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उत्तर प्रदेश में बीजेपी (BJP) विधायक को 21 साल पुराने मामले में बहराइच की एमपी एमएलए ( MP, MLA) कोर्ट ने 4 जनवरी को दो वर्ष की सजा सुनाई. विधायक सुरेश्वर सिंह बहराइच जिले की महसी विधानसभा से विधायक हैं. उन पर तत्कालीन उप जिलाधिकारी के दफ्तर में घुस कर धमकाने और सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप सिद्ध हुए हैं. अब सवाल है कि क्या उनकी विधायकी बचेगी? जानिए पूरा मामला...
यह मामला करीब 21 साल पुराना है. 2 सितंबर 2002 को महसी तहसील के तत्कालीन उप जिलाधिकारी लालमणि मिश्र ने हरदी थाने में विधायक के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि सुरेश्वर सिंह ने एसडीएम कार्यालय में घुसकर सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न किया. एसडीएम के साथ दुर्व्यवहार करते हुए उन्हें धमकाया भी था.
इसी मामले में अब सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई के लिए गठित एक विशेष अदालत ने विधायको को सजा सुनाई है. अपर सिविल जज प्रवर खंड एवं एसीजेएम एमपी/एमएलए कोर्ट अनुपम दीक्षित ने इस मामले की सुनवाई की.
उप जिलाधिकारी के बयान के साथ ही अन्य साक्ष्य का भी परीक्षण कराया गया. जिसके बाद 4 जनवरी को कोर्ट ने विधायक को दोषी मानते हुए दो साल कैद और ढाई हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. आदेश के अनुसार, अगर जुर्माना अदा ना करने पर उन्हें सात दिन की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी.
अधिवक्ता मुन्नू लाल मिश्र ने 5 जनवरी को बताया. "अदालत ने सजा सुनाए जाने के बाद विधायक को फैसले के खिलाफ अपील दायर करने के लिए जमानत दे दी है. यह आदेश चार जनवरी को सुनाया गया था. जिसकी प्रति शुक्रवार को उपलब्ध हुई."
विधायक को दो साल की सजा हुई है अब सबसे बड़ा प्रश्न है कि क्या विधायकी रहेगी ? इसके जवाब जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 में छुपा है. जिसके अनुसार, दो साल या उससे अधिक की कैद की सजा पाने वाले किसी भी जनप्रतिनिधि को सजा की डेट से ही अयोग्य घोषित कर दिया जाता है और सजा काटने के बाद अगले छह साल तक उसके चुनाव लड़ने पर रोक रहती है. अब देखना है कि कितनी जल्दी विधानसभा उनकी सदस्यता को रद्द करती है?
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