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Varanasi: कोर्ट के आदेश के बाद भी राजस्थान नहीं भेजे गए ऊंट, एक की हुई मौत

Varanasi: ऊंटों की देखरेख और सुरक्षा को लेकर मवेशियों के लिए काम करने वाली गौ-ज्ञान फाउंडेशन ने उठाया था मामला.

क्विंट हिंदी
भारत
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<div class="paragraphs"><p>Varanasi: कोर्ट के आदेश के बाद भी राजस्थान नहीं भेजे गए ऊंट, प्रशासन पर आरोप</p></div>
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Varanasi: कोर्ट के आदेश के बाद भी राजस्थान नहीं भेजे गए ऊंट, प्रशासन पर आरोप

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के संसदीय क्षेत्र वाराणसी (Varanasi) में 27 जून की रात तस्करी के लिए पश्चिम बंगाल (West Bengal) ले जा रहे 16 ऊटों को वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के रामनगर थाने की पुलिस ने मुक्त तो कराया था. लेकिन जिला प्रशासन की लापरवाही और कोर्ट के आदेश की अवहेलना ने एक ऊंट की कुर्बानी आखिरकार रविवार सुबह ले ली. ऊंट के मौत की सूचना के बाद अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने हाईकोर्ट (High Court) और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के चीफ जस्टिस को पत्र लिखने की बात कही है.

उन्होंने वाराणसी जिला प्रशासन को कसाई करार देते हुए कहा कि बाबा विश्वनाथ की नगरी में मवेशी की कुर्बानी जिला प्रशासन के लिए एक धब्बा है.

गौ-ज्ञान फाउंडेशन ने उठाया था ऊंटों की सुरक्षा का मामला

ऊंटों की देखरेख और सुरक्षा को लेकर मवेशियों के लिए काम करने वाली गौ-ज्ञान फाउंडेशन की ओर से मामला वाराणसी न्यायालय में पहुंचने के बाद कोर्ट ने जिलाधिकारी वाराणसी कौशल राज शर्मा को आदेश दिया था कि वह ऊंटों को राजस्थान के सिरोही भेजने की व्यवस्था करें.

लेकिन आदेश के बाद भी ऊंट वाराणसी में ही हैं. मुकदमे की पैरवी करने वाले अधिवक्ता और गौ-ज्ञान फाउंडेशन के सदस्यों ने जिलाधिकारी वाराणसी पर हीला हवाली का आरोप लगाते हुए कोर्ट के आदेश की अवहेलना की बात अदालत में उठाई थी. कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी वाराणसी कौशल राज शर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया था.

उधर वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने गौ-ज्ञान फाउंडेशन और अधिवक्ता के खिलाफ क्रिमिनल ऑफेंस के लिए प्रार्थना पत्र दिया था. हालांकि अभी तक किसी भी कोर्ट ने प्रार्थना पत्र स्वीकार नहीं किया है. इसी बीच रविवार सुबह एक ऊंट की मौत के बाद मामला गरमा गया है.

क्या है पूरा मामला?

वाराणसी कमिश्नरेट की रामनगर थाने की पुलिस ने 27 जून की रात गौ-ज्ञान फाउंडेशन की मदद से तस्करी के लिए पश्चिम बंगाल ले जा रहे वाहन से 16 ऊंट बरामद किए थे. मौके से तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया गया था. इसके बाद से छुड़ाए गए ऊंट रामनगर थाना क्षेत्र में ही हैं.

इसकी जानकारी के बाद मवेशियों के लिए काम करने वाली संस्था गौ-ज्ञान फाउंडेशन ने अधिवक्ता सौरभ तिवारी के जरिए वाराणसी के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, कोर्ट नंबर-1 के यहां वाराणसी में ऊंटों के प्रतिकूल मौसम और वातावरण की वजह से इनकी तबीयत खराब होने की बात रखी थी. अदालत में याचिका दाखिल कर अनुरोध किया था कि सभी ऊंटों को राजस्थान के सिरोही स्थित पीपुल फॉर एनिमल आश्रय स्थल पहुंचाने का आदेश दिया जाए. वहां ऊंटों की देख-रेख उनके अनुकूल मौसम में अच्छे से हो सकेगी.

