Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019उत्तराखंड आपदा- स्थानीय बोले,‘विकास और विनाश में अंतर समझना जरूरी’

उत्तराखंड आपदा- स्थानीय बोले,‘विकास और विनाश में अंतर समझना जरूरी’

उत्तराखंड आपदा को लेकर राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े लोगों ने दी राय

मुकेश बौड़ाई
भारत
Updated:
उत्तराखंड आपदा को लेकर राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े लोगों ने दी राय
i
उत्तराखंड आपदा को लेकर राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े लोगों ने दी राय
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी

वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम

उत्तराखंड के चमोली और जोशीमठ में ग्लेशियर टूटने से आई आपदा और तबाही के बाद कई लोगों का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है. रैणी गांव के पास बन रहे ऋषिगंगा हाइड्रो प्रोजेक्ट में काम करने वाले कर्मचारियों और मजदूरों के लिए ये आपदा कहर बनकर टूटी. इस घटना के बाद पर्यावरण और ग्लेशियर से जुड़े कई एक्सपर्ट्स ने गंभीर सवाल उठाए. लेकिन उत्तराखंड के लोगों ने भी ऐसी घटनाओं को लेकर चिंता जताई है. हमने उत्तराखंड के अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले कुछ लोगों से बात की और ऐसी आपदाओं को लेकर उनकी राय जानी.

क्षेत्र के लोगों में दहशत

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में रहने वाले छात्र किशोर ने बताया कि कैसे वो इस घटना के बाद खौफ में हैं. उन्होंने कहा कि इस घटना से वो काफी आहत और डरे हुए हैं. किशोर ने बताया,

“ऐसा ही एक बांध उत्तराखंड में बन रहा है, जिसे पंचेश्वर डैम कह रहे हैं. कहा जा रहा है कि ये एशिया का पहला या दूसरे नंबर का बांध होगा. इसके तहत हमारा झूलाघाट एरिया भी डूब क्षेत्र में आ रहा है. लगभग 20 किमी के दायरे तक इसमें कई गांव आ रहे हैं, जिससे क्षेत्र के लोग डरे हुए हैं. ऐसे बांधों से लगातार खतरा बना रहता है.”
किशोर, छात्र (पिथौरागढ़)

अब पर्यावरण पर सेंसिटिव होने की जरूरत

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में बतौर क्रिएटिव डायरेक्टर (पांडवाज) काम करने वाले कुणाल डोभाल ने चमोली की इस घटना को लेकर कहा कि अब हमें संभलने की जरूरत है. उन्होंन कहा कि नेचर के साथ छेड़छाड़ को अब रोकना होगा. कुणाल ने कहा,

“इस आपदा में कई लोगों ने अपनी जान गंवा दी है, कई लोग अब तक लापता हैं. ग्लेशियर क्यों टूटा ये तो एक्सपर्ट ही बता पाएंगे, लेकिन इतना हमें समझना होगा कि प्रकृति के साथ छेड़छाड़ को हमें रोकना होगा. हमें इस मुद्दे पर सेंसिटिव होना होगा, क्लाइमेट चेंज होता है, फरवरी के महीने में ग्लेशियर पिघल रहे हैं. इस बारे में सोचिए.”
कुणाल डोभाल, रुद्रप्रयाग
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

सर्वश्रेष्ठ इंजीनियरिंग का किया जाए इस्तेमाल

दिल्ली में फाइनेंस सेक्टर में काम करने वाले उत्तराखंड के नरेंद्र ने कहा कि, विकास कार्यों के दौरान पर्यावरण के हर पहलू पर ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा,

“पर्यावरण की दृष्टि से उत्तराखंड एक बहुत ही संवेदनशील इलाका है. वहां पहाड़ हैं, नदिया हैं और ग्लेशियर हैं. तो जब हम बड़े प्रोजेक्ट्स कर रहे हैं तो हमें ये सोचना चाहिए कि वहां पर वो कितने कारगर होंगे. क्या उनसे वहां के पर्यावरण को किसी भी तरह का कोई नुकसान हो सकता है. इन तमाम पहुलुओं पर विचार करने के बाद ही हमें वहां पर किसी भी प्रोजेक्ट को इजाजत देनी चाहिए. साथ ही इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए सर्वश्रेष्ठ इंजीनियरिंग का इस्तेमाल करना चाहिए.”

‘संकरी घाटियों में हाइ़ड्रो प्रोजेक्ट क्यों’

दिल्ली में बतौर पत्रकार काम कर रहीं उत्तराखंड निवासी पूनम बिष्ट से भी हमने इस आपदा को लेकर बात की. उन्होंने उत्तराखंड की संकरी घाटियों में हाइड्रो प्रोजेक्ट्स पर सवाल उठाया. पूनम ने कहा,

“जब हमें पता है कि ग्लेशियर लगातार कमजोर पड़ रहे हैं, इस घटना के बाद ये साफ हो गया. हम संकरी घाटियों में हाइड्रो प्रोजेक्ट बना रहे हैं, तो हमें इस हादसे को देखते हुए आगे क्या प्लानिंग करनी होगी, इस पर अब फोकस और काम होना चाहिए.”
पूनम बिष्ट, पत्रकार

विकास और विनाश में अंतर समझना होगा

चमोली हादसे को लेकर श्रीनगर गढ़वाल में बतौर पत्रकार काम करने वाले राजीव खत्री ने कहा कि अब हमें विकास और विनाश में अंतर समझना होगा. उन्होंने कहा कि,

“उत्तराखंड में आज विनाश और विकास पर्यायवाची बन चुके हैं. यहां लगातार परियोजनाओं पर काम चल रहा है और कुछ क्षेत्रों में हम कंक्रीट के जंगल बना रहे हैं. इन सब चीजों को हमें ध्यान में रखना होगा.”

बता दें कि उत्तराखंड आपदा में अब तक 30 से ज्यादा लोगों के शव बरामद हो चुके हैं. साथ ही करीब 150 से ज्यादा लोग अब तक लापता बताए जा रहे हैं. सेना, एनडीआरएफ और आईटीबीपी के जवान लगातार तपोवन टनल में फंसे हुए कुछ लोगों को बचाने की दिन-रात कोशिश में जुटे हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 10 Feb 2021,09:04 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT