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सिविल सर्विसेज परीक्षा में धर्मनिरपेक्षता से जुड़े एक सवाल को लेकर विवाद पैदा हो गया है. सवाल था- धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हमारे सांस्कृतिक दस्तूर के सामने क्या चुनौतियां पैदा हुई हैं? शनिवार को जनरल स्टडीज पेपर-1 की परीक्षा में कैंडिडेट धर्मनिरपेक्षता पर विवादित सवाल को देख कर दंग थे. सवाल धर्मनिरपेक्षता के नाम पर देश के सामने पैदा चुनौतियों के बारे में था.
कुछ लोगों का यह कहना है कि यह सवाल भविष्य के प्रशासकों से पूछा जा रहा है. उनके दिमाग में शायद यह भरने की कोशिश की गई कि धर्म निरपेक्षता देश के सामने चुनौतियां पैदा कर रही है. कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाने के मुद्दे पर आईएएस से इस्तीफा देने वाले कन्नन गोपीनाथन ने इस सवाल पर कहा कि भारतीय धर्म निरपेक्षता एक सकारात्मक अवधारणा है जो सभी सांस्कृतिक दस्तूरों को साथ लेकर चलती है और उसे बढ़ावा देती है. यह अंधविश्वास और नुकसान पहुंचाने वाली प्रथाओं के खिलाफ वैज्ञानिक मानसिकता को बढ़ावा देती है.
द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार को परीक्षा में बैठे एक कैंडिडेट ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि इस तरह के सवाल इसलिए पूछे जाते हैं कि परीक्षार्थी दक्षिणपंथी की तरह सोचे. इस तरह के सवाल पहले भी पूछे जाते थे. भारत में ऐसा क्या खास है यह अपनी संस्कृति को बरकरार रखे हुए है. या क्या भारतीय पुनर्जागरण ने इसकी राष्ट्रीय पहचान के उभारने में अहम भूमिका अदा की है. इस कैंडिडेट ने कहा कि यूपीएससी से इसकी सफाई मांगी जानी चाहिए.
इस कैंडिडेट ने कहा, ‘यूपीएससी एक संवैधानिक निकाय है. यह कोई स्वतंत्र थिंक टैंक नहीं है जो अपने इंटर्न के लिए इस तरह के सवाल करे.यूपीएससी को संवैधानिक मूल्यों पर टिके रहना चाहिए. अगर यूपीएससी इस तरह के सवाल पूछता है तो उसकी खिंचाई होनी चाहिए. एक और कैंडिडेट ने कहा कि इस तरह के सवाल की उम्मीद नहीं थी. यह सेक्यूलरिज्म की हमारी समझ के खिलाफ है’.
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