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UP में ठेके पर सरकारी नौकरियां? छात्र बोले- ‘ये काला कानून’

प्रस्ताव के मुताबिक अब सरकारी नौकरियों में सीधी भर्ती नहीं की जाएगी

वैभव पलनीटकर
भारत
Updated:
प्रस्ताव के मुताबिक अब सरकारी नौकरियों में सीधी भर्ती नहीं की जाएगी
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प्रस्ताव के मुताबिक अब सरकारी नौकरियों में सीधी भर्ती नहीं की जाएगी
(फोटो- क्विंट हिंदी)

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) सरकार के बी और सी कैटेगरी की नौकरियों की भर्ती में संविदा प्रक्रिया लागू करने के प्रस्ताव के बाद उत्तर प्रदेश के प्रतियोगी छात्र आंदोलित हैं. नए प्रस्ताव के मुताबिक अब सरकारी नौकरियों में सीधी भर्ती नहीं की जाएगी बल्कि पहले 5 साल तक कॉन्ट्रैक्ट पर काम करना होगा उसके बाद जाकर कुछ टेस्ट देने होंगे. तब जाकर सरकारी नौकरी परमानेंट होगी. इस तरह से 5 साल तक कर्मचारियों को परमानेंट नौकरियों में मिलने वाली सुविधाओं का कोई फायदा नहीं मिलेगा. इन सब कारणों की वजह से छात्र चिंतित हैं.

प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि पहले परीक्षा की कुछ साल तैयारी करो, एग्जाम देने से लेकर रिजल्ट आने में और जॉइनिंग मिलने में 5 साल चले जाते हैं और फिर उसके बाद अब परमानेंट नौकरी के लिए 5 साल और इंतजार करना होगा. ऐसे में छात्रों की चिंता ये है कि अगर ये सब करने के बाद 4 साल बाद नौकरी चली जाती है तो वे कहीं के नहीं रहेंगे.

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र आलोक प्रताप सिंह का कहना है कि

ये कदम साफ तौर पर बीजेपी की योगी सरकार की मानसिकता को दर्शाता है. हम ये कभी नहीं चाहेंगे इस भर्ती में इस तरह की प्रक्रिया लागू हो. पहले से ही छात्र संघर्ष कर रहे हैं कि जो नौकरियां हैं वो छात्रों को मिल जाएं. नौकरियों में भर्तियां सामने नहीं आ रही हैं. आज सरकार के पास नौकरियां नहीं है.
आलोक प्रताप सिंह, प्रतियोगी छात्र
हम पहले तो कुछ साल तैयारी करते हैं. इसके बाद 5 साल में वैकेंसी की प्रक्रिया पूरी होती है और अब 5 साल परमानेंट होने में चले जाएंगे. मतलब परमानेंट नौकरी लेने में ही 15 साल खप जाएंगे. ये युवाओं के भविष्य के साथ बहुत नाइंसाफी होगी.
राकेश पाल, प्रतियोगी छात्र, युवा हल्लाबोल
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क्या है सरकार का प्रस्ताव

अब उत्तर प्रदेश राज्य की सरकारी नौकरियों में सीधे परमानेंट भर्ती करने की बजाय सिलेक्शन के बाद पहले 5 साल तक ठेके पर काम कराया जाएगा. इन 5 सालों में हर 6 महीने पर एक टेस्ट लिया जाएगा. जिसमें कम से कम 60 फीसदी नंबर लाने होंगे. अगर किसी कर्मचारी के 2 छमाही में इससे कम नंबर आते हैं तो उसे सर्विस से बाहर कर दिया जाएगा. पांचवे साल में कर्मचारियों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी. भर्ती के बाद मूल पदनाम नहीं मिलेगा बल्कि जिस पद के लिए नियुक्ति हो रही है उसका सहायक का दर्जा दिया जाएगा.

प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र उत्सव यादव का कहना है कि ये छात्रों के लिए काला कानून है. इससे जो छात्र 5 साल से तैयारी कर रहे हैं. 5 साल के ठेके पर काम करने के दौरान अगर पांचवे साल हटा दिया जाता है तो फिर से उनके पास बेरोजगारी का संकट आ जाएगा. हम चाहते हैं कि सरकार को इस संशोधन को वापस ले लेना चाहिए.

संविधा भर्ती का मतलब है जो अभ्यर्थी संविधा पर लगेगा उसका काम करने का तरीका ठीक नहीं रहा तो 5 साल बाद उसे हटा दिया जाएगा लेकिन अगर 5 साल बाद वो योग्य साबित हो जाता है तो तो क्या इन 5 सालों का मुआवजा सरकार देगी.
मंजुल, प्रतियोगी छात्र, युवा हल्लाबोल

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Published: 18 Sep 2020,12:09 PM IST

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