Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019राज्यसभा मार्शल की वर्दी पर विवाद, पूर्व सेनाध्यक्ष ने जताई आपत्ति

राज्यसभा मार्शल की वर्दी पर विवाद, पूर्व सेनाध्यक्ष ने जताई आपत्ति

राज्यसभा मार्शल की ड्रेस सैन्य अफसरों जैसी दिखने पर पूर्व सैन्य अफसरों ने आपत्ति जताई है

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
(फोटोः Altered By Quint Hindi)
i
null
(फोटोः Altered By Quint Hindi)

advertisement

राज्यसभा के 250वें सत्र के शुरू होने पर सोमवार को सभापति के आसन का नजारा कुछ बदला सा लग रहा था. यह बदलाव सभापति की मदद के लिए मौजूद रहने वाले मार्शलों की एकदम नयी यूनीफॉर्म की वजह से महसूस हुआ.

आमतौर पर राज्यसभा की शुरूआत सभापति की मदद करने वाले कलगीदार पगड़ी पहने किसी मार्शल के सदन में आकर यह पुकार लगाने से शुरू होती है कि ‘‘माननीय सदस्यों, माननीय सभापति जी.’’ लेकिन सोमवार को इन मार्शलों के सिर पर पगड़ी की बजाय गहरे हरे रंग (ऑलिव ग्रीन) की ‘‘पी-कैप’’ थी. साथ ही उन्होंने गहरे हरे रंग (ऑलिव ग्रीन) की सैन्य अफसरों जैसी वर्दी पहन रखी थी.

लेकिन मार्शल्स की इस नयी वर्दी पर विवाद छिड़ गया है. पूर्व आर्मी चीफ समेत कई पूर्व सैन्य अफसरों ने इस पर आपत्ति जताई है.

पूर्व आर्मी चीफ ने जताई आपत्ति

राज्यसभा मार्शल की नयी ड्रेस पर पूर्व आर्मी चीफ वेद प्रकाश मलिक ने आपत्ति जताई है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा-

गैर- सैन्य कर्मियों द्वारा सैन्य वर्दी पहनना और उसकी नकल करना गैरकानूनी है और सुरक्षा के लिए खतरा है. मैं उम्मीद करता हूं कि इस पर जल्द कार्रवाई होगी.

पूर्व आर्मी चीफ ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को ट्विटर पर टैग करते हुए उनसे इस मामले में एक्शन लेने की मांग की है.

पूर्व सैन्य अफसरों ने जताई आपत्ति

कर्नल संजय पांडेय ने ट्विटर पर लिखा है, ‘क्विज : एक कैप थल सेनाध्यक्ष द्वारा पहनी जाती है और दूसरी राज्य सभा स्टाफ द्वारा -पहचानिए’

लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया ने ट्विटर पर लिखा है, ‘पहले निजी और सरकारी संगठन ही ऐसा करते थे और अब माननीय राज्यसभा में भी सैन्य बलों जैसी यूनिफॉर्म इस्तेमाल की जा रही है, बिना ये सोचे कि ये सैनिक का सम्मान है. क्या ये सिर्फ इसलिए है क्योंकि जनता इन्हें सर्वोच्च स्थान पर रखती है? यूनिफॉर्म के सम्मान के लिए कानूनी मदद की जरूरत है.’

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

पूर्व IG बीएन शर्मा ने लिखा, ‘इस वर्दी को देखकर ऐसा लगा जैसे कोई सेना का वरिष्ठ अधिकारी हाउस में सभापति के पीछे खड़ा हो. आर्मी चीफ और मार्शल की कैप में अंतर होना जरूरी है. मार्शल की कैप से रेड बैंड और गोल्डन जरी हटनी चाहिए.’

मार्शल ने ही की थी वर्दी में बदलाव की मांग

राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों ने बताया कि इस बारे में किए गए उच्चस्तरीय फैसले के बाद मार्शल के लिये जारी ड्रेस कोड के तहत सदन में तैनात मार्शलों को कलगी वाली सफेद पगड़ी और पारंपरिक परिधान की जगह अब गहरे हरे रंग की वर्दी और कैप पहननी होगी.

राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों के अनुसार पिछले कई दशकों से चल रहे इस ड्रेस कोड में बदलाव की मांग मार्शलों ने ही की थी. बता दें, सभापति सहित अन्य पीठासीन अधिकारियों की मदद के लिए लगभग आधा दर्जन मार्शल तैनात होते हैं.

एक अधिकारी ने बताया कि मार्शलों ने उनके ड्रेस कोड में बदलाव कर ऐसी ड्रेस शामिल करने की मांग की थी, जो पहनने में आसान और मॉर्डन ‘लुक’ वाली हो. इनकी मांग को स्वीकार कर राज्य सचिवालय और सुरक्षा अधिकारियों ने नयी ड्रेस को डिजाइन करने के लिये कई दौर बैठकें कर नयी ड्रेस को अंतिम रूप दिया.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 18 Nov 2019,08:11 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT