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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) सरकार के बी और सी कैटेगरी की नौकरियों की भर्ती में संविदा प्रक्रिया लागू करने के प्रस्ताव के बाद उत्तर प्रदेश के प्रतियोगी छात्र आंदोलित हैं. नए प्रस्ताव के मुताबिक अब सरकारी नौकरियों में सीधी भर्ती नहीं की जाएगी बल्कि पहले 5 साल तक कॉन्ट्रैक्ट पर काम करना होगा उसके बाद जाकर कुछ टेस्ट देने होंगे. तब जाकर सरकारी नौकरी परमानेंट होगी. इस तरह से 5 साल तक कर्मचारियों को परमानेंट नौकरियों में मिलने वाली सुविधाओं का कोई फायदा नहीं मिलेगा. इन सब कारणों की वजह से छात्र चिंतित हैं.
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र आलोक प्रताप सिंह का कहना है कि
अब उत्तर प्रदेश राज्य की सरकारी नौकरियों में सीधे परमानेंट भर्ती करने की बजाय सिलेक्शन के बाद पहले 5 साल तक ठेके पर काम कराया जाएगा. इन 5 सालों में हर 6 महीने पर एक टेस्ट लिया जाएगा. जिसमें कम से कम 60 फीसदी नंबर लाने होंगे. अगर किसी कर्मचारी के 2 छमाही में इससे कम नंबर आते हैं तो उसे सर्विस से बाहर कर दिया जाएगा. पांचवे साल में कर्मचारियों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी. भर्ती के बाद मूल पदनाम नहीं मिलेगा बल्कि जिस पद के लिए नियुक्ति हो रही है उसका सहायक का दर्जा दिया जाएगा.
प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र उत्सव यादव का कहना है कि ये छात्रों के लिए काला कानून है. इससे जो छात्र 5 साल से तैयारी कर रहे हैं. 5 साल के ठेके पर काम करने के दौरान अगर पांचवे साल हटा दिया जाता है तो फिर से उनके पास बेरोजगारी का संकट आ जाएगा. हम चाहते हैं कि सरकार को इस संशोधन को वापस ले लेना चाहिए.
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