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एजुकेशनल टेक्नोलॉजी कंपनी Unacademy ने अपने टीचर करण सांगवान (Karan Sangwan) को नौकरी से निकाल दिया है. पिछले दिनों करण का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसके बाद कंपनी ने ये फैसला लिया है. Unacademy और कंपनी के फाउंडर के सोशल मीडिया पोस्ट में टीचर को निकाले जाने के पीछे कई दलीलें दी गई हैं. कहा गया कि हमें करण सांगवान से अलग होने के लिए इसलिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि वो कंपनी के कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन कर रहे थे.
पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया पर अन-एकेडमी के टीचर करण सांगवान का एक वीडियो वायरल है, जिसमें वो क्लास में पढ़ाते वक्त स्टूडेंट्स की जिंदगी में आने वाली आम समस्याओं पर बात करते हुए कहते हैं कि
करण सांगवान की बर्खास्तगी के बारे में Unacademy के को-फाउंडर रोमन सैनी (Roman Saini) ने अपनी एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि क्लास रूम वह जगह नहीं है, जहां पर अपने पर्सनल ओपिनियन शेयर किए जाएं.
रोमन सैनी ने अपनी पोस्ट में कहा कि हम एक एजुकेशन प्लेटफॉर्म हैं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए गहराई से प्रतिबद्ध हैं. हमने अपने सभी शिक्षकों के लिए एक सख्त कोड ऑफ कंडक्ट यानी आचार संहिता लागू की है, जिसका मकसद यह तय करना है कि हमारे शिक्षार्थियों को निष्पक्ष ज्ञान मिल सके.
उन्होंने आगे कहा कि हम जो कुछ भी करते हैं उसके केंद्र में हमारे लर्नर्स यानी शिक्षार्थी होते हैं. क्लास पर्सनल ओपिनियन और विचार साझा करने की जगह नहीं है क्योंकि इससे क्लास करने वाले गलत तरीके से प्रभावित हो सकते हैं. इस स्थिति में हमें करण सांगवान से अलग होने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि वह नियमों का उल्लंघन कर रहे थे.
Unacademy के पूर्व टीचर करण सांगवान ने वायरल हुए वीडियो और इस मामले पर बात करते हुए अपने यूट्यूब चैनल (YT@LegalPathshala) पर एक वीडियो जारी किया. इसमें उन्होंने कहा कि
Unacademy पर उनकी प्रोफाइल के मुताबिक करण सांगवान ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, शिमला से पढ़ाई की है.
उन्होंने लगभग एक साल तक हिसार के C.R. Law College में काम किया है.
करण सांगवान फरवरी 2020 से Unacademy में टीचर थे और प्लेटफॉर्म की प्रोफाइल पर उनके 14 हजार फॉलोवर्स हैं.
करण सांगवान लीगल पाठशाला नाम से एक यूट्यूब चैनल भी चलाते हैं, जिस पर उनके 60 हजार से ज्यादा फॉलोवर्स हैं.
Criminal Laws में LLM करण सांगवान ने न्यायपालिका के एंट्रेंस एग्जाम्स से संबंधित कई कोर्सेज की क्लासेज ले चुके हैं.
Unacademy के संस्थापकों को निशाने पर लेते हुए कांग्रेस लीडर सुप्रिया श्रीनेत ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि ऐसे रीढ़हीन और कमजोर लोगों को एक एजुकेशन प्लेटफॉर्म चलाते हुए देखकर दुख होता है.
उन्होंने आगे कहा कि जो लोग दबाव में झुक जाते हैं और धमकाए जाते हैं, वे कभी भी उन नागरिकों का पोषण करने में मदद नहीं कर सकते हैं, जो इस दुनिया में सभी मुश्किलों के खिलाफ खड़े होते हैं.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में सवाल उठाते हुए कहा कि क्या पढ़े लिखे लोगों को वोट देने की अपील करना अपराध है? यदि कोई अनपढ़ है, व्यक्तिगत तौर पर मैं उसका सम्मान करता हूं लेकिन जनप्रतिनिधि अनपढ़ नहीं हो सकते. ये साइंस और टेक्नोलॉजी का जमाना है. 21वीं सदी के आधुनिक भारत का निर्माण अनपढ़ जनप्रतिनिधि कभी नहीं कर सकते.
Unacademy के इस फैसले की एक तरफ आलोचना हो रही है, तो दूसरी ओर सोशल मीडिया पर कई लोग इसकी सराहना भी कर रहे हैं.
विश्व हिंदू परिषद की सदस्य डॉ. प्राची साधवी ने अपनी पोस्ट में कंपनी के फैसले को सराहनीय बताते हुए कहा कि अन-एकेडमी को अनइंस्टॉल करने की कोई जरूरत नहीं है. Unacademy ने अच्छा काम किया है, राष्ट्रविरोधी शिक्षक को निकाल दिया.
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