advertisement
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में सोमवार को कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूल से छह लड़किया गायब हो गईं. काफी ढूंढने के बाद सभी लड़कियां पास के ही एक गांव में मिलीं.
जब स्कूल छोड़कर चली गई नाबालिग लड़कियों से कारण पूछा गया तो उन्होंने बताया कि स्कूल वार्डन ने उन पर टॉयलेट साफ करने का दवाब बनाया था. हालांकि, स्कूल ने नाबालिग लड़कियों के इन आरोपों को खारिज किया है.
स्कूल से लड़कियों के गायब होने की जानकारी के बाद जिला प्रशासन ने ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को मामले पर संज्ञान लेने के निर्देश दिए हैं.
छात्राओं का आरोप है कि होस्टल की वार्डन उनसे टॉयलेट साफ कराती है. साथ ही बर्तन और कपड़े धोने के लिए भी मजबूर करती है. इसी वजह से उन्हें स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा.
हॉस्टल में लगे सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद बीएसए वीपी सिंह ने बताया कि लड़कियां तड़के ही स्कूल से निकलीं और टेंपो में सवार होकर पड़ोस के गांव चली गईं, जहां उनके साथ की एक अन्य छात्रा मानसी का घर है.
छात्राओं की ओर से लगाए गए आरोपों पर उन्होंने कहा-
उन्होंने कहा, ‘आवासीय स्कूलों में बच्चों को अनुशासन सिखाने के लिए बच्चों को कहा जाता है कि वे अपने बेड खुद साफ करें...अपने बर्तन खुद धोएं. लेकिन उनसे स्कूल परिसर का कोई काम नहीं कराया जाता है.’
हॉस्टल की वार्डन ने भी आरोपों को खारिज किया है. वार्डन ने कहा कि बच्चे ऐसे आरोप इसलिए लगाते हैं, क्योंकि उन्हें अपने घर की याद आती है. उन्होंने कहा-
वार्डन ने कहा कि अगर बच्चों पर कोई इस तरह के काम करने के लिए दवाब बनाता भी है तो हम उसके खिलाफ एक्शन लेते हैं. हमारे पास चार सफाई कर्मचारी हैं, हम बच्चों से ऐसा काम नहीं कराते हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)