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सरकार ने बजट 2018 में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य मुहैया कराने के लिए बड़ा ऐलान किया है. अब राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा यानी National Health Protection scheme के तहत 10 करोड़ गरीब परिवारों के लिए हर साल पांच लाख का हेल्थ इंश्योरेंस होगा. यानी वे पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज इलाज करा सकते हैं.
वित्त मंत्री जेटली ने इसे दुनिया का सबसे बड़ा हेल्थ केयर प्रोग्राम करार दिया हुए कहा कि इससे कम-से-कम 50 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा. बजट 2018 में लोगों को बेहतर हेल्थ मुहैया कराने के लिए सरकार के बड़े कदम उठाए हैं. सरकार ने पहली बार प्रिव्हेंटिव हेल्थकेयर के लिए अलग से 1200 करोड़ खर्च क करने प्रावधान किया है. हाइपरटेंशन, डाइबिटीज और कैंसर की जांच के लिए यह राशि खर्च की जाएगी. स्वास्थ्य मंत्रालय का मानना है कि इस बार इसका बजट 50000करोड़ रुपये तक जा सकता है, जो पिछले साल के 47000 करोड़ से ज्यादा है. इस साल हेल्थ सेक्टर के लिए 11 फीसदी ज्यादा आवंटन किया गया है.
दरअसल देश में गैर संक्रामक और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का दबाव बढ़ता जा रहा है. य़ही वजह है कि सरकार इन बीमारियों की रोकथाम के लिए जरूरी कदम उठाने के प्रति गंभीर है. स्वास्थ्य सेक्टर के विशेषज्ञों का कहना है सरकार के लिए प्रिव्हेंटिव हेल्थकेयर को सपोर्ट करनाबेहद जरूरी है क्योंकि लाइफस्टाइल से जु़ड़ी बीमारियों की वजह से मानव श्रम दिवसों का काफी नुकसान होता है.
सेहत पर सरकार का जोर
- स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी और हेल्थ सेक्टर के लिए उठाए गए कदमों पर एक नजर
- 10 करोड़ गरीब परिवारों को पांच लाख का हेल्थ इंश्योरेंस
- 50 करोड़ लोगों के इलाज का खर्च उठाया जाएगा
- 40 फीसदी लोगों को हेल्थ बीमा मिलेगा
- 24 नए मेडिकल कॉलेज और अस्पताल खोले जाएंगे
- तीन संसदीय क्षेत्र पर एक मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे
- आयुष्मान भारत कार्यक्रम के लिए 1,200 करोड़ रुपये का फंड
- टीबी रोगियों को पोषण मुहैया कराने के लिए 600 करोड़
- टीबी के हर मरीज को हर महीने 500 रुपये .
- हेल्थ वेलनेस सेंटर के लिए 12 सौ करोड़ रुपये
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