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उत्तर प्रदेश: टीचर की खुदकुशी से मौत, 96 महीनों से नहीं मिल रहा था वेतन, लिखे 450 पत्र

फर्रुखाबाद: मृतक के बेटे का आरोप- शव का अंतिम संस्कार करने से मना करने के बाद ही पुलिस ने मामला दर्ज किया.

क्विंट हिंदी
भारत
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<div class="paragraphs"><p>उत्तर प्रदेश: टीचर की खुदकुशी से मौत, 96 महीनों से नहीं मिल रहा था वेतन, लिखे 450 पत्र</p></div>
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उत्तर प्रदेश: टीचर की खुदकुशी से मौत, 96 महीनों से नहीं मिल रहा था वेतन, लिखे 450 पत्र

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फर्रुखाबाद जनपद में एक टीचर की खुदखुशी से मौत का मामला सामने आया है. जानकरी के अनुसार, टीचर लंबे समय से वेतन न मिलने के चलते आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे और इसी के कारण तनाव में थे.

टीचर की मौत के बाद प्रशासन का भी एक्शन देखने को मिला है. इसमें कम से कम 2 कर्मचारियों को निलंबित करके विभागीय कार्रवाई भी की जा रही है. आइए देखते हैं क्या है पूरा मामला और परिवार ने क्या आरोप लगाए.

क्या है पूरा मामला?

फर्रुखाबाद के कायमगंज थाना इलाके के मोहल्ला काजम खां निवासी अनिल कुमार त्रिपाठी ने 27 सितंबर को जहर खा लिया था, जिसके बाद जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. जिला अस्पताल से सैफई अस्पताल रेफर कर दिया गया, जहां उनकी मौत हो गई. आरोप है कि उन्हें 2014 से ही वेतन नहीं मिल रहा था.

50 वर्षीय अनिल कुमार त्रिपाठी को उच्च प्राथमिक विद्यालय झब्बूपुर में अपने पिता के निधन के बाद 27 फरवरी 1999 को नौकरी मिली थी. विभाग ने उनके कागजों को फर्जी बताते हुए नौकरी से निकाल दिया और 2014 से उनको वेतन मिलना बंद हो गया था.

2016 में वे हाई कोर्ट गए और इसी साल इलाहाबाद बेंच ने 18 फरवरी 2016 को नौकरी ज्वाइन करने के आदेश दे दिए, लेकिन आरोपों के अनुसार, तब से न तो आधिकारिक रूप से उनकी ज्वाइनिंग हुई और न ही उन्हें वेतन मिला. हालांकि, वे स्कूल में पढ़ाते रहे.

'450 बार पत्र लिख चुके थे, लेकिन सुनवाई नहीं हुई'- मृतक का बेटा

मृतक अनिल कुमार त्रिपाठी के इकलौते पुत्र आशीष त्रिपाठी से क्विंट हिंदी ने बातचीत करते हुए कहा, "मेरे पिता जी उच्च प्राथमिक विद्यालय झब्बूपुर में तैनात थे, जिसके बाद में उनको नौकरी से निकाल दिया गया, 18 फरवरी 2016 को कोर्ट ने नौकरी की बहाली का आदेश दे दिया. उनको नौकरी पर ज्वाइन नहीं कराया गया, लेकिन वो स्कूल में जाकर शिक्षण कार्य और उपस्थित रजिस्टर पर हस्ताक्षर करते रहे."

उन्होंने आगे कहा,

"अधिकारियों ने मेरे पिता को 2014 से कोई वेतन नहीं दिया, जिसके लिए उन्होंने खंड शिक्षा अधिकारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला अधिकारी समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों को करीब 450 पत्र लिखे और उनकी कोई सुनवाई नहीं हो पाई."

आशीष त्रिपाठी ने आगे आरोप लगाया कि हम लोगों ने अधिकारियों से जीवन निर्वाह भत्ता और वेतन की मांग की, जिस पर खंड शिक्षा अधिकारी ने उनको बेईज्जत करते हुए दो लाख रुपए की डिमांड की. ये पैसा देने में हम लोग सक्षम नही थे.

बेटे ने बताया, "पिता जी ने 27 सितंबर की शाम को जहर खा लिया था, जिसके बाद उनकी मौत हो गई. पुलिस अधिकारी हमारी FIR तक नहीं लिख रहे थे, तो हम लोगों ने शव का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया. इसके बाद हमारी शिकायत दर्ज हुई है. पिता ने एक सुसाइड नोट भी लिखा था. हमारे घर में खाने के लिए अनाज तक की परेशानी थी."

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पुलिस ने दर्ज किया केस, विभाग का भी एक्शन

परिजनों ने 28 सितंबर को शव का पोस्टमार्टम करवाया. इसके बाद थाना कायमगंज पुलिस ने 29 सितंबर को खंड शिक्षा अधिकारी गिर्राज सिंह, बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय पर तैनात कर्मचारी सुरेंद्र नाथ अवस्थी और प्रधानाध्यापक निर्देश गंगवार के खिलाफ खुदकुशी के लिए उकसाने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है. आरोपियों के खिलाफ धारा 504 और 306 के तहत मामला दर्ज किया गया है. पुलिस ने इसकी जांच शुरू कर दी है.

मामले के बाद फर्रुखाबाद बेसिक शिक्षा अधिकारी गैतम प्रसाद ने प्रेस नोट जारी कर जानकारी दी कि तीन कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है और विभागीय कार्यवाही शुरू हो चुकी है. उन्होंने कहा, "प्रकरण की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए मामले की जांच के लिए खंड शिक्षा अधिकारी मुख्यालय और शमशाबाद की जांच समिति गठित की गई."

उन्होंने कहा कि जांच सीमित ने गिर्राज सिंह, सुरेंद्रनाथ अवस्थी और को निर्देश गंगवार को प्रथम दृष्टया लापरवाही बरतने का दोषी पाया है. सुरेंद्रनाथ और निर्देश गंगवार को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है.

खंड शिक्षा अधिकारी गिर्राज सिंह के खिलाफ भी नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई के लिए अपर शिक्षा निदेशक को पत्र लिखा गया है.

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