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महाराष्ट्र में राजनीति उलझी हुई है. लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति से एक 'पैचअप' की खबर है. समाजवादी पार्टी में हासिए पर पहुंचा दिए जाने के बाद अपनी अलग पार्टी बना चुके शिवपाल यादव एक बार फिर अपने भतीजे अखिलेश के समर्थन में दिख रहे हैं.
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया शिवपाल यादव का कहना है कि वो 2022 के विधानसभा चुनावों में अखिलेश को फिर से सीएम बनते देखना चाहते हैं. इटावा के सिंचाई भवन में मीडिया से बातचीत में शिवपाल ने कहा कि समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन उनकी प्राथमिकता में है.
वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
लोकसभा चुनाव के वक्त अखिलेश-शिवपाल दोनों की ही पार्टियां एक दूसरे पर जमकर आरोप लगा रही थीं. समाजवादी पार्टी, शिवपाल की पार्टी को बीजेपी की ‘बी टीम’ बता रही थी. वहीं शिवपाल यादव, अखिलेश यादव को धोखेबाज बता रहे थे. लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि दोनों ही पार्टियों और अखिलेश-शिवपाल को पता चल चुका है कि अगले विधानसभा चुनाव में एक दूसरे से लड़ना राजनीति के लिहाज से काफी महंगा पड़ सकता है. हालांकि, शिवपाल पार्टी के विलय के मूड में नहीं है, वो लगातार गठबंधन की बात कर रहे हैं.
क्विंट हिंदी से बातचीत में लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार अनुराग तिवारी बताते हैं कि शिवपाल अपनी पहचान के लिए गठबंधन तक तो जा सकते हैं लेकिन विलय नहीं कर सकते.
लोकसभा में समाजवादी पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ा था. वहीं शिवपाल की पार्टी पीएसपी तो अपना वजूद भी साबित नहीं कर सकी थी. ये नतीजा यूपी विधानसभा चुनाव के लिए सबक होगा. अब दोनों ही पार्टियों की निगाहें यूपी विधानसभा चुनाव पर हैं. अगर दोनों पार्टी गठबंधन में साथ मिलकर चुनाव लड़ती हैं, तो कैसे फायदा होगा, इस सवाल के जवाब में लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेंद्र शुक्ला कहते हैं कि 2022 की चुनौती से पहले अखिलेश यादव को ये समझ में आ गया है कि घर के भीतर के झगड़े से वो इतने कमजोर हो जाते हैं कि बाहर की चुनौतियों से पार पाना मुश्किल हो जाता है.
इस गठबंधन में सुलह-समझौता होगा या नहीं? इसके लिए 22 नवंबर का काफी अहम है. 22 नवंबर को समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन है. शिवपाल की पार्टी इसे धूमधाम से मनाएगी. इस मौके पर शिवपाल ने परिवार के सभी लोगों को इनवाइट भी किया है. ऐसे में साफ है कि इस दिन अखिलेश-शिवपाल के रिश्तों के बीच जमीं बर्फ पिघल सकती है और यूपी चुनाव का खाका तैयार किया जा सकता है.
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