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पिता की हत्या, चाचा जेल में, चाची-मौसी की हादसे (या साजिश?) में मौत और खुद ICU में. ये है उन्नाव रेप पीड़िता के परिवार की ट्रैजिडी (या उसपर टॉर्चर?) अब कोई नहीं बचा है जो BJP विधायक कुलदीप सेंगर के खिलाफ लड़े. चाचा जिस मामले में जेल में बंद है वो भी सेंगर के भाई ने ही दर्ज करवाया था. उसे उन्नाव से रायबरेली जेल में ट्रांसफर किया गया. हादसे में दर्ज FIR की मानें तो इन सबके पीछे भी सेंगर का ही हाथ है, साथ ही हादसे और उसे रायबरेली जेल भेजे जाने के बीच भी कनेक्शन है.
2002 में कुलदीप सेंगर के भाई अतुल सेंगर ने पीड़िता के चाचा पर हत्या की कोशिश का मामला दर्ज कराया. इसी केस में उन्नाव की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 2018 में पीड़िता के चाचा को 10 साल कैद की सजा सुनाई. इसी केस में पीड़िता के पिता और एक दूसरे भाई बाइज्जत बरी हो चुके हैं.
पीड़िता के परिवार के मुताबिक कुलदीप सेंगर और उसके गुर्गों की तरफ से पीड़िता के चाचा पर कम से कम एक दर्जन केस दर्ज कराए गए हैं. पीड़िता के पिता की हत्या का आरोप भी कुलदीप के भाई अतुल पर है. चाचा ने पीड़िता के हादसे में जो एफआईआर लिखाई है उसमें भी इस रंजिश का जिक्र है.
पीड़िता की बहन (जिसकी मां की हादसे में मौत हुई) ने बयान दिया है कि जो मामले दर्ज कराए गए वो फर्जी हैं. उसका दावा है कि कई मामले तो अज्ञात लोगों ने दर्ज कराए.
ये भी कम अचरज भरा नहीं है कि पीड़िता के चाचा को उन्नाव से रायबरेली जेल ट्रांसफर कर दिया गया. इसी रायबरेली जेल में पीड़िता अपने चाचा से मिलकर चाची और मौसी के साथ लौट रही थी, जब हादसा हुआ. पीड़िता के चाचा ने जो हादसे को लेकर जो एफआईआर दर्ज कराई है उसमें कहा गया है कि उसे रायबरेली जेल भेजे जाने और हादसे के बीच भी कनेक्शन है.
माखी गांव में सेंगर का डर आलम देखिए कि गांव के लोग कभी पीड़िता के परिवार के साथ उठते-बैठते हैं, उन्होंने उनका बहिष्कार कर दिया है. सेंगर की हनक का अंदाजा हादसे में दर्ज एफआईआर की इन पक्तियों से भी लगता है.
कुल मिलाकर सेंगर राजनीति के उस चेहरे का प्रतिनिधित्व करता है जिसके पास रसूख है, पहुंच है और पैसा है. पीड़िता और उसके परिवार ने उससे टकराने की कोशिश की और नतीजा ये है कि परिवार से एक साल में चार लाशें उठ गईं. पीड़िता और उसके चाचा के केस की पैरवी में जो दो महिलाएं लगी थीं वो भी इस दुनिया में नहीं रहीं.
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