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मंगलवार, 8 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने समाजवादी पार्ट के नेता आजम खान (Azam Khan) को यूपी विधानसभा चुनाव (Assembly Election) के लिए अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि जमानत के लिए उन्हें ट्रायल कोर्ट या इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad HighCourt) जाना चाहिए. जस्टिस एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की बेंच ने कहा कि वह चार मामलों में जमानत देने की रिट याचिका पर सीधे विचार नहीं कर सकते.
लोकसभा सदस्य आजम खान अपने गृह क्षेत्र रामपुर से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. और प्रचार के लिए जमानत मांगी थी
आजम खान की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि उनके खिलाफ 88 एफआईआर दर्ज हैं और जिसमें से 84 मामलों में उन्हें जमानत मिल चुकी है. हम यहां चार मामलों में अंतरिम जमानत के लिए आए हैं, जिससे वो आगामी चुनाव प्रभावी ढंग से लड़ सकें.
बेंच ने जवाब दिया कि अनुच्छेद 32 (मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए अधिकार क्षेत्र) के तहत ऐसी याचिका नहीं दायर की जा सकती है. आप जमानत के लिए अनुच्छेद 32 की याचिका कैसे दायर कर सकते हैं? आप हाई कोर्ट जाएं.
कपिल सिब्बल ने कहा कि आजम खान के खिलाफ दर्ज केस राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम है. उन्होंने कहा कि एक एफआईआर 16 साल पुरानी है और दूसरी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी से जुड़े संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आलोचना से संबंधित है.
बेंच ने कहा कि कृपया, पॉलिटिक्स को कोर्ट में न लाएं, हम उन्हें यहां से जमानत कैसे दे सकते हैं? आपको हाईकोर्ट जाना होगा, वहां के चीफ जस्टिस के समक्ष एक अनुरोध करें.
अपनी याचिका में आजम खान ने कहा कि राज्य सरकार ने उनके जमानत आवेदनों पर कार्रवाई करने में देरी की जिससे वो चुनाव के दौरान जेल में रहें और प्रचार न कर सकें.
एसपी नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम को रामपुर के स्वार से उम्मीदवार बनाया गया है, जो पिछले दो सालों से जेल में थे और जमानत पर बाहर हैं. अब्दुल्ला आजम ने 2017 का चुनाव स्वार से लड़ा और जीत हासिल की थी. दिसंबर 2019 में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह कहते हुए उनका चुनाव रद्द कर दिया कि जब उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया तो उनकी उम्र 25 वर्ष से कम थी.
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