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भगोड़े उद्योगपति विजय माल्या के खिलाफ भारतीय बैंकों को ब्रिटेन की हाईकोर्ट से बड़ी जीत मिली है. हाईकोर्ट ने आदेश दिया माल्या से कर्ज वसूली के लिए उसकी प्रॉपर्टी बेची जा सकती है. भारत के 13 बैंकों को माल्या से 9000 करोड़ रुपए की वसूली करनी है.
हाईकोर्ट के जस्टिस ब्रायन ने 26 जून यानी करीब 10 दिन पहले ये आदेश दिया है. इसके मुताबिक हाईकोर्ट अधिकारी या उनके एजेंट लेडीवॉक, क्वीन हू लेन, टेविन, वेलविन और ब्रेम्बल लॉज के अंदर और पूरे परिसर में जा सकते हैं और वहां माल्या की तमाम चीजों पर कब्जा कर सकते हैं.
इस आदेश में ये भी कहा गया है कि कोर्ट अधिकारी जरूरत पड़ने पर प्रॉपर्टी के अंदर दाखिल होने के लिए पुलिस की मदद भी ले सकते हैं.
माल्या के लिए ये बड़ी अदालती हार है. वहीं भारतीय बैंकों के लिए ये बहुत बड़ी सफलता कही जा सकती है. स्टेट बैंक की अगुवाई वाले कंसोर्शियम में बैंक ऑफ बड़ौदा, कॉरपोरेशन बैंक, फेडरल बैंक, आईडीबीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, जम्मू एंड कश्मीर बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, यूको बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और जे एम फाइनेंशियल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी शामिल हैं.
इस आदेश के जरिए बैंक माल्या की इंग्लैंड और वेल्स की प्रॉपर्टी पर कब्जा करके उन्हें बेचने की प्रक्रिया पर आगे बढ़ सकते हैं. हालांकि माल्या ने इस फैसले के खिलाफ अपील करने की मंजूरी मांगी है जिस पर अदालत ने कोई फैसला नहीं किया है.
उन्होंने हाल ही में मीडिया को दिए अपने बयान में आरोप लगाया था कि उनके खिलाफ धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले राजनीति से प्रेरित हैं.
माल्या ने पहले बताया था कि उन्होंने कर्नाटक हाईकोर्ट में अर्जी लगाई है कि उन्हें अपने 13,900 करोड़ रुपए के एसेट बेचने की मंजूरी दी जाए. ताकि वो अदालत द्वारा तय किए गए बकाया सभी कर्जदारों को चुका सकें.
माल्या मुकदमों में उलझे हैं. फिलहाल उनके भारत प्रत्यर्पण या गिरफ्तारी पर रोक है. लंदन की वेस्टमिनस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में 31 जुलाई को प्रत्यर्पण मामले में सुनवाई होगी. तब माल्या के वकील और भारतीय सरकार के वकील अपना अपना पक्ष पेश करेंगे.
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