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(यह स्टोरी मूल रूप से 12 फरवरी को पब्लिश हुई थी. ICU में इलाज के बीच पीड़ित की मौत के बाद इसे अपडेट करके फिर से पब्लिश किया गया है.)
"बेटे की रात भर पिटाई की गई और जब पुलिस वालों को लगा वह खत्म हो गया है तो उसे बाथरूम में टांग दिया."
ये शब्द उस पिता के हैं, जिसका बेटा ICU में जिंदगी की जंग लड़ते-लड़ते हार गया. पिता का आरोप है कि पुलिस ने पुलिस कस्टडी में उनके बेटे को बुरी तरह से पीटा और जब उसकी हालत खराब होने लगी तो पुलिस ने खुदकुशी दिखाने की कोशिश की.
मामला उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कासगंज का है. यहां एक युवक के साथ पुलिस कस्टडी में प्रताड़ना का मामला सामने आया है. कासगंज के रसलुआ सुलेहपुर गांव के रहने वाले 20 बरस के दलित युवक गौरव को कथित तौर पर 6 दिन पुलिस कस्टडी में रखा गया.
छठवें दिन उसकी हालत बिगड़ गई और उसे आनन-फानन में स्थानीय अस्पताल ले जाया गया. इसके बाद वहां से भी उसे अलीगढ़ रेफर कर दिया गया. ICU में इलाज के बीच गौरव की बुधवार, 14 फरवरी को मौत हो गयी.
ऐसे में बताते हैं कि गौरव के परिजनों का क्या कहना है और पुलिस ने क्या तर्क दिया?
एक नाबालिग लड़की के गायब होने के मामले में कासगंज जिले के अमापुर पुलिस थाने में 2 फरवरी 2024 को अज्ञात शख्स के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ. अगले दिन पुलिस ने इस मामले में 20 साल के गौरव को पूछताछ के लिए थाने ले कर आई.
हालांकि परिजनों का आरोप है कि ऐसा नहीं हुआ और गौरव को 6 दिन तक पुलिस थाने की कस्टडी में रखा गया. 9 फरवरी 2024 को जब परिजन गौरव से मिलने थाने पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि गौरव ने फांसी लगाकर आत्महत्या करने की कोशिश की है और उसे अस्पताल ले जाया गया है.
क्विंट हिंदी से बातचीत के दौरान गौरव के पिता रघुराज सिंह ने बताया कि उनके बेटे की कस्टडी में पिटाई हुई और बाद में उसकी बिगड़ी हुई हालत को खुदकुशी दिखाने की कोशिश की गई.
परिजनों के आरोप पर कासगंज की पुलिस अधीक्षक अपर्णा रजत कौशिक ने बताया, "थाने का एक होमगार्ड गौरव को शौचालय लेकर गया था. कुछ देर बाद जब गौरव शौचालय से नहीं निकला तो होमगार्ड ने आवाज लगाई.
अपर्णा रजत कौशिक बोलीं,
गौरव के कथित आत्महत्या की कोशिश के बाद पुलिस ने उसे आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन वहां हालत बिगड़ने के बाद अलीगढ़ रेफर कर दिया गया. यहां गौरव आईसीयू में वेंटिलेटर पर रहा. उसकी स्थिति गंभीर थी. आखिर में वह जिंदगी की जंग हार गया और 14 फरवरी को उसका निधन हो गया.
इस मामले में गौरव के परिजनों की लिखित तहरीर पर दो नामजद और अज्ञात अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 323 और 343 के अंतर्गत अमरपुर थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया है. इस मामले में अभी तक कोई भी गिरफ्तारी नहीं की गई है.
नाबालिग लड़की को भगाने के आरोप में 2 फरवरी 2024 को मुकदमा दर्ज हुआ था. इस मामले में गौरव के शामिल होने के शक में पुलिसकर्मी पूछताछ के लिए उसे थाने ले गए.
कानून के मुताबिक, किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर उसे मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होता है. लेकिन गौरव की गिरफ्तारी के मामले में पुलिस पर आरोप है कि गौरव को 6 दिनों तक हिरासत में रखा और उसके साथ कथित तौर पर बदसलूकी की.
इस मामले में पुलिसकर्मियों की भूमिका जांच के दायरे में है. आला अधिकारियों को ज्ञात है किन पुलिसकर्मियों द्वारा इस केस की जांच की जा रही थी.
ऐसे में जब गैर-कानूनी तरीके से किसी युवक को 6 दिन तक कस्टडी में रखने का गंभीर मामला सामने आया है तो पीड़ित परिवार की तरफ से दर्ज मुकदमे में पुलिसकर्मियों को अज्ञात क्यों दिखाया गया है?
इन गंभीर सवालों पर जब हमने कासगंज के पुलिस अधीक्षक अपर्णा रजत कौशिक से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि इस मामले में थाने के एसएचओ और जांच अधिकारी को सस्पेंड कर दिया गया है.
उन्होंने आगे बताया कि इस मामले में गौरव के परिजनों की तरफ से दर्ज मुकदमे में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है.
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