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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार के दो मंत्रियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. दो नाम राकेश सचान और संजय निषाद हैं. कोर्ट में सुनवाई के दौरान खुद को फंसता देख सूबे के मंत्री राकेश सचान पर फाइल लेकर भागने का आरोप लगा. वहीं सात साल पुराने केस में निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सूबे के मंत्री डॉक्टर संजय निषाद को 10 अगस्त तक गिरफ्तार कर जेल भेजने का कोर्ट ने आदेश दिया है.
यूपी की योगी सरकार में मंत्री राकेश सचान को एक साल की जेल और 1500 रुपए का जुर्माना लगाया गया है. वहीं, सजा के साथ ही राकेश सचान को जमानत मिल गई है.
आरोप है कि यूपी सरकार में मंत्री राकेश सचान के खिलाफ रेलवे की ठेकेदारी के दौरान गिट्टी चोरी होने पर आइपीसी की धारा 389 और 411 में मुकदमा दर्ज किया गया था. चोरी की गई गिट्टी की बरामदगी भी पुलिस ने कर ली थी. कानपुर की कोर्ट में पेशी के लिए उनको बुलाया गया था. आरोप है कि कोर्ट में पेशी के दौरान जज के सामने ही उनके वकील ने कागज छीन लिए और कोर्ट से फरार हो गए. मामले में कोर्ट के पेशकार की तरफ से प्रार्थना पत्र दिया गया है. मामले की जांच क्षेत्राधिकारी कोतवाली ACP को दी गई है.
राकेश सचान को कानपुर की ACMM 3 कोर्ट ने दोषी करार देते हुए फैसला सुरक्षित कर लिया है, जिसमें कोर्ट में शनिवार को मंत्री राकेश सचान पेशी पर कोर्ट पहुंचे थे.
1991 में तत्कालीन समाजवादी पार्टी के नेता राकेश सचान से पुलिस ने एक अवैध हथियार बरामद किया था. इस मामले में उनके खिलाफ खिलाफ सशस्त्र अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था. इसी केस (729/1991) में शनिवार को कानपुर की अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट -3 की अदालत में सुनवाई चल रही थी. इस दौरान अदालत ने सचान को दोषी ठहराया. यानी राकेश सचान को अदालत दोषी साबित करके सजा सुनाने की तैयारी में थी. इससे पहले बचाव पक्ष को सजा पर बहस शुरू करने को कहा गया.
समाजवादी पार्टी के नेता सुनील साजन ने कहा कि कोर्ट से मंत्री इतनी तेज भागे कि 'भाग मिल्खा भाग' वाले मिल्खा सिंह भी नहीं भागे होंगे. कैबिनेट मंत्री संजय निषाद को लेकर एसपी नेता ने कहा इस में संजय निषाद भी हैं. ये भी कैबिनेट मंत्री हैं, हमने सुना है कि वो यूपी से भागे हुए हैं. ये पूरा कैबिनेट गिट्टी चोर और मिट्टी चोर से भरा है.
उधर, यूपी कांग्रेस ने भी योगी सरकार के मंत्रियों के फंसने पर तंज कसा है. यूपी कांग्रेस ने ट्वीट किया-'कोर्ट में फैसला आने को ही था कि मंत्री जी को लगा कॉमन वेल्थ के कोर्ट में हैं. इसीलिए मेडल लेने को भागने लगे. एक अन्य ट्वीट में लिखा- 'राम नाम की लूट है, लूट सको तो लूट लो. इन भाजपाई भूमाफियाओं ने भगवान श्रीराम की पावन भूमि को भी नहीं छोड़ा... शर्मनाक.'
योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद के खिलाफ गोरखपुर की सीजेएम कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया है. उन्हें गिरफ्तार कर 10 अगस्त तक कोर्ट में पेश करने के लिए दिए आदेश जारी हुआ है. ये मामला 7 साल पुराना है. साल 2015 में सरकारी नौकरियों में निषाद जाति को आरक्षण देने की मांग को लेकर सहजनवां थानाक्षेत्र के कसरवाल में आंदोलन चल रहा था. इस दौरान भीड़ हिंसक हो गई थी.
इसके बाद संजय निषाद समेत कई लोगों के खिलाफ बलवा, तोड़फोड़, आगजनी और अन्य संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया गया था. उन पर भीड़ को भड़काने का आरोप है. इस आंदोलन में गोली लगने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. साथ ही कई पुलिसवाले भी जख्मी हुए थे. प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुआ है. सीजेएम जगन्नाथ ने मत्स्य पालन मंत्री को 10 अगस्त तक गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है. आदेश के अनुपालन की जिम्मेदारी शाहपुर पुलिस को दी गई है.
7 जून 2015 को सरकारी नौकरी में निषादों को पांच फीसदी आरक्षण देने की मांग को लेकर सहजनवां क्षेत्र के कसरवल में आंदोलन चल रहा था. आंदोलनकारी रेलवे ट्रैक पर बैठे थे. इसी बीच विवाद बढ़ा और लाठीचार्ज हो गया. इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई. आरोप लगा कि पुलिस की गोली से मौत हुई थी, इससे आंदोलन उग्र हो गया. आंदोलनकारी पुलिस से भिड़ गए और उसकी कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया.
इस घटना में 24 पुलिसकर्मी घायल हुए थे, मामले में तत्कालीन सहजनवां थानाध्यक्ष श्यामलाल ने निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद सहित कई लोगों के खिलाफ बलवा आगजनी, तोड़फोड़ और सेवन सीएलए की धारा में केस दर्ज कराया था. तहरीर में लिखा था कि भीड़ को भड़काकर बवाल कराया था. मामले में नामजद डॉ. संजय ने 21 दिसंबर 2015 को कोर्ट में सरेंडर किया और जेल भेजे गए थे.
निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सूबे के मंत्री डॉक्टर संजय निषाद पहले एमएलसी बने, फिर मंत्री निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद को बीजेपी ने पहले एमएलसी बनाया फिर 2022 के विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी को सहयोगी बना लिया. चुनाव में जीत हुई तो डॉ. संजय को मत्स्य पालन मंत्री बनाया. वह योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं.
घटना के 6 महीने बाद डॉ संजय निषाद ने कोर्ट में सरेंडर किया था. जमानत पर जेल से बाहर आए तो कसरवल कांड से जुड़े मुकदमे दूसरे सर्किल भेज दिए गए. बाद में निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कोर्ट से मुकदमा दर्ज कराया. इस मामले में पुलिस कर्मियों को आरोपी बनाया गया था.
डॉ. संजय का आरोप था कि एसपी सरकार ने जान-बूझकर विवाद कराया और निषाद समाज को निशाना बनाया. निषाद आरक्षण की मांग और कसरवल में आंदोलन के बाद डॉ संजय निषाद का राजनीतिक कद बढ़ता चला गया. साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले डॉ संजय ने बीजेपी से नाता जोड़ लिया. सबसे पहले अपने बड़े बेटे प्रवीण निषाद को बीजेपी के टिकट पर संतकबीरनगर से चुनाव लड़ाया.
चुनाव जीतकर प्रवीण सांसद बन गए, साल 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले खुद एमएलसी बने, फिर छोटे बेटे सरवन निषाद को बीजेपी के टिकट से चौरीचौरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरवा दिया. सरवन भी विधायक बन गए. अब संजय का पूरा ध्यान आगामी लोकसभा चुनाव पर है.
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