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वाराणसी (Varanasi) के ज्ञानवापी मस्जिद मामले (Gyanvapi Mosque Case) में जिला अदालत ने बड़ा फैसला लिया है. कोर्ट ने ज्ञानवापी के वुजू वाली जगह को छोड़कर मस्जिद के पूरे कैंपस में ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) सर्वे को मंजूरी दे दी है. शुक्रवार को जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने इस मामले पर फैसला दिया. उन्होंने चार अगस्त तक सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का भी आदेश दिया है.
कोर्ट के इस फैसले का मुस्लिम पक्ष ने विरोध किया है, तो वहीं हिंदू पक्ष में खुशी की लहर है. पिछले साल कमीशन की कार्रवाई में वुजू खाने के सर्वे के दौरान एक शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था, जिसके वैज्ञानिक विधि से जांच और कार्बन डेटिंग की मांग भी की गई थी.
वाराणसी के चौक थाना इलाके में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर लंबे वक्त से विवाद चल रहा है. हिंदू पक्ष मां श्रृंगार गौरी का मंदिर बताता है, तो वहीं मुस्लिम पक्ष इसे अपनी मस्जिद बताते हैं.
श्रृंगार गौरी पक्ष का मानना है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के ठीक बगल में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में भगवान आदि विशेश्वर का मंदिर है, यहां मां श्रृंगार गौरी अपने पूरे परिवार के साथ स्थापित थीं, जिसे औरंगजेब ने तोड़ दिया था. हिंदू और मुस्लिम अपने-अपने स्थान को लेकर दावा करते रहे हैं.
आज से लगभग 30 साल पहले इस परिसर को सील कर दिया गया था. मामला कोर्ट में पहुंचने के बाद पिछले साल कोर्ट के आदेश पर मस्जिद कैंपस का भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण कराया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि मंदिर के होने के प्रमाण मिले हैं. परिसर के अंदर एक बड़े शिवलिंग के मिलने का दावा भी किया गया था.
ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे को लेकर जिला जज अजय कृष्ण विशेश्व की कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया था, जिसमें याचिकाकर्ताओं ने कैंपस का पुरातात्विक सर्वेक्षण करते हुए मस्जिद और मंदिर के स्पष्ट जांच की मांग की थी.
बता दें, पश्चिमी दीवार पर मंदिर के टूटे हुए अवशेष कमल चिन्ह, घंटे, संख आदि पिछले कमीशन के सर्वे के दौरान मिले थे. दावा किया गया कि यह सारे अवशेष पुराने मंदिर के होने का इशारा करती हैं.
इसके बाद ज्ञानवापी मस्जिद कैंपस की जांच के लिए वादी पक्ष की ओर से ASI सर्वे की मांग की गई. कोर्ट ने कमिश्नर नियुक्त कर भारतीय सर्वेक्षण विभाग की एक टीम बनाकर ज्ञानवापी मस्जिद के पूरे कैंपस का सर्वे कराने की मंजूरी दी है और सर्वे रिपोर्ट 4 अगस्त तक कोर्ट में प्रस्तुत करने का आदेश दिया है.
(इनपुट- चंदन पांडेय)
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