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नोएडा में कोरोना वायरस टेस्ट कराना चाह रहे तीन लोगों की आपबीती सुनिए-
कड़ी धूप है. टीन शेड के नीचे लंबी लाइन है. सबके चेहरों (नाक, मुंह, दाढ़ी) पर मास्क लगे हैं. लाइन लंबी है. साइड में रखी हुई बेंच पर कुछ लोग बैठे हैं, बीमार लग रहे हैं.
जहां टेस्ट रिपोर्ट मिल रही है उधर से बीएम शर्मा आते हैं और हम से बातचीत में परेशान दिखते हैं.
धूप तेज है और टाइफाइड से उबरी एक महिला को उनके पति उसी बेंच पर बिठा रहे हैं. पति का नाम रॉबिन है, वो कहते हैं कि सोशल डिस्टेंसिंग भी कम है और इसलिए यहां टेस्ट कराने में डर लग रहा है. पत्नी के कंपनी वालों ने कोविड रिपोर्ट मांगा है.
कुछ ही देर में मेहरुनिशां अपनी बेटी के साथ निकलती हैं, परेशान दिख रही थीं, जब हमने उनसे पूछा तो बताया कि वो नोएडा की ही रहने वाली हैं लेकिन आधार कार्ड भूल गईं हैं इसलिए टेस्ट नहीं हो पा रहा है, वापस जा रही थीं वो आधार कार्ड लाने.
इसके बाद हमें प्रीति मिलीं, प्रीति की आपबीती बताती है कि कोरोना के बीच नोएडा जैसे इंडस्ट्रियल एरिया से लोग अपने गांव-शहरों को क्यों चले जा रहे हैं. प्रीति नोएडा की ही रहने वाली हैं और अब यही रहती हैं काम करती हैं. इनकी शादी खुर्जा, बुलंदशहर में हुई है, जिस वजह से आधार कार्ड पर बुलंदशहर का एड्रेस है. अब ये एड्रेस प्रीति और उनके कोविड टेस्ट के बीच का रोड़ा है. जिला अस्पताल में गौतमबुद्ध नगर का पहचान पत्र कोविड टेस्ट के लिए अनिवार्य कर दिया गया है. बोर्ड पर नोटिस चस्पा है, लिखा है-
एक कपल जो यहां आए हैं उनकी भी यही दिक्कत है. कहते हैं कि पिछले साल ऐसी दिक्कत नहीं थी लेकिन प्रशासन ने इस बार ऐसा क्यों कर दिया, समझ नहीं आ रहा है.
कैलाश हॉस्पिटल नोएडा के जाने माने अस्पतालों में से एक है. यहां पर भी कोविड टेस्टिंग चल रही है और लंबी लाइन लगी है. इस लाइन में सचिन भी खड़े हैं, इनके पिता को कोविड है, भाभी को लक्षण हैं. वो कहते हैं कि दो घंटे से खड़े हैं नंबर नहीं आया है.
धूप तेज है तो लोग इधर-उधर जहां थोड़ा आराम मिले वहां खड़े हैं. कुछ लोग ऐसे हैं जो अपनी परेशानी बताना चाहते हैं. बताने लगे कि कई सारे तो लैब वाले घर आकर सैंपल लेने के लिए मना कर रहे हैं तो यहां आना पड़ रहा है. एक युवती थीं जो वापस जा रही थीं, कह रही थीं नंबर बहुत बाद में आएगा, बाद में देखती हूं.
स्निग्धा चित्रांशी आइसोलेशन में हैं. वो बताती हैं कि उनके हसबैंड में कोविड के लक्षण थे. 16 अप्रैल को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई. ऐसे में दोनों ही आइसोलेशन में चले गए, स्निग्धा खुद भी कोरोना टेस्ट चाह रही थी लेकिन 16 अप्रैल से तमाम लैब, अस्पतालों को फोन करने के बाद उनका टेस्ट 20 अप्रैल को हो सका.
मेरे घर में एक पॉजिटिव हैं. मैं सोसाइटी में रहती हूं, सोसाइटी कहती है बाहर नहीं निकलना है और मैं खुद नहीं चाहती कि मेरे जरिए कोई और संक्रमित हो जाए. लेकिन कोई होम सैंपल कलेक्शन के लिए आने को तैयार ही नहीं है? ऐसी हालत में मैं क्या करूं? हमने कई लैब्स में फोन किए तरह-तरह की साइट पर जाकर रिपोर्ट दर्ज किया, मैं चाहती थी कि कैसे भी टेस्ट हो जाए कोई घर आकर सैंपल लेकर जाए लेकिन एक टेस्ट तक पॉसिबल नहीं हो पा रहा था. 20 तारीख को जाकर टेस्ट हो सका. रिपोर्ट आई है 23 अप्रैल को. मतलब कि 7-8 दिन तो इसी में लग गए. अभी मेरे ब्रदर इन लॉ को लक्षण हैं और हम कोशिश कर रहे हैं कि अब कोई टेस्ट आकर कर जाए. हालत वही है.
इस बातचीत के दौरान स्निग्धा चित्रांशी जो कहती हैं उसपर गौर करना चाहिए. स्निग्धा कहती हैं- 'हालात ऐसे हो गए हैं कि अब इन चीजों पर खुशी मिलती है कि बीमार हैं तो क्या चलो टेस्ट तो हो गया, हॉस्पिटल तो नहीं जाना पड़ा, ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए लाइन तो नहीं लगानी पड़ी.'
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