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काशी में नाविकों की हड़ताल, सैलानियों की मस्‍ती में खलल 

गंगा में नाव का संचालन पूरी तरह ठप है.

विक्रांत दुबे
भारत
Updated:
नाविकों ने अपनी नावों को घाट के किनारे बांध दिया और दशाश्वमेघ घाट पर धरना दे रहे
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नाविकों ने अपनी नावों को घाट के किनारे बांध दिया और दशाश्वमेघ घाट पर धरना दे रहे
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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न्यू ईयर पर बनारस के विश्व प्रसिद्ध घाटों की रौनक फीकी नजर आ रही है. सुबह-ए-बनारस के दीदार की ख्वाहिश सैलानियों की अधूरी रह जा रही है. वजह है वाराणसी में नाविकों की हड़ताल. गंगा में क्रूज संचालन को लेकर वाराणसी में नाविकों ने जिला प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. लिहाजा गंगा में नाव चलना पूरी तरह ठप है.

क्या हैं नाविकों की मांगें?

हड़ताल की वजह से भैंसासुर घाट से लेकर अस्सी घाट तक नाव का संचालन पूरी तरह ठप है. नाविकों ने अपनी नावों को घाट के किनारे बांध दिया और दशाश्वमेध घाट पर धरना दे रहे हैं. 'गंगापुत्र' कहे जाने वाले नाविकों ने जिला प्रशासन के सामने अपनी मांगें रखी हैं.

  • गंगा में अलकनंदा के अलावा और क्रूज न चलाया जाए
  • फेरी और रोरो सेवा न चालू हो
  • जल पुलिस में गोताखोरों की भर्ती होनी चाहिए और इसमें नाविकों को प्राथमिकता मिले
  • गंगा के उस पार रेती में खेती की भी मांग.
हड़ताल की वजह से भैंसासुर घाट से लेकर अस्सी घाट तक नाव का संचालन पूरी तरह ठप है. (फोटो: क्विंट हिंदी)

पीएम मोदी से खफा हैं नाविक

नाव चलाने वाले गंगा में क्रूज संचालक के फैसले को लेकर जिला प्रशासन से खफा हैं. लेकिन इनकी सबसे बड़ी नाराजगी यहां के सांसद और देश के पीएम नरेंद्र मोदी से है. नाविकों का कहना है कि गंगा के नाम पर वाराणसी की जनता ने मोदी को सांसद चुना. लेकिन साढ़े चार साल में मोदी और उनकी सरकार अब 'गंगापुत्रों' को ही उजाड़ने पर तुली है.

नाविकों का आरोप है कि आधुनिकता की आड़ में जिला प्रशासन काशी की परंपरा को तोड़ना चाहती है.

मांझी समाज के नेता सुभास चंद्र साहनी कहते हैं:

“हजारों-हजार बरस से ये नाव गंगाजी की शोभा रही है. आप नाव को हटा करके क्रूज चला रहे हैं. ऐसा मोदी जी को नहीं करना चाहिए, आप यहां के सांसद भी हैं.‘’

अधूरी रह गई सैलानियों की हसरत

नाविकों और जिला प्रशासन के झगड़े में सैलानी पिस रहे हैं. नाविकों की हड़ताल ने न्यू ईयर को इंज्वॉय करने वाराणसी पहुंचे सैलानियों का मजा किरकिरा कर दिया. सैलानी गंगा की गोद में बैठ कर घाटों के खूबसूरत नजारे को नहीं देख पा रहे हैं.

सूरत से वाराणसी आईं सुषमा बेहद निराश दिखीं. सुषमा कहती हैं, "नाव नहीं चलने से दिक्कत हो रही है. नए साल के लिए हमने महीनों पहले से प्रोग्राम बनाया था, लेकिन यहां आने के बाद सब बेकार हो गया. हम घाट देखना चाहते थे. गंगा जी को बीच में छूना चाहते थे.अभी जाएंगे, तो ये अफसोस रहेगा कि इतनी दूर गए, लेकिन नहीं देख पाए.’’

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नाविकों और जिला प्रशासन के झगड़े में सैलानी पिस रहे हैं(फोटो: क्विंट हिंदी)

पर्यटन कारोबार पर पड़ रहा असर

नाविकों की हड़ताल का असर यहां के पर्यटन कारोबार पर भी पड़ रहा है. होटल और टूरिस्ट एजेंट परेशान हैं. दरअसल बनारस के घाटों का दीदार करन के लिए महीनों पहले होटल और नाव बुक हो जाते है.

अनुमान के मुताबिक, देव दीपावली के बाद सबसे ज्यादा बुकिंग न्यू ईयर पर होती है. ऐसे में गंगा में नाव का संचालन ठप होने से पर्यटन कारोबियों को अब जवाब देते नहीं सूझ रहा है. खासतौर से विदेशी सैलानियों को लेकर सबसे ज्यादा दिक्कत है.

होटल कारोबारियों के मुताबिक, अगले कुछ दिनों तक अगर ऐसे ही हालात बने रहे, तो अब उन्‍हें बुकिंग कैंसिल करनी पड़ेगी.

गंगा से चलती है इतने परिवारों की रोजी-रोटी

बनारस में तकरीबन 30 हजार नाविकों का परिवार है. इनकी रोजी-रोटी का साधन नाव ही है. गंगा में क्रूज चलने और वॉटर स्कूटर आने से इनकी परेशानी बढ़ गई है. नाविकों का लग रहा है कि अगर गंगा में क्रूज और वॉटर स्कूटर का प्रचलन बढ़ता है, तो इनके कारोबार पर असर पड़ेगा.

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Published: 01 Jan 2019,04:56 PM IST

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