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'उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड' का दावा है कि राज्य के 51.05 लाख घरों को 'सौभाग्य योजना के तहत' बिजली कनेक्शन दिया गया. लेकिन कई जगह सिर्फ कागजों पर ही बिजली कनेक्शन दिया गया है. आज तक इन गांव में बिजली का तार नहीं आया है, लेकिन बिजली का बिल जरूर दिखा दिया गया है.
उत्तर प्रदेश किसान कांग्रेस के बैनर तले मऊरानी तहसील क्षेत्र में हुई किसान पंचायत के दौरान मतवाना और ककवारा के सिद्धपुरा गांव के रहने वाले लोग अपने हाथों में बिजली मीटर ले कर पहुंचे. उनकी शिकायत थी कि 2019 में सरकार की 'सौभाग्य योजना' के तहत उन्हें बिजली कनेक्शन की रसीद के साथ हाथों में बिजली मीटर थमा दिए गए. जबकि गांव में बिजली आना तो दूर आज तक गांव में इलेक्ट्रिक पोल तक नहीं लगे. बावजूद इसके अब बिजली विभाग ने गांव के लोगों को बिजली बिल दिखा दिया है.
झांसी के मऊरानीपुर तहसील क्षेत्र की ग्राम पंचायत विजरवारा के रहने वाले रामसेवक ने बताया कि -
विजरवारा गांव के लोग बताते हैं कि 'हमने अधिकारियों से कहा बिजली तो आई नहीं फिर बिल कैसा. इस बात का जवाब देते हुए हम लोगों को बिजली विभाग के द्वारा कम्प्यूटर पर 4 हजार रुपये का बिल दिखाया गया. हमने उस बिल की कॉपी मांगी तो कहा गया पहले जमा कीजिए तब कॉपी मिलेगी.'
विजरवारा के रहने वाले रामसेवक आगे बताते हैं कि 'हमारे गांव में 25 घर हैं, जिनकी आबादी सौ से अधिक है. यह गांव कोई नया नहीं है, परदादा के जमाने से हम यहां रह रहे हैं. यहां के 17 घरों में 5 नवम्बर 2019 को बिजली मीटर के साथ कनेक्शन की रसीद दे दी गई. कहा गया एक महीने में बिजली आ जाएगी. लेकिन, जब कई महीने गुजर गए तो हम लोग बिजली विभाग जा कर बिजली देने के लिए अनुरोध करते थे. अधिकारी कहते बस एक महीने रुक जाइए.
कागजी कनेक्शन के वक्त साथ में दी गई रसीद
कागजी कनेक्शन के वक्त साथ में दी गई रसीद
कागजी कनेक्शन के वक्त साथ में दी गई रसीद
कागजी कनेक्शन के वक्त साथ में दी गई रसीद
गांव वालों का कहना है कि "अब तो हम गांव वाले यही चाहते हैं कि बिजली नहीं देनी तो न दें कागज पर जो कनेक्शन है उसे काट दें वरना कागज पर बिल बढ़ता जाएगा. जब उसकी वसूली होगी तो हम बिल की राशि कहां से अदा करेंगे, हम गरीब लोग हैं."
बिजली विभाग के अधिकारी मनोज राय इन गांवों में बिना तार पहुंचे, बिजली बिल आने की शिकायतों के लिए प्राइवेट फर्म को जिम्मेदार ठहराते हैं.
बिजली विभाग के अधिकारी मनोज राय बताते हैं कि- 'ऐसे तीन सौ गांव हैं जिनकी लिस्ट अप्रूवल के लिए गई है. जैसे ही अप्रूव होगी बिजली आने लगेगी. रही बात आपूर्ति से पहले ही बिलों की तो अप्रूवल आने के बाद फिजिकल सर्वे के बाद उनकी बिलिंग उपयोग के दिन से आरम्भ होगी, बाकी पिछला बिल खारिज हो जाएगा.'
25 सितम्बर 2017 को अस्तित्व में आई 'प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना' (सौभाग्य योजना) के तहत 2011 की सामाजिक, आर्थिक और जातीय जनगणना के आधार पर वंचित वर्ग के प्रत्येक घर में बिजली कनेक्शन मिलना था. जबकि इस योजना के लिए सरकार ने 16,320 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया था. प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना के अंतर्गत बजट से 14,025 करोड़ रुपये ग्रामीण क्षेत्रों के लिए निर्धारित किए गए.
उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के अनुसार 'सौभाग्य योजना' के तहत बीपीएल परिवारों को निशुल्क और अन्य को 50 रूपये की 10 मासिक किश्तों में बिजली कनेक्शन देने की सुविधा शुरू की गई. इस योजना में 1.23 करोड़ घरों को बिजली कनेक्शन दिए जाने का लक्ष्य था. सौभाग्य योजना में 51.05 लाख घरों को बिजली कनेक्शन दिए गए हैं.
झांसी के जिन गांवों में बिजली नहीं है, वहां बिजली आपूर्ति के लिए दो सालों से संघर्ष करने वाले किसान कांग्रेस उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष शिव नारायण सिंह परिहार ने बताया कि 'ऐसे गांवों की तादाद काफी ज्यादा है, जिनमें बिजली नहीं है. जब हम लोग बिजली विभाग का घेराव करते हैं तब किसी जाकर गांव में बिजली दी जाती है. इस तरह कैसे काम चलेगा.'
शिवरानायण आगे बताते हैं कि 'आज हालात यह है कि गांव में मिलने वाले राशन में केरोसीन तेल नहीं मिलता, बिजली है नहीं इस लिए इन गांव में लोग सरसों तेल के दिए जला कर काम चलाया जाता है. जिन प्राइवेट फर्म को दोष दिया जा रहा है, वो गलत है क्योंकि योजना तो सरकार की है, पैसा भी सरकार का ही लगता है."
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