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बांदा: जल शक्ति मंत्री के इलाके में जल 'संकट', गड्ढे का गंदा पानी पी रहे लोग

Ground Report: ग्रामीणों का कहना है कि यहां सरकारी पाइपलाइन भी बिछाई गई है, लेकिन इसमें 2 साल से पानी नहीं आ रहा है

मनोज कुमार
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>बांदाः त्रिवेणी गांव, सरकारी पाइपलाइन, 2 साल से गड्ढे का गंदा पानी पी रहे लोग</p></div>
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बांदाः त्रिवेणी गांव, सरकारी पाइपलाइन, 2 साल से गड्ढे का गंदा पानी पी रहे लोग

(फोटोः क्विंट हिंदी)

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बुंदेलखंड (Bundelkhand) में जल संकट की कहानी काफी पुरानी है. साल बदले, सरकारें बदलीं, लेकिन हालात नहीं बदले. केंद्र और राज्य सरकार की परियोजनाएं और दावे सिर्फ कागजी साबित हो रहे हैं.

बांदा जिले के एक गांव के लोगों को आज भी पीने का स्वच्छ पानी नहीं मिल रहा है. हालात ऐसे हैं कि लोग गड्ढा खोदकर पानी निकालने को मजबूर हैं और उसी गंदे पानी से गांववासियों की प्यास बुझ रही है. भारी पेयजल संकट से जूझ रहे त्रिवेणी गांव से ये ग्राउंड रिपोर्ट देखिए.

यूपी के जल शक्ति मंत्री के विधानसभा में ही पानी की किल्लत

उत्तर प्रदेश कैबिनेट में जल शक्ति राज्य मंत्री रामकेश निषाद (Ramakesh Nishad) की विधानसभा क्षेत्र तिंदवारी का त्रिवेणी गांव जल संकट से जूझ रहा है.

चित्रकूटधाम मंडल मुख्यालय बांदा से सिर्फ 5 किलोमीटर दूर बसा गांव सरकारी दावों और कामों को आईना दिखा रहा है. इस गांव की आधी आबादी गड्ढा खोदकर पानी पीने को मजबूर है. गंदे पानी की वजह से बीमारियों का खतरा भी है.

ग्रामीणों का कहना है कि "इस मामले को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों से कई बार शिकायत की गई है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है. यहां तक की खुद जल शक्ति राज्यमंत्री भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं."

त्रिवेणी गांव के लोग बताते हैं कि...

"सरकारी पाइपलाइन तो बिछ गई है, लेकिन पिछले 2 सालों से आधे गांव में पानी की एक बूंद तक नहीं आई है. गांव के इस हिस्से में लगे चंद हैंडपंप भी जवाब दे चुके हैं."

त्रिवेणी गांव में पानी की समस्या

(फोटो: क्विंट)

क्विंट हिंदी से बातचीत में गांव की एक महिला ने बताया कि, "गड्ढे का गंदा पानी पीना उनकी मजबूरी है. पानी का टैंकर लाने की बात कही गई थी, लेकिन आजतक टैंकर नहीं आया. गंदा पानी होने की वजह से बच्चे भी बीमार पड़ जाते हैं."

वहीं एक दूसरी महिला ने बताया कि,

"इस समस्या को लेकर हम डीएम तक गए. पानी की समस्या की बात कहकर हमें रैली में ले जाया जाता है, कहते हैं कि सुनवाई होगी. लेकिन हमारी कोई नहीं सुनता."

एक अन्य महिला ने क्विंट हिंदी से बातचीत में बताया कि, "दो साल हो गए हैं, लेकिन अभी तक हमारे मोहल्ले में पानी नहीं आया है. पानी के लिए हम मर रहे हैं. डीएम के यहां गए, रैली में गए लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है."

गंदा पानी पीने को मजबूर त्रिवेणी गांव के लोग

(फोटो: क्विंट)

इस मामले में जब त्रिवेणी गांव की प्रधान के पति ने बताया कि, "यह समस्या कई साल से चली आ रही है और इसके लिए काफी प्रयास किया गया है लेकिन इस समस्या का निराकरण किसी ने नहीं किया." उन्होंने आगे बताया कि,

"वह ग्रामीणों को लेकर स्थानीय विधायक और जलशक्ति राज्यमंत्री रामकेश निषाद के दरवाजे पर भी पहुंचे लेकिन वहां भी सिवा आश्वासन के कुछ नहीं मिला."

प्रधान के पति के मुताबिक, गांव की महिलाओं ने खुद फावड़े से यह गड्ढा खोदा था क्योंकि इस जगह पर पानी का एक स्रोत है और इसी गड्ढे में भरे पानी को गांव वाले छानकर किसी तरह इस्तेमाल कर रहे हैं.

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सरकारी योजनाओं का क्या हुआ?

एडीएम नमामि गंगे एमपी सिंह से जब त्रिवेणी गांव के लोगों की समस्या के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि...

"अगर ऐसा है तो हम सीडीओ साहब को बताएंगे. इसमें जल संस्थान और जल निगम वालों को बताएंगे. उच्च अधिकारियों से बात करेंगे और ग्रामीणों को शुद्ध पानी दिलाया जाएगा."

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के जरिए उन्हें नल के जरिए शुद्ध पानी मुहैया कराया जाएगा.

बता दें, केंद्र सरकार प्रत्येक ग्रामीण इलाकों के हर घर में पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से हर घर नल योजना चला रही है.

साल 2024 तक इस योजना को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. लेकिन बांदा का त्रिवेणी गांव इसमें पिछड़ता दिख रहा है.

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