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वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (COVID-19) और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया भर में बेरोजगारी का दर बढ़ गया है. इस वजह से न सिर्फ नौकरी गई है बल्कि कम पैसे और अधिक घंटे तक लोगों को काम भी करना पड़ रहा है. संयुक्त राष्ट्र (UN) ने जनवरी में चेताया था कि एक वैश्विक आर्थिक मंदी 2023 में अधिक श्रमिकों को कम गुणवत्ता और खराब भुगतान वाली नौकरियों को करने के लिए मजबूर करेगी जबकि महंगाई के मुताबिक सैलरी नहीं मिलेगी.
ILO ने कहा है कि दुनिया भर में बेरोजगारी बढ़ना तय है क्योंकि जैसे-जैसे आय की तुलना में महंगाई बढ़ेगी, जीवन-यापन का संकट अधिक लोगों को गरीबी में धकेल देगा.
आईएलओ ने कहा कि कई कारणों से अच्छे काम में कमी आई है, जैसे अतिव्यापी संकट, जिसमें यूक्रेन में युद्ध, उभरते भू-राजनीतिक तनाव, COVID-19 के बाद से स्थिति ठीक नहीं होना और आपूर्ति श्रृंखला की अड़चनें शामिल हैं.
पिछले साल वैश्विक रोजगार में 2.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, लेकिन इस साल केवल 1 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है, जबकि अनुमानित वृद्धि 1.5 प्रतिशत से नीचे है. केवल 3.4 बिलियन लोगों के पास काम है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस साल पूरी दुनिया में 208 मिलियन लोग के बेरोजगार रहने का अनुमान है जबकि बेरोजगारी दर 5.8 प्रतिशत है. ILO का कहना है कि आर्थिक मंदी के अधिकांश झटकों को नौकरी के नुकसान के बजाय तेजी से बढ़ती महंगाई में कम सैलरी मिलना है.
ILO ने शिक्षा और प्रशिक्षण में निवेश में वृद्धि का आह्वान करते हुए कहा कि वैश्विक युवा श्रम शक्ति का दो-तिहाई "बुनियादी कौशल के बिना" था, जिसने उनकी नौकरी की संभावनाओं को सीमित कर दिया और उन्हें निम्न-गुणवत्ता वाले काम में धकेल दिया.
पिछले साल दुनिया भर में लगभग दो अरब कर्मचारी इनफॉर्मल सेक्टर में काम कर रहे थे. ILO ने कहा, "वैश्विक अर्थव्यवस्था के भविष्य के पाठ्यक्रम के बारे में अनिश्चितता में पर्याप्त वृद्धि को देखते हुए, COVID-19 के बाद इनफॉर्मल सेक्टर में लोगों को रोजगार तेजी से मिल रहा है."
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2022 में काम करने वाले लगभग 214 मिलियन लोग (6.4 प्रतिशत) अत्यधिक गरीबी में थे, जो एक दिन में USD1.90 से कम कमाते थे.
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