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लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) के नतीजे घोषित होने के बाद से 80 लोकसभा सीटों वाला उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) काफी चर्चा में रहा है. इसकी वजह सिर्फ ये है कि इस राज्य ने तमाम कयासों, अटकलों और खासकर एग्जिट पोल्स के आकलनों को गलत साबित कर दिया लेकिन अब उत्तर प्रदेश यानी यूपी में एक बार फिर से चुनावी मौसम आ गया है.
दरअसल प्रदेश की करीब 9 लोकसभा सीट पर ऐसे नेता सांसद बने हैं जो इससे पहले विधायक थे. अब चूंकि ये 9 नेता सांसद बन गए हैं इसलिए उन्हें विधायक पद से इस्तीफा देना होगा. इसके बाद यूपी की 9 सीटों पर उप चुनाव कराए जाएंगे. हालांकि आधिकारिक अधिसूचना अभी जारी नहीं हुई है.
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद यूपी पर देश की निगाहें इसलिए टिक गई क्योंकि इस बार बीजेपी को यहां अप्रत्याशित तरीके से कम सीटों पर जीत मिली है.
साल 2019 में बीजेपी ने प्रदेश की 62 सीटें जीती थी जबकि बीएसपी राज्य में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी जिसने 10 सीटें जीतीं थी. सपा को तब सिर्फ 5 सीट पर जीत हासिल हुई थी. इस चुनाव में बीजेपी का यूपी में वोट शेयर 50 प्रतिशत था.
साल 2014 में बीजेपी का वोट शेयर 2019 से कम था लेकिन तब बीजेपी 71 सीट जीतने में कामयाब हुई थी और समाजवादी पार्टी के खाते में 5 सीटें आईं थीं.
2009 लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी थी, उसने तब 23 सीटें जीती थी, वहीं कांग्रेस ने 21 सीटें जीती थी जबकि बीजेपी सिर्फ 10 सीट जीत सकी थी.
हालांकि 2009 लोकसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस को बीजेपी से 10 सीटें ज्यादा मिली थीं लेकिन दोनों के वोट शेयर में सिर्फ 1 प्रतिशत का अंतर था.
ये डेटा हम इसलिए दे रहे हैं ताकि इससे अनुमान लगाया जा सके कि बीजेपी को यूपी में कितना नुकसान हुआ है और समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को कितना फायदा हुआ है.
लोकसभा नतीजों के बाद यूपी की जिन 9 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं, वे हैं फूलपुर विधानसभा सीट, खैर विधानसभा सीट, गाजियाबाद विधानसभा सीट, मझवा विधानसभा सीट, मीरापुर विधानसभा सीट, मिल्कीपुर विधानसभा सीट, करहल विधानसभा सीट, कटेहरी विधानसभा सीट और कुंदरकी विधानसभा सीट.
इन सीटों में से 5 सीटें बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के हिस्से में है जबकि बाकी के चार सीटों पर समाजवादी पार्टी के विधायक हैं जो अब सांसद बन गए हैं. ऐसे में अब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में 9 सीटों पर होने वाले उप चुनाव को लेकर सीटों का बंटवारा होना है.
हिंदुत्व को केंद्र में रखकर राजनीति करने वाली बीजेपी को 2024 लोकसभा चुनाव में फैजाबाद सीट पर हार का सामना करना पड़ा. इस हार को बीजेपी के लिए एक झटके के तौर पर देखा गया. खासकर उस वक्त में जब बीजेपी की ओर से '400 पार' का नारा दिया गया और पार्टी 240 सीटों पर सिमट गई और अकेले अपने दम पर बहुमत हासिल करने से चूक गई.
दूसरी ओर बीजेपी के लिए फैजाबाद की सीट हारना प्रतिष्ठा की बात बन गई, वो भी तब जब कुछ महीने पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने बहुप्रतिक्षित राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह किया था.
वहीं दूसरी सीट है समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव की करहल विधानसभा सीट. इस सीट अखिलेश यादव विधायक हैं लेकिन कन्नौज से सांसद बनने के बाद उन्हें भी इस सीट को छोड़ना होगा.
सीट छोड़ने के बाद अखिलेश यादव के लिए ये सीट प्रतिष्ठा बचाने की बात होगी. इस सीट पर होने वाले उप चुनाव में अगर अखिलेश यादव जीतते हैं तो उनका दबदबा कायम रहेगा लेकिन अगर वह यह जीत बचाने में नाकामयाब होते हैं तो बीजेपी उनपर हावी हो जाएगी.
अगर 2022 विधानसभा चुनाव में इन सीटों पर नतीजे की बात करें कुंदरकी, कटिहारी, मिल्कीपुर और करहल विधानसभा सटों पर सपा प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी.
2022 में सपा गठबंधन में चुनाव लड़ रही आरएलडी ने मीरापुर विधानसभा सीट अपने नाम की थी. आरएलडी अब बीजेपी की अगुवाई वाली नेशनल डेमोक्रेटिक एलाइंस का हिस्सा है. बाकी बची चार सीटें- फूलपुर, मझवा, खैर और गाजियाबाद पर एनडीए प्रत्याशी जीते थे.
2024 लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन से उत्साहित एसपी और कांग्रेस वाली इंडिया गठबंधन एक बार फिर उप चुनाव में अपना दमखम दिखाने की कोशिश करेगी. इस उप चुनाव में सीट समझौते को लेकर दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेता एक बार फिर बैठक करेंगे.
2022 विधानसभा चुनाव में इन चारों सीट पर कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत निराशाजनक रहा था. अकेले दम पर चुनाव लड़ रही कांग्रेस के फूलपुर प्रत्याशी को मात्र 1600 वोट मिले थे. इस चुनाव में मझवा विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी शिवशंकर चौबे को 3387 वोट मिले थे. खैर विधानसभा सीट पर 2022 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी मोनिका को 1494 वोट मिले थे. गाजियाबाद सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी को 11778 वोट मिले थे.
हालांकि 2024 लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद उत्साहित कांग्रेस अब अपने प्रदर्शन में जबरदस्त सुधार की उम्मीद कर रही होगी. कयास लगाए जा रहे हैं की उप चुनाव में कम से कम चार सीटों पर दावा करेगी. सीट बंटवारे पर इंडिया गठबंधन के फैसले के बाद है इन कयासों पर आधिकारिक मुहर लग पाएगी.
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