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सुप्रीम कोर्ट कंट्रोवर्सी के बीच सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की नियुक्ति का मामला लटक गया है. समझा जा रहा है कि सरकार उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जिस्टस के एम जोसेफ और सीनियर वकील इंदु मल्होत्रा के सुप्रीम कोर्ट के जज के पद पर नियुक्ति रोक दी है.
सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट के जजों के पद पर नियुक्ति के लिए जस्टिस के एम जोसेफ और इंदु मल्होत्रा के नाम की सिफारिश की थी. लेकिन सरकार ने अब तक उनके नामों को हरी झंडी नहीं दी है. कॉलेजियम ने 10 जनवरी को इन दोनों के नाम सुझाए थे. जोसेफ ने 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू करने के सरकार के फैसले को खारिज कर दिया था. जबकि इंदु मल्होत्रा को सीधे सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया जाना है. उन्हें आब्रिट्रेशन लॉ का एक्सपर्ट माना जाता है.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने 22 जनवरी को कॉलेजियम की सिफारिश को कानून मंत्रालय के पास भेज दिया था. लेकिन अखबार ने उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से खबर दी है कानून मंत्रालय ने जोसेफ और मल्होत्रा के नाम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजने के बजाय वापस लौटा दिया.
इस बीच, यह भी खबर है रोस्टर विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पैदा हुए संकट को सुलझाने की कोशिश जारी है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने बगावत पर उतर आए जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एम बी लोकुर और जस्टिस कुरियन को एक और मुलाकात के लिए बुलाया है. इन जजों ने आपत्ति जताई थी कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा सुप्रीम कोर्ट के स्थापित नियमों और कामकाज के तरीकों को तोड़ रहे हैं.
इधर, एक और घटनाक्रम के तहत इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज एस एन शुक्ला ने छुट्टी के लिए आवेदन दिया है. जस्टिस शुक्ला ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच की ओर से एक फैसले को खारिज कर लखनऊ के एक मेडिकल कॉलेज को एमबीबीएस स्टूडेंट्स की भर्ती की इजाजत दे दी थी. आपको बता दें कि यह मेडिकल सीट घोटाले ही वह विवाद था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और सीनियर जज आमने-सामने आ गए थे.
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