Home News India नोटबंदी से जुड़ी वजहों से देश में 8 दिनों के भीतर 41 लोगों की मौत
नोटबंदी से जुड़ी वजहों से देश में 8 दिनों के भीतर 41 लोगों की मौत
ऐसे हादसों में आत्महत्याएं, दिल का दौरा पड़ने से होने वाली मौतें, अस्पतालों में हुई मौतें शामिल हैं.
आईएएनएस
भारत
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उत्तर प्रदेश, मऊ निवासी मुनीर (फोटो: द कि्ंवट)
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नोटबंदी से जुड़ी वजहों से देश में मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. गुरुवार को यूपी के मऊ में नोट बदलने के लिए लाइन में खड़े एक शख्स की मौत हो गई. इस हादसे के साथ ऐसे मामलों में मरने वालों की तादाद बढ़कर 41 हो गई है.
दरअसल उत्तर प्रदेश, मऊ के रहने वाले 55 साल के मुनीर नोट बदलने के लिए लाइन में खड़े थे. जब उनका नंबर आया, तो आधार कार्ड न होने पर उन्हें लौटा दिया गया. इससे मौके पर ही हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई.
8 नवम्बर को पीएम मोदी के नोटबंदी के फैसले के बाद से ऐसे हादसे थम नहीं रहे. इनमें आत्महत्याएं, बैंकों-एटीएम पर लगी कतारों में दिल का दौरा पड़ने से होने वाली मौतें, अस्पतालों में हुई मौतें और गुस्से में हुई हत्या शामिल हैं.
देश में आम लोगों के जीवन में उथल-पुथल मचा देने वाली नोटबंदी उत्तर प्रदेश में 12 लोगों की जान ले चुकी है. इनमें से अधिकांश मौतें दिल का दौरा पड़ने से हुई हैं. दो लोगों ने आत्महत्या की है. देश के अलग-अलग हिस्सों में भी मौतें हुई हैं.
असम, मध्य प्रदेश, झारखंड और गुजरात में नोटबंदी के असर की वजह से तीन-तीन लोगों की मौत हुई है, जबकि तेलंगाना, बिहार, मुंबई, केरल और कर्नाटक में दो-दो लोगों की जान गई है.
ओडिशा, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में कुल मिलाकर सात लोगों की मौत नोटबंदी के प्रभाव की वजह से हुई है.
ओडिशा में दो साल के बीमार मासूम को इसलिए नहीं बचाया जा सका क्योंकि एक आटोड्राइवर ने बच्चे के परिवार के पास मान्य नोट नहीं होने की वजह से उसे अस्पताल ले जाने से मना कर दिया. वह अमान्य नोट ले नहीं सकता था और परिवार के पास छोटे मूल्य के नोट नहीं थे.
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में एक किसान ने रविवार को कथित रूप से अपने घर में फांसी लगाकर जान दे दी. वह अमान्य हो चुके नोट को नहीं बदल पाने से परेशान था. पुलिस का कहना है कि उसकी बेटी की 4 दिसंबर को शादी थी. इसीलिए वह नोट बदलने बैंक गया था लेकिन भीड़ की वजह से नाकाम लौटा.
नोटबंदी से पैदा हुए हालात ने झारखंड में तीन लोगों की जान ले ली. पुलिस सूत्रों ने बताया कि दो लोगों की मौत बुधवार को और एक की मंगलवार को हुई.
मोहम्मदगंज में स्टेट बैंक की शाखा के सामने चार घंटे तक लाइन में लगने वाले रामचंद्र पासवान की मौत हो गई.
झारखंड के ही एक अन्य मामले में 70 साल की लक्ष्मी की मौत उस वक्त हो गई, जब उसे मंगलवार को बोकारो में अपने 20 साल के पोते लवकुश की मौत की खबर मिली. उनके परिवार की हालत बहुत खराब थी. लवकुश के पिता दिहाड़ी मजदूर हैं और उन्हें बीते कुछ दिनों से काम नहीं मिला है.
मुंबई में गोवंदी इलाके में भी एक शिशु की मौत कथित रूप से अस्पताल को कम मूल्य वाले नोट निजी अस्पताल को नहीं चुका पाने की वजह से हो गई. आरोप है कि अस्पताल ने शिशु को भर्ती करने से मना कर दिया था.
बड़ी संख्या में निजी अस्पताल सरकार के आदेश के बावजूद अमान्य हो चुके 500 व 1000 के नोट नहीं स्वीकार कर रहे हैं.
मुंबई के मुलुंड में एक बैंक के बाहर कतार में लगे 73 वर्षीय बुजुर्ग की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. वह कई घंटे से कतार में खड़े थे.
असम में 52 साल के दीनबंधु दास ने अपनी बेटी की अगले महीने होने वाली शादी के लिए बैंक से बड़ी संख्या में पैसे निकाले थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 500 व 1000 के नोट को अमान्य घोषित करने से उन्हें गहरा सदमा लगा.
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