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उत्तर प्रदेश के उन्नाव में जमीन के मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस की कथित बर्बर कार्रवाई का एक दूसरा पहलू सामने आया है. सोमवार को एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें दिख रहा है कि घायल अवस्था में जमीन पर बेसुध पड़े एक किसान को पुलिस लाठी मार रही है. इस वीडियो पर सियासत गरमा गई और योगी सरकार के साथ यूपी पुलिस पर उंगलियां उठ रही है. लेकिन मंगलवार को उन्नाव पुलिस ने एक और वीडियो ट्वीट किया, जिसमें इस घटना के बाद जो कुछ हुआ, वो दिख रहा है. अब इस वीडियो के सामने आने के बाद पूरा मामला ही पलट गया है.
सबसे पहले देखिए वो वायरल वीडियो, जिसको लेकर लोगों में काफी आक्रोश है और यूपी पुलिस की कथित संवेदनहीनता पर तोहमत लगाए जा रहे हैं. साथ ही इस वीडियो को लेकर किसानों के प्रति योगी सरकार के रवैये पर विपक्ष ने भी जमकर निशाना साधा है.
अब देखिए इसी वीडियो के आगे का वो हिस्सा, जिसे उन्नाव पुलिस ने जारी किया है.
इस पोस्ट को अब तक करीब पांच हजार बार रीट्वीट किया जा चुका है. वीडियो में साफ दिख रहा है कि जिस 'बेसुध' पड़े किसान को लेकर मेनस्ट्रीम मीडिया और सोशल मीडिया में यूपी पुलिस की कार्रवाई पर नाराजगी जताई जा रही है, असल में वो बेसुध था ही नहीं, और मौका मिलते ही वो वहां से उलटे पांव भाग खड़ा हुआ.
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक उन्नाव में उपनगर बसाने के लिए अधिग्रहीत जमीन का ज्यादा मुआवजा मांग रहे किसानों का प्रदर्शन दूसरे दिन रविवार को उग्र हो गया था. प्रदर्शनकारियों ने बिजली सब-स्टेशन के पास एक क्रशर प्लांट और कुछ प्लास्टिक पाइपों में आग लगा दी. फायर ब्रिगेड दस्ते को आग बुझाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. किसान एक आवासीय परियोजना 'ट्रांस गंगा सिटी प्रोजेक्ट' के लिए अधिग्रहीत जमीन का ज्यादा मुआवजा मांग रहे हैं. इस प्रोजेक्ट के तहत निर्माण कार्य उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआईडी) करवा रहा है.
जिलाधिकारी देवेंद्र कुमार पांडेय और पुलिस अधीक्षक माधव प्रसाद वर्मा किसानों का गुस्सा शांत करने के लिए घटनास्थल पर पहुंचे थे. आंदोलन के दौरान किसानों और पुलिस के बीच झड़प हुई थी. किसानों द्वारा किए गए पथराव में एएसपी और डीएसपी सहित सात पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था और आंसूगैस के गोले छोड़ने पड़े थे.
खबरों के मुताबिक, जमीन अधिग्रहण साल 2012 में ही किया गया था, लेकिन किसानों के विरोध के कारण सात साल से प्रोजेक्ट का काम रुका हुआ था. बीजेपी के एक प्रवक्ता ने कहा कि 1,925 से ज्यादा किसानों ने दिया गया मुआवजा स्वीकार कर लिया है, सिर्फ 114 किसान नहीं मान रहे हैं और समस्या पैदा कर रहे हैं.
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