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फरवरी 2021 में तलोजा सेंट्रल जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद से, 82 साल के तेलुगु कवि और कार्यकर्ता वरवर राव (Varavara Rao), अपनी 72 वर्षीय पत्नी पी हेमलता के साथ मुंबई के मलाड पूर्व में एक किराये के घर में रह रहे हैं.
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले (Bhima Koregaon) में आरोपी राव में अंबिलिकल हर्निया का पता चला है. इसलिए उन्हें केवल नरम खाना खाने की हिदायत दी गई है. इसके अलावा, राव जो काफी किताबें पढ़ा करते थे, अब मोतियाबिंद के कारण उन्हें देखने में परेशानी होती है. उनकी दो बेटियां - पी पवना और पी अनाला - और दूसरे रिश्तेदार, जब भी मौका मिलता है, उनसे मिलने जाते हैं. राव भी डिमेंशिया की शुरुआती स्टेज पर हैं, और उनके डॉक्टरों ने परिवार को सलाह दी है कि मेमोरी लॉस को रोकने के लिए उन्हें व्यस्त रखना जरूरी है.
राव की जमानत पर 24 सितंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है. उन्हें 22 फरवरी को 50,000 रुपये के नकद मुचलके पर जमानत दी गई थी.
राव को 2018 में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम-1967 (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया गया था. उन्हें पहले पुणे की यरवदा जेल ले जाया गया और बाद में तलोजा ट्रांसफर किया गया. यरवदा में, उन्हें कथित तौर पर सर्दियों के दौरान कंबल भी नहीं दिया गया था. चलने में असमर्थ होने के बावजूद जेल अधिकारियों ने उन्हें व्हीलचेयर देने से भी इनकार कर दिया था. उन्हें दोनों चीजें पहुंचाने के लिए उनके परिवार को बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा था.
उनके परिवार का कहना है कि वो अपने परिवार और रिश्तेदारों को भी पहचान नहीं पा रहे थे. पहले अस्पताल और फिर मुंबई स्थित घर में, एक साल की मेडिकल केयर के बाद वो जेल में बिताये गए अपने समय से रिकवर कर पाए हैं.
अगर कोर्ट ने उनकी जमानत नहीं बढ़ाई तो क्या वो तलोजा और समय सर्वाइव कर पाएंगे?
उनकी बेटी ने कहा, "जेल में, मुख्य खाना रोटी है. उन्हें इसकी आदत नहीं है और मेडिकल रूप से भी ये सलाह नहीं दी जाती है. वो पोहा नहीं खा सकते, जो कि जेल में काफी दिया जाता है. वो दाल और कोई खट्टा खाना नहीं खा सकते, जिसमें इमली हो."
पवना ने कहा, "तलोजा के पास ऐसी स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त मेडिकल सुविधाएं नहीं हैं. जेल में इमरजेंसी में मरीजों को देखने के लिए कोई मेडिकल ऑफिसर भी नहीं है."
राव को स्वस्थ्य रहने के लिए दो सर्जरी की जरूरत है. एक हर्निया के लिए सर्जरी, जिसमें देरी नहीं की जा सकती. दूसरा, मोतियाबिंद का ऑपरेशन. दोनों की रिकवरी के लिए समय की जरूरत है, जिसके लिए उन्हें जमानत पर बाहर रहना होगा. एक साल पहले अपने पिता की खराब सेहत को देख चुकीं पवना ने कहा, "जेल में वो 15 घंटे अपने सेल में रहते हैं. इस दौरान उन्हें पढ़ना या लिखना होता है. इसके लिए, उनकी आंखों की रोशनी ठीक होने की जरूरत है."
फादर और आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी का 5 जुलाई को निधन हो गया था. पार्किंसन्स बीमारी से पीड़ित होने के बावजूद, उन्हें मेडिकल केयर से वंचित रखा गया. 5 जुलाई को मुंबई के होली फैमिली अस्पताल में कार्डियक अरेस्ट से उनका निधन हो गया. उनकी मौत से राव काफी आहत थे. देशभर के कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि जेल में मेडिकल सुविधाओं की कमी के कारण स्वामी की जान गई.
राव और स्वामी दोनों ने तलोजा जेल में कोरोना वायरस हो गया था. पवना कहती हैं कि जब स्वामी को पहली बार जेल लाया गया, तो वो राव से बेहतर स्वास्थ्य में थे.
परिवार को डर है कि राव के साथ भी वैसा ही न हो, जैसा स्वामी के साथ हुआ. पवना ने कहा, "स्टेन स्वामी की मौत के बावजूद, हमने NIA के रवैये में कोई बदलाव नहीं देखा है. वो जमानत देने के खिलाफ हैं."
नेशनल इंवेस्टिगेटिंग एजेंसी (NIA) भीमा कोरेगांव मामले की जांच कर रही है. NIA कोर्ट ने अब तक हनी बाबू, आनंद तेलतुम्बडे और वर्नोन गोंजाल्विस को जमानत देने से इनकार कर दिया है. इन सभी को कोरेगांव मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था.
राव के परिवार ने न सिर्फ उनकी जमानत अवधि बढ़ाने की मांग की है, बल्कि जमानत की शर्तों में भी बदलाव की मांग भी की है. अभी राव मुंबई नहीं छोड़ सकते. वो मूल रूप से हैदराबाद के रहने वाले हैं. अगर राव को 24 सितंबर को जमानत मिल जाती है, तो परिवार को उम्मीद है कि वो हैदराबाद चले जाएं.
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