एडवोकेट सौरभ तिवारी ने बताया कि

8 जुलाई को वाराणसी के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, कोर्ट नंबर-1 ने आदेश दिया कि ऊंटों की अंतरिम कस्टडी गौ-ज्ञान फाउंडेशन को सौंपी जाए.
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कोर्ट ने कहा कि वाराणसी के जिलाधिकारी सभी ऊंटों को सकुशल सिरोही स्थित पीपुल फॉर एनिमल आश्रय स्थल पहुंचाने की व्यवस्था कराएं. बावजूद इसके प्रशासन टस से मस नहीं हुआ.

डीएम ने कोर्ट के आदेश की अवहेलना की थी इसके लिए हम फिर से अदालत गए थे. कोर्ट ने डीएम को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है.

डीएम ने आदेश जारी कर कहा था कि हमारे पास जानवरों के स्थानांतरण का बजट नहीं है.

16 ऊंटों को राजस्थान के सिरोही भेजने के कोर्ट के आदेश के बाद जिलाधिकारी वाराणसी कौशल राज शर्मा ने एक आदेश जारी कर कहा कि उनके पास इसका कोई बजट नहीं है, न ही कोई राशि है. हालांकि आदेश का पालन नहीं करने के बीच आज सुबह एक ऊंट की मौत हो गई.

एडवोकेट का आरोप- प्रशासन ने ली ऊंट की जान

वाराणसी में पकड़े गए 16 ऊंटों की पैरवी करने वाले अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने जिला प्रशासन वाराणसी पर उंट की जान लेने का आरोप लगाया है. उनका आरोप है कि डीएम मवेशियों को लेकर दिए गए कोर्ट के आदेश को पढ़े बिना ही अपना आदेश जारी किया था.

उन्होंने कहा कि कोर्ट के आदेश के सातवें पैरा में अस्पष्ट लिखा है कि जिलाधिकारी वाराणसी ऊंटों को रामनगर से राजस्थान के सिरोही जाने के ट्रांसपोर्टेशन की व्यवस्था कराएं. लेकिन पता नहीं किस वजह से जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया और उनकी हठधर्मिता की वजह से एक मवेशी की जान चली गई.

देश में कहीं भी पकड़े जाने पर ऊंट भेजे जाते हैं राजस्थान

एडवोकेट ने कहा कि देश में कहीं भी ऊंटों की बरामदगी होती है तो उन्हें राजस्थान के सिरोही ही भेजा जाता है. लेकिन जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा किसी की सुनना ही नहीं चाहते. यही कारण है कि कोर्ट के आदेश के बाद भी एक हफ्ते बीत गए लेकिन ऊंट यहां से टस से मस नहीं हुए. उन्होंने कहा कि हम कोर्ट के आदेश का पालन हर हाल में करवा कर रहेंगे.

डीएम का दावा निकला गलत

तस्करी के लिए ले जाए जा रहे ऊंटों को वाराणसी के रामनगर थाना क्षेत्र के भीटी स्थित बाड़े में रखा गया था. जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने दावा किया था कि पशु चिकित्सकों की टीम प्रतिदिन ऊंटों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उनकी रिपोर्ट सकारात्मक बता रही थी. रविवार सुबह एक ऊंट की मौत के बाद डीएम के दावे पर सवाल उठना लाजमी हो गया है.

उधर, राजस्थान के सिरोही स्थित पीपुल फॉर एनिमल आश्रय स्थल से ऊंटों की देखरेख करने वाराणसी आए कैमल हैंडलर ने बताया कि जिस ऊंट की मौत रविवार सुबह हुई है. उसकी सेहत शनिवार को बेहद खराब थी. वह अपने पैरों पर खड़ा भी नहीं हो पा रहा था.

इनपुट- चंदन पांडे

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