुछ शिक्षकों ने इसके लिए एनटीए को मेल भी लिखा था.

विनीत पांडे नेट की तैयारी कराते हैं. उन्होंने एग्जाम से 4 दिन पहले 14 जून को एनटीए को एक मेल लिखा. कह रहे हैं कि पेपर लीक की खबरें आ रही हैं इसे देखिए.. लेकिन एनटीए की तरफ से उन्हें कोई जवाब नहीं आया..

क्विंट की टीम ने विनीत पांडे से बात की. उन्होंने कहा कि सिस्टम ने उनकी बात नहीं सुनी जिसका खामियाजा आज 10 लाख बच्चे और उनके माता-पिता भुगत रहे हैं.

अब आते हैं अहम सवाल पर. साल 2018 से लेकर 2023 दिसंबर तक यूजीसी नेट का एग्जाम ऑनलाइन मोड पर होता रहा है. फिर अचानक डिजिटल इंडिया में यूजीसी नेट को ऑफलाइन क्यों किया गया? किसके कहने पर किया गया? क्या लॉजिक था ऑनलाइन से ऑफलाइन जाने का.

ऑफलाइन मोड में कैंडिडेट को ओएमआर शीट में जवाब भरना होता है.. OMR Sheet की फुलफॉर्म Optical Marking Recognition होती है. इस शीट पर छोटे-छोटे गोल बॉक्स होते हैं, जिन्हें पेन से भरना होता है. और इस शीट को OMR Reader मशीन के जरिए से स्कैन की जाती है. और सही गलत जवाब मिलाए जाते हैं.

इस शीट के साथ कई एग्जाम में एक कार्बन कॉपी भी होती है.. मतलब कि ओएमआर शीट पर आपने जो जवाब दिए हैं उसकी कार्बन कॉपी. इसका फायदा ये होता है कि आपको एग्जाम के बाद पता हो कि आपने किस सवाल का क्या जवाब दिया है और आप बाद में उसे क्रॉस चेक कर सकते हैं कि आपने कितने सवाल के जवाब सही किए हैं.. लेकिन इस ओएमआर शीट में ऐसा नहीं था.

आखिर इतना खर्च और संसाधन लग रहा है तो फिर कार्बन कॉपी क्यों नहीं दिया गया?

सिर्फ यही नहीं. एनटीए से ये भी सवाल है कि पेपर लीक जब आए दिन हो रहा है तो सिस्टम में मौजूद लिकेज क्यों नहीं रोका? कैंडिडेट के सेंटर दूर क्यों दिए गए? हर एग्जाम में बच्चे शिकायत कर रहे हैं, फिर भी इसपर सुधार क्यों नहीं हुआ?

गर्मी में ऐसे स्कूल और लोकेशन में सेंटर क्यों दिए गए जहां पानी, एसी, कूलर का इंतजाम नहीं था?

एक और सवाल- एनटीए सेंटर पर जाने वाले बच्चों के बैग, मोबाइल और जरूरी सामान रखने के लिए कोई इंतजाम क्यों नहीं करता? क्यों सेंटर के आसपास की दुकानों और लोगों के भरोसे पैसे देकर सामान कैंडिडेट को छोड़ना होता है?

एक और सवाल कि 18 जून को नेट के पेपर के बाद यूजीसी के चेयरमैन जगदेश कुमार दावा करते हैं कि 9 लाख बच्चों का एग्जाम कायमाब रहा.. फिर एक दिन बाद कैसे एग्जाम कैंसिल करना पड़ा? क्यों नहीं नीट एग्जाम में हुई धांधली से एनटीए ने कुछ सीखा?

एनटीए में गड़बड़ी है, ये सरकार क्यों नहीं मान रही..

  • नीट एग्जाम में गड़बड़ी

  • नेशनल कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (NCET) 2024 का कैंसिल होना

  • कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET- UG) का दिल्ली में पोस्टपोन होना

ऐसे कई उदाहरण हैं.

पहले तो शिक्षा मंत्री एनटीए को क्लीनचीट दे रहे थे लेकिन छात्रों के विरोध के बाद अब शिक्षा मंत्री NTA में सुधार के लिए सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है. साथ ही एनटीए के डायरेक्टर सुबोध कुमार सिंह को उनके पद से हटा दिया गया है. उनकी जगह रिटायर्ड IAS अधिकारी प्रदीप सिंह खरोला ने ले ली.

लेकिन यूजीसी नेट के 9 लाख बच्चों को जिस पीड़ा से गुजरना पड़ रहा है उसका क्या? इसलिए हम पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?

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