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पैसे न होने पर नहीं मिली एंबुलेंस,रेहड़ी रिक्शा पर ले जाना पड़ा शव

मामले को सुर्खियों में आने के बाद पंजाब सरकार ने लालजी के अंतिम संस्कार के लिए 7,000 रुपये की आर्थिका सहायता दी

द क्विंट
भारत
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रेहडी रिक्शे पर अपने पिता का शव ले जाता सर्बजीत (फोटोः ANI)
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रेहडी रिक्शे पर अपने पिता का शव ले जाता सर्बजीत (फोटोः ANI)
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पंजाब के जालंधर में पैसे न होने की वजह से एक बेटे को अपने पिता का शव रेहड़ी रिक्शे पर ले जाना पड़ा.

जालंधर जिले के कृष्णानगर कॉलोनी के रहने वाले सर्बजीत के पास 400 रुपये नहीं थे, इस वजह से उन्हें एंबुलेंस नहीं दी गई.

यह 11 मई की घटना है. सर्बजीत और उनके पिता लालजी जालंधर में मजदूरी करते थे. लालजी को इलाज के लिए अस्पताल में एडमिट कराया गया. इलाज के दौरान लालजी की मौत हो गई.

सर्बजीत ने शव को घर ले जाने के लिए अधिकारियों से एंबुलेंस मुहैया कराने की रिक्वेस्ट की. लेकिन उन्हें बताया गया कि नियम के मुताबिक सरकारी अस्पताल शव ढोने के लिए एंबुलेंस नहीं दी जा सकती. हालांकि उन्होंने कहा कि अगर वे 400 रुपया देंगे, तो एक एंबुलेंस उन्हें मुहैया कराई जा सकती है.

सर्बजीत के पास पैसे नहीं थे. इस वजह से उन्‍होंने मना कर दिया. इसके बाद वह अस्पताल से अपने पिता के शव को रेहडी रिक्शा पर ले गया.

इस मामले को सुर्खियों में आने के बाद पंजाब सरकार ने लालजी के अंतिम संस्कार के लिए 7,000 रुपये की आर्थिका सहायता दी. पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जिला प्रशासन से मामले पर ध्यान देने को कहा और लालजी के परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए हर मुमकिन सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया.

पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामले

इस तरह शव ले जाने का यह कोई पहला मामला नहीं है. इसके पहले भी तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं. अगस्त 2016 में ओडिशा में दाना मांझी को अस्पताल ने एंबुलेंस देने से इनकार किया. इसलिए उन्होंने पत्नी के शव को कंधे पर लादकर अस्पताल से घर तक 10 किलोमीटर का रास्ता तय किया था.

इसी साल अप्रैल महीने में असम के मजुली में ऐसी ही तस्वीर देखने को मिली थी. असम में एक शख्स अपने भाई के शव को साइकिल पर लेकर जाना पड़ा था क्योंकि अस्पताल से घर तक गाड़ी जाने लायक सड़क ही नही थी.

इनपुट भाषा से

